Diwali 2025: आखिर क्यों मनाया जाता है दिवाली का त्योहार? जानें इसके पीछे का पौराणिक महत्व

Diwali 2025: आखिर क्यों मनाया जाता है दिवाली का त्योहार? जानें इसके पीछे का पौराणिक महत्व



Diwali 2025: दीपावली अंधकार पर प्रकाश और अज्ञान पर ज्ञान की विजय का प्रतीक है, जो भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटने, देवी लक्ष्मी के घर आगमन और भगवान कृष्ण द्वारा नरकासुर पर विजय सहित विभिन्न पौराणिक कथाओं से जुड़ी है.

दिवाली रोशनी, जीत और समृद्धि का पर्व है, जिसे अंधकार पर प्रकाश की विजय और बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है.

यह त्योहार भगवान राम की रावण पर जीत के बाद अयोध्या वापसी, भगवान कृष्ण द्वारा राक्षस नरकासुर के वध, धन की देवी लक्ष्मी की पूजा और भगवान महावीर के निर्वाण से जुड़ा है. यह धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखने वाला एक त्योहार है, जो खुशी, समृद्धि और आशा का प्रतीक है.

दिवाली पर्व मनाने का पौराणिक महत्व  

भगवान राम का स्वागत
दिवाली का सबसे प्रसिद्ध महत्व भगवान राम का 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटना है. उनके स्वागत में अयोध्यावासियों ने दीपों की पंक्तियां सजाई थीं, जो आज भी दिवाली पर दीप जलाने की परंपरा का आधार है.

लक्ष्मी पूजा
धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी की पूजा का भी दिवाली पर विशेष महत्व है. ऐसा माना जाता है कि अमावस्या की रात को सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं. 

नरकासुर पर कृष्ण की विजय
दक्षिण भारत में, दिवाली का पर्व भगवान कृष्ण की राक्षस नरकासुर पर विजय की याद में भी मनाई जाती है. 

पांडवों की हस्तिनापुर वापसी
महाभारत के अनुसार, कार्तिक अमावस्या की रात को पाँचों पांडवों ने पत्नी द्रौपदी और माता कुंती के साथ 12 साल का वनवास बिताने के बाद हस्तिनापुर में प्रवेश किया था. 

काली पूजा
पूर्वी भारत, विशेषकर पश्चिम बंगाल में दिवाली को देवी काली की पूजा के रूप में भी मनाया जाता है, जो बुराई पर विजय का प्रतीक हैं.

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