आपकी विदेश यात्रा की तस्वीरें और दोस्तों की यूरोप ट्रिप… ये सब केवल अच्छी यादें नहीं हैं, बल्कि ये दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को भी चलाते हैं. पिछले साल यानी 2024 में, किस देश के नागरिकों ने विदेश यात्रा पर सबसे ज़्यादा पैसा खर्च किया? संयुक्त राष्ट्र पर्यटन (UN Tourism) की रिपोर्ट बताती है कि इस ट्रैवल रेस में चीन, अमेरिका और जर्मनी जैसे दिग्गजों ने कितनी बड़ी रकम खर्च की. सबसे बड़ी बात यह है कि भारत ने पहली बार विदेशी यात्रा पर 35 बिलियन डॉलर खर्च कर ग्लोबल ट्रैवल की टॉप 10 सूची में अपनी जगह बनाई है. आइए जानते हैं कि कौन-सा देश इस ‘आउटबाउंड पर्यटन’ में सबसे आगे रहा.
वैश्विक खर्च की सूची में चीन और अमेरिका शीर्ष पर
विदेश यात्रा पर खर्च करने के मामले में चीन एक अलग ही स्तर पर है. 2024 में चीन के यात्रियों ने विदेश घूमने पर अकेले $250.6 अरब डॉलर खर्च किए हैं. यह रकम इतनी ज़्यादा है कि यह ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, रूस, इटली और भारत के कुल खर्च को मिला देने पर भी ज़्यादा बैठती है. चीन के बाद दूसरे नंबर पर संयुक्त राज्य अमेरिका (US) रहा, जिसने $177.8 अरब डॉलर खर्च किए. यह साफ दिखाता है कि दुनिया के दो सबसे बड़े आर्थिक ताकत वाले देश, अपने नागरिकों को विदेश यात्रा का खूब मौका दे रहे हैं.
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यूरोपियन देशों ने भी दिखाई ट्रैवल की दीवानगी
खर्च के मामले में यूरोपीय देश भी पीछे नहीं रहे. टॉप 5 देशों में जर्मनी, ब्रिटेन और फ्रांस शामिल हैं, जो दर्शाते हैं कि इन देशों के लोग भी विदेश यात्रा पर काफी पैसा खर्च कर रहे हैं. जर्मनी ने $120.3 अरब डॉलर, ब्रिटेन ने $119.2 अरब डॉलर और फ्रांस ने $60 अरब डॉलर खर्च किए, जो उन्हें वैश्विक आउटबाउंड पर्यटन में शीर्ष स्थान दिलाता है. इसके अलावा, ऑस्ट्रेलिया $45.6 अरब, कनाडा $43.6 अरब, रूस $38.8 अरब और इटली $35.7 अरब ने भी विदेशी यात्रा पर अच्छा-खासा खर्च किया. इन देशों ने टॉप 10 सूची में अपनी मजबूत मौजूदगी दर्ज कराई.
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भारत ने लगाई लंबी छलांग, टॉप 10 में हुआ शामिल
भारत के लिए यह खबर काफी अहम है. रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीयों ने 2024 में अंतर्राष्ट्रीय यात्राओं पर $35 अरब डॉलर खर्च किए हैं. यह आंकड़ा भारत को दुनिया के शीर्ष 10 देशों में आधिकारिक तौर पर शामिल करता है. यह खर्च 2023 के $34.2 अरब डॉलर से भी ज़्यादा है और कोविड-19 महामारी से पहले के खर्च $22.9 अरब डॉलर की तुलना में एक बड़ी छलांग है. जो कि साफ बताता है कि अब भारतीय मध्यम वर्ग भी ग्लोबल ट्रैवलिंग को अपने जीवन का एक ज़रूरी हिस्सा बना चुका है.
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