
इस साल छठ का पर्व 25 से 28 अक्टूबर तक मनाया जाएगा. छठ पूजा सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित चार दिनों का एक कठोर और आध्यात्मिक पर्व है. इस दौरान भक्त सूर्य की उपासना करते हैं, जिसमें डूबते और उगते सूरज को अर्घ्य दिया जाता है. यह पर्व कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है. जो संतान सुख, समृद्धि और दीर्घायु के लिए मनाया जाता है.

छठ महापर्व यह पूरी दुनिया का मात्र एक ऐसा त्योहार है जिसमें डूबते सूर्य की भी पूजा की जाती है. छठ पर्व में आपने यह जरूर देखा होगा कि, सुहागिन महिलाएं नाक तक सिंदूर लगाती है. क्या आपने कभी सोचा है कि सुहागिन महिलाएं नाक तक सिंदूर क्यों लगाती है? तो आइए जानें कि छठ पर्व पर सुहागिन महिलाएं अपनी नाक से लेकर मांग तक सिंदूर क्यों लगाती है? इसके धार्मिक महत्व जानें.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महिलाओं का नाक से मांग तक सिंदूर लगाने के पीछे एक कारण है. ऐसा माना जाता है कि सुहागिन महिलाएं अपनी पति की लंबी आयु के लिए मांग से लेकर नाक सिंदूर लगाती है. मान्यता है कि जो भी महिलाएं ऐसा करती है उनकी पति की आयु लंबी होती है और वो ज्यादा दिन तक जीवित रहते हैं.

छठ पर्व पर महिलाएं नाक से मांग तक सिंदूर इसलिए लगाती है ताकि उनके पति की उम्र लंबी हो सके , उनका समाज में सम्मान और प्रतिष्ठा बढ़े. धार्मिक मान्यता है कि जो महिलाएं सिंदूर छिपा लेती है उनका पति समाज में छुप जाता है और तरक्की नहीं कर पाता है. इतना ही नहीं सिंदूर न लगाने से उनकी पति की उम्र भी कम हो जाती है. इस कारण छठ पूजा के दौरान महिलाएं नाक से लेकर मांग तक सिंदूर भरती हैं. सिंदूर लगाकर महिलाएं अपने पति के प्रति प्रेम और सम्मान भी जाहिर करती हैं.

सिंदूर को सुहाग का प्रतीक माना जाता है और छठ पूजा में इसे मांग से नाक तक भरने से सुहाग की रक्षा होती है और वंश में वृद्धि होती है.

छठ पूजा में नाक से मांग तक सिंदूर लगाना सुहाग की रक्षा और पति की लंबी आयु के साथ-साथ परिवार में सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. यह मान्यता है कि जितना लंबा सिंदूर होगा, पति की उम्र उतनी ही लंबी होगी और घर-परिवार में खुशहाली बनी रहेगी. यह सुहाग, समर्पण और सम्मान का भी प्रतीक है.
Published at : 16 Oct 2025 01:46 PM (IST)