Diwali Lakshmi Pujan 2025: इस वर्ष दीपावली की तिथि को लेकर लोगों के बीच भ्रम की स्थिति है, कुछ लोग 20 अक्टूबर तो कुछ 21 अक्टूबर को पूजन का दिन मान रहे हैं. लेकिन यदि हम शास्त्रों और पंचांग के आधार पर देखें, तो सही तिथि का निर्धारण स्पष्ट हो जाता है.
इस बार अमावस्या दो दिनों तक रहेगी. दीपावली पूजन की तिथि तय करने का शास्त्रीय नियम है: ‘प्रदोष व्यापिनी अमावस्या’. इसका मतलब है कि जिस दिन सूर्यास्त के बाद (प्रदोष काल में) अमावस्या तिथि मौजूद हो, उसी रात लक्ष्मी पूजन करना चाहिए. शास्त्रों में प्रदोष काल को लक्ष्मी पूजन का सबसे महत्वपूर्ण समय माना गया है.
धर्मसिंधु में स्पष्ट कहा गया है:–
अथाश्विनामावास्यायांप्रातरभ्यंगः प्रदोषेदीपदानलक्ष्मीपूजनादिविहितं॥
अर्थ – आश्विन मास की अमावस्या के दिन सुबह अभ्यंग स्नान और प्रदोष काल में दीपदान व लक्ष्मी पूजन का विधान है. आइए, इस नियम को 20 और 21 अक्टूबर 2025 के लिए समझते हैं:
अब 2025 के पंचांग के अनुसार स्थिति देखें —
- 20 अक्टूबर 2025, सोमवार:
- सूर्यास्त: लगभग 5:42 बजे (IST),
- प्रदोष काल शुरू: 5:42 बजे से
- अमावस्या तिथि शुरू: दोपहर 3:45 बजे से
इस दिन प्रदोष काल शुरू होने से लेकर पूरी रात तक अमावस्या तिथि पूरी तरह मौजूद रहती है. यह लक्ष्मी पूजन के लिए सबसे उपयुक्त और शास्त्रों के अनुसार सही समय है. 21 अक्टूबर 2025, मंगलवार:
- सूर्यास्त: लगभग 5:41 बजे (IST)
- प्रदोष काल शुरू: 5:41 बजे से
- अमावस्या तिथि समाप्त: 5:55 बजे पर
इस दिन प्रदोष काल में अमावस्या केवल लगभग 14 मिनट तक रहती है, जो एक घटिका (24 मिनट) से भी कम है. यह समय “स्पर्श मात्र अमावस्या” कहलाता है, और इस अवधि में पूजा शुभ नहीं मानी जाती.
धर्मसिंधु का नियम भी यही कहता है:
“पूर्वत्रैव प्रदोषव्याप्तौ लक्ष्मीपूजादौ पूर्वा, अभ्यंगस्नानादौ परा.”
अर्थ– “यदि केवल पहले दिन प्रदोष काल में अमावस्या हो, तो लक्ष्मी पूजन उसी दिन करना चाहिए. अभ्यंग स्नान आदि अगले दिन हो सकता है.” 20 अक्टूबर को प्रदोष काल में अमावस्या पूरी तरह मौजूद है, जबकि 21 अक्टूबर को यह केवल थोड़ी देर के लिए है. इसलिए लक्ष्मी पूजन 20 अक्टूबर को ही करना चाहिए.
पंचांग और शास्त्र दोनों के अनुसार, दीपावली का मुख्य लक्ष्मी-गणेश पूजन, दीपदान और आराधना 20 अक्टूबर 2025, सोमवार की संध्या को ही करनी चाहिए. 21 अक्टूबर को केवल अभ्यंग स्नान, श्राद्ध और दान-पुण्य के कार्य करना श्रेष्ठ रहेगा.
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