Iceland permanent residency for Indians: क्या सिर्फ 12 हजार रुपये में भारतीयों को परमानेंट ठिकाना दे रहा आइसलैंड? जान लें क्या है इसके पीछे का सच

Iceland permanent residency for Indians: क्या सिर्फ 12 हजार रुपये में भारतीयों को परमानेंट ठिकाना दे रहा आइसलैंड? जान लें क्या है इसके पीछे का सच



 Iceland permanent residency: अक्टूबर 2025 में कई भारतीय मीडिया प्लेटफॉर्म्स और सोशल मीडिया पेजों पर यह दावा किया गया कि आइसलैंड भारतीयों को स्थायी निवास का मौका दे रहा है और इसकी फीस सिर्फ 12,000 रुपये है. इंस्टाग्राम, फेसबुक और एक्स पर यह खबर तेजी से वायरल हो गई. असल में खबर की जड़ में सच्चाई तो है लेकिन कई महत्वपूर्ण बातें छूट गईं. यह रकम सिर्फ आवेदन शुल्क है, न कि पूरे प्रोसेस का खर्च. इसी तरह कई दूसरी जरूरी बातें भी रह गईं.

आइसलैंडिक सरकार क्या कहती है?

आइसलैंड की इमिग्रेशन अथॉरिटी के अनुसार, विदेशी नागरिकों के लिए स्थायी निवास का विकल्प मौजूद जरूर है. लेकिन यह किसी को बुलाकर बसाने जैसा नहीं है. इसके लिए कुछ शर्तें पूरी करनी पड़ती हैं, जैसे कि कम से कम 4 साल तक आइसलैंड में कानूनी रूप से रहना जरूरी अगर शादी आइसलैंडिक नागरिक से हुई है तो 3 साल. स्थायी और पर्याप्त इनकम का सबूत देना होगा. आइसलैंडिक भाषा का कोर्स या टेस्ट पास करना जरूरी है और इसके अलावा क्रिमिनल रिकॉर्ड साफ होना चाहिए, साथ में घर और हेल्थ इंश्योरेंस का प्रूफ दिखाना होगा. यानी यह रास्ता अस्थायी निवास से स्थायी निवास तक का है, न कि सीधे भारत से जाने वालों के लिए.

12,000 की फीस कहां से आई?

अब सवाल आता है कि 12 हजार रुपये की बात कहां से निकल कर सामने आई. इस वायरल दावे में बताई गई 12,000 रुपये दरअसल आवेदन शुल्क है. आइसलैंड की आधिकारिक फीस लिस्ट के अनुसार, ऑनलाइन एप्लिकेशन के लिए लगभग 16,000 ISK देना होता है, जो भारतीय रुपयों में करीब 11,500 से 12,000 रुपये के बीच में बैठता है. अगर पेपर के जरिए या किसी एजेंट के माध्यम से अप्लाई किया जाए, तो फीस थोड़ी ज्यादा 22,000 ISK यानी लगभग 16,000 रुपये के आसपास हो सकती है. लेकिन यह सिर्फ प्रोसेसिंग फीस है, असल में वहां बसने के खर्च इससे कहीं ज्यादा हैं.

कौन कर सकता है आवेदन?

यहीं पर यह वायरल खबर गुमराह करती है. असलियत यह है कि सिर्फ वही लोग अप्लाई कर सकते हैं जिनके पास पहले से आइसलैंड का वर्क परमिट, स्टूडेंट वीजा या फैमिली रेसिडेंस है. जिन्होंने वहां लगातार 4 साल तक कानूनी रूप से जीवन बिताया हो. जिनके पास स्थायी नौकरी और पर्याप्त आय हो. जिन्होंने भाषा और समाज में घुलने-मिलने की शर्तें पूरी की हों. इसका सीधा सा और साफ-साफ शब्दों में मतलब, भारत में बैठे किसी भी व्यक्ति के लिए सीधे PR का दरवाजा खुला नहीं है.

इतना आसान नहीं है रहना

हम अक्सर सोचते हैं कि यूरोप की लाइफ बेहतर होगी, लोग मजे कर रहे होंगे. लेकिन ऐसा नहीं है. जिन लोगों को वाकई वहां रहने का मौका मिलता है, उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जैसे कि महंगाई बहुत ज्यादा है खाना, घर और बिजली भारत से कई गुना महंगे हैं. भाषा की दिक्कत है, नौकरी और सोसायटी में फिट होने के लिए आइसलैंडिक सीखना जरूरी है. जॉब मार्केट छोटा है और ज्यादातर नौकरियां स्किल्ड या सीजनल हैं. मौसम सर्द और लंबी सर्दियों वाला है, जिससे एडजस्ट करना मुश्किल हो सकता है. हालांकि, वहां की खूबसूरती, सुरक्षा और सोशल वेलफेयर सिस्टम इसे दुनिया के बेहतरीन देशों में से एक बनाते हैं. अब बात करते हैं कि क्या आइसलैंड सच में भारतीयों को PR दे रहा है? इसका छोटा और सरल सा जवाब है नहीं. आइसलैंड सरकार ने भारतीयों के लिए कोई खास स्कीम शुरू नहीं की है. 12,000 की रकम सिर्फ प्रोसेसिंग फीस है, जो हर पात्र आवेदक पर लागू होती है. हां, जो भारतीय पहले से आइसलैंड में पढ़ाई या काम कर रहे हैं और वहां कई साल से कानूनी रूप से रह रहे हैं, वही इस फीस के साथ PR के लिए आवेदन कर सकते हैं.

इसे भी पढ़ें- लॉन्ग वीकेंड पर न छोड़िए घूमने-फिरने की ख्वाहिश अधूरी, 10,000 के अंदर ये हैं बजट फ्रेंडली आइडिया



Source link

Leave a Reply