HIV AIDS: अगर कोई व्यक्ति एचआईवी वायरस से संक्रमित हो जाता है और समय पर इलाज नहीं कराता है तो यह संक्रमण धीरे-धीरे तीन स्टेज में बढ़ने लग जाता है. हर एक स्टेज में उसके लक्षण और खतरे अलग-अलग होते हैं. डॉक्टरों का मानना है कि अगर किसी को लगता है कि वह एचआईवी के संपर्क में आया है तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए.
इस कंडीशन में पोस्ट एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस नाम की दवा संक्रमण को फैलने से रोक सकती है. वहीं जो लोग लगातार खतरे में रहते हैं, वह प्री एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस का सेवन कर सकते हैं ताकि वायरस शरीर में पनप न सके. ऐसे में चलिए अब आपको बताते हैं कि एचआईवी का खतरा स्टेज बाय स्टेज कैसे बढ़ सकता है.
स्टेज 1- एक्यूट HIV इंफेक्शन
एचआईवी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने के बाद यह वायरस बहुत तेजी से पनपने लगता है और खून में इसकी मात्रा भी बढ़ जाती है. इस समय यह वायरस सबसे ज्यादा संक्रामक होता है और आसानी से दूसरे व्यक्ति तक पहुंच सकता है. संक्रमण खून, वीर्य रेक्टल फ्लूइड, याेनि द्रव्य और ब्रेस्ट मिल्क के जरिए फैल सकता है. संक्रमण फैलने के 2 से 4 हफ्तों के अंदर कई लोगों में फ्लू जैसे लक्षण दिखते हैं जो कुछ दिनों या हफ्तों तक रहते हैं. हालांकि हर व्यक्ति में लक्षण दिखाई दें यह जरूरी नहीं होता है.
स्टेज 2- क्रोनिक HIV इंफेक्शन
पहले स्टेज के बाद अगर इलाज नहीं किया गया तो एचआईवी वायरस शरीर में धीमी गति से सक्रिय रहता है. इससे असिम्प्टोमटिक स्टेज या क्लिनिकल लेटेंसी कहा जाता है, क्योंकि इस दौरान कोई लक्षण नहीं दिखते या बहुत हल्के लक्षण होते हैं. इस स्टेज में भी वायरस दूसरे लोगों तक फैल सकता है. बिना इलाज के इस स्टेज यह इंफेक्शन 10 साल या उससे ज्यादा समय तक चल सकता है, लेकिन अगर मरीज इलाज में एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी लेता है तो संक्रमण को बढ़ने से रोका जा सकता है. यह दवाई शरीर में एचआईवी की मात्रा यानी वायरल लोड को बहुत कम कर देती है. ब वायरल लोड इतना कम हो जाता है कि टेस्ट में पकड़ में नहीं आता तो उसे व्यक्ति से एचआईवी दूसरों को नहीं फैलता है. इसे U एंड U यानी Undetectable-Untransmittable कहा जाता है.
स्टेज 3- एड्स
एचआईवी का सबसे खतरनाक स्टेज, स्टेज 3 होती है. जिसे एड्स कहा जाता है. इस स्टेज में शरीर का इम्यून सिस्टम इतना कमजोर हो जाता है कि वह सामान्य संक्रमणों से भी नहीं लड़ पाता है. ऐसे में अगर इस स्टेज में इलाज नहीं किया जाए तो वायरल लोड बढ़ता जाता है और cd4 सेल्स की संख्या घट कर 200 से कम रह जाती है. इस स्टेज में व्यक्ति को ऑपर्चूनिस्टिक इंफेक्शन यानी ऐसे इंफेक्शन हो सकते हैं जो सामान्य लोगों को नहीं नहीं होते हैं.
स्टेज 3 में दिखने वाले लक्षण
लगातार बुखार और रात में पसीना, वजन कम होना, लगातार खांसी, स्किन या मुंह पर बार-बार संक्रमण होना, दस्त और कमजोरी
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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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