Dhanteras 2025: धनतेरस पर यम दीपक कैसे और किस स्थान पर लगाना चाहिए जानें?

Dhanteras 2025: धनतेरस पर यम दीपक कैसे और किस स्थान पर लगाना चाहिए जानें?


धनतेरस का हिंदू धर्म में बहुत विशेष महत्व होता है. इस दिन शुभ मुहूर्त में खरीदारी और भगवान धन्वंतरि की पूजा करने का खास महत्व होता है. साथ ही, धनतेरस पर यमदीप जलाना भी बहुत महत्वपूर्ण होता है. इसका खास महत्व शास्त्रों में भी बताया गया है. ऐसी मान्यता है कि पूरे परिवार की अकाल मृत्यु से रक्षा करने के लिए धनतेरस को शाम के समय यमदीप जरूर जलाना चाहिए. तो आइए जानें धनतेरस पर दीपक कहां और कैसे लगाना चाहिए.

धनतेरस का हिंदू धर्म में बहुत विशेष महत्व होता है. इस दिन शुभ मुहूर्त में खरीदारी और भगवान धन्वंतरि की पूजा करने का खास महत्व होता है. साथ ही, धनतेरस पर यमदीप जलाना भी बहुत महत्वपूर्ण होता है. इसका खास महत्व शास्त्रों में भी बताया गया है. ऐसी मान्यता है कि पूरे परिवार की अकाल मृत्यु से रक्षा करने के लिए धनतेरस को शाम के समय यमदीप जरूर जलाना चाहिए. तो आइए जानें धनतेरस पर दीपक कहां और कैसे लगाना चाहिए.

धनतेरस के अवसर पर शाम के वक्त यमदीप जलाने के लिए मिट्टी का दिया प्रयोग करें. माना जाता है कि दीपक चौमुखी होना चाहिए. इसके बाद, दो रूई की बत्तियों को दीये में क्रॉस करके लगाएं और इसे चारों ओर से जलाकर दक्षिण दिशा में रख देना चाहिए. साथ ही, यमदीप में कौड़ी और एक सिक्का डाल दें.

धनतेरस के अवसर पर शाम के वक्त यमदीप जलाने के लिए मिट्टी का दिया प्रयोग करें. माना जाता है कि दीपक चौमुखी होना चाहिए. इसके बाद, दो रूई की बत्तियों को दीये में क्रॉस करके लगाएं और इसे चारों ओर से जलाकर दक्षिण दिशा में रख देना चाहिए. साथ ही, यमदीप में कौड़ी और एक सिक्का डाल दें.

यम दीपम, धनतेरस पर मनाया जाने वाला एक पवित्र अनुष्ठान है. इस दिन, भक्त दक्षिण-पश्चिम दिशा, जो मृत्यु और न्याय के देवता यम की दिशा है, की ओर मुख करके चार दीये जलाते हैं. प्रदोष काल में की जाने वाली यह प्राचीन प्रथा हमें जागरूकता और पवित्रता के साथ जीवन जीने की याद दिलाती है.

यम दीपम, धनतेरस पर मनाया जाने वाला एक पवित्र अनुष्ठान है. इस दिन, भक्त दक्षिण-पश्चिम दिशा, जो मृत्यु और न्याय के देवता यम की दिशा है, की ओर मुख करके चार दीये जलाते हैं. प्रदोष काल में की जाने वाली यह प्राचीन प्रथा हमें जागरूकता और पवित्रता के साथ जीवन जीने की याद दिलाती है.

यम दीपदान घर में अकाल मृत्यु को टालती है. इसी के साथ यमराज से घरवालों के अच्छे स्वास्थ्य की कामना की जाती है. साथ ही इस दीए की वजह से घरवाले बुरी नजर से बच जाते हैं. दीए के चौमुख में से एक बाती यमराज के लिए होती है तो, दूसरी चित्रगुप्त के लिए और बाकी दो यमदूत के लिए होती है.

यम दीपदान घर में अकाल मृत्यु को टालती है. इसी के साथ यमराज से घरवालों के अच्छे स्वास्थ्य की कामना की जाती है. साथ ही इस दीए की वजह से घरवाले बुरी नजर से बच जाते हैं. दीए के चौमुख में से एक बाती यमराज के लिए होती है तो, दूसरी चित्रगुप्त के लिए और बाकी दो यमदूत के लिए होती है.

दक्षिण दिशा में यम के नाम का चौमुखी दीपक जलाना शुभ माना जाता है. इसे जलाने से परिवार पर अकाल मृत्यु, कष्ट और अशुभता का प्रभाव कम होता है. धनतेरस की शाम प्रदोष काल में यम दीपक जलाना बहुत शुभ माना जाता है. दीपक जलाने का शुभ समय शाम 5 बजकर 48 मिनट से 7 बजकर 4 मिनट तक रहेगा.

दक्षिण दिशा में यम के नाम का चौमुखी दीपक जलाना शुभ माना जाता है. इसे जलाने से परिवार पर अकाल मृत्यु, कष्ट और अशुभता का प्रभाव कम होता है. धनतेरस की शाम प्रदोष काल में यम दीपक जलाना बहुत शुभ माना जाता है. दीपक जलाने का शुभ समय शाम 5 बजकर 48 मिनट से 7 बजकर 4 मिनट तक रहेगा.

Published at : 18 Oct 2025 03:21 PM (IST)



Source link

Leave a Reply