Diwali 2025: शनिवार को कार्तिक शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी पर धनतेरस की पूजा बड़े धूमधाम से की गई. इस बार यह पर्व शनि प्रदोष में मनाया गया था. इसके बाद श्रद्धालु 20 अक्टूबर को हस्त और चित्रा नक्षत्रों में दीवाली का त्योहार मनाएंगे.
इस दुर्लभ संयोग की वजह से दीवाली का पर्व और भी महत्वपूर्ण हो गया है.
प्रदोष और निशीथ काल में करें लक्ष्मी पूजन
इस साल कार्तिक माह की अमावस्या तिथि पर दीवाली का पर्व मनाया जाएगा. यह तिथि 20 अक्टूबर दोपहर 2:32 बजे शुरू होगी और अगले दिन 21 अक्टूबर की शाम 4:26 बजे इसका समापन होगा. इस दिन लक्ष्मी पूजन प्रदोष और निशीथ काल में करने का विधान है.
शास्त्र के मुताबिक इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा स्थिर लगन और प्रदोष काल में करने से मां प्रसन्न होती हैं और धन की कृपा बनी रहती है.
इस दिन लक्ष्मी पूजन के लिए अलग-अलग लग्न बताए गए हैं.
कुम्भ लग्न
दोपहर 02:36 बजे से शाम 04:07 बजे तक
वृषभ लग्न
शाम 07:12 बजे से रात 09:08 बजे तक
सिंह लग्न
मध्यरात्रि 01:40 बजे से सुबह 03:54 बजे तक
प्रदोष काल के इन स्थिर लग्नों में लक्ष्मी पूजन करने से घर में सुख-समृद्धि और वैभव आता है.
हस्त और चित्रा नक्षत्र
हिंदू शास्त्र के अनुसार हस्त नक्षत्र को संपन्नता, कौशल और शुभ फल देने वाला नक्षत्र माना जाता है. दीवाली पर लक्ष्मी पूजा हस्त नक्षत्र में करने से मां लक्ष्मी शीघ्र ही प्रसन्न होती है और घर-परिवार पर सुख, समृद्धि और कृपा बनाए रखती हैं.
वहीं इसके बाद चित्रा नक्षत्र का आरंभ होगा. चित्रा नक्षत्र सुंदरता, कला और भव्यता का प्रतीक माना जाता है. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक इस नक्षत्र में दीप प्रज्वलन और लक्ष्मी पूजन करने से जीवन में रचनात्मकता, यश और कीर्ति की वृद्धि होती है और विशेष पुण्य की प्राप्ति भी होती है.
शनि प्नदोष में मनाया था धनतेरस
शनिवार को शनि प्रदोष और पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में धनतेरस का पर्व श्रद्धालुओं ने श्रद्धा, विश्वास और उत्साह के साथ मनाया. शाम के समय बजारों में रौनक देखने को मिली थी. इसके बाद भक्तों में भगवान धन्वंतरि और मां लक्ष्मी का पूजन किया.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.