
YouTube Shorts को Google ने 2021 में लॉन्च किया था और आज ये प्लेटफॉर्म 100 से ज्यादा देशों में सक्रिय है. YouTube ने Shorts Fund और बाद में Revenue Sharing Model शुरू किया जिससे क्रिएटर्स को सीधे एड रेवेन्यू का हिस्सा मिलने लगा.

YouTube पर जब शॉर्ट्स के बीच में एड्स चलते हैं तो उस कमाई का लगभग 45% हिस्सा क्रिएटर को मिलता है. अगर किसी क्रिएटर के वीडियो लगातार वायरल होते हैं और व्यूअरशिप लाखों में जाती है तो हर महीने 10,000 से 2 लाख रुपये तक कमाई संभव है.

इसके अलावा YouTube का Monetization Program भी है जिसके तहत क्रिएटर को Super Thanks, Membership और Brand Deals से भी आमदनी होती है. सबसे बड़ी बात यह है कि YouTube Shorts पर लॉन्ग-टर्म कमाई का स्कोप ज्यादा है क्योंकि यहां विज्ञापन प्रणाली और कंटेंट सर्च दोनों ही मजबूत हैं.

दूसरी ओर, Instagram Reels ने भी युवाओं में धूम मचा रखी है. रील्स पर लाखों फॉलोअर्स कमाना आसान नहीं, लेकिन जो कर लेते हैं, वे बड़े ब्रांड्स के साथ स्पॉन्सरशिप डील्स से अच्छी कमाई करते हैं. Meta ने पहले Reels Bonus Program शुरू किया था जिसमें कुछ देशों के क्रिएटर्स को 50,000 से 3 लाख रुपये तक मिलते थे लेकिन भारत में यह फीचर अब सक्रिय नहीं है.

भारत में रील्स से सीधी कमाई नहीं होती बल्कि ब्रांड प्रमोशन और एफिलिएट मार्केटिंग से इनकम होती है. जितने ज्यादा आपके फॉलोअर्स और एंगेजमेंट होंगे, उतना ज्यादा ब्रांड्स आपके वीडियो को प्रमोट करने के लिए पैसे देंगे. यानी Instagram पर कमाई फॉलोअर्स और ब्रांड वैल्यू पर निर्भर करती है जबकि YouTube पर कमाई व्यूज़ और एड्स सिस्टम से आती है.

अगर सीधी बात करें तो कमाई के लिहाज से YouTube Shorts आगे है. क्योंकि यहां Revenue Sharing Model तय है हर व्यू और एड से मिलने वाला हिस्सा साफ तौर पर क्रिएटर को मिलता है. वहीं Instagram पर कमाई सिर्फ ब्रांड डील्स या कोलैबरेशन तक सीमित है.

अगर आप एक नए कंटेंट क्रिएटर हैं और लंबे समय तक स्थायी कमाई करना चाहते हैं तो YouTube Shorts आपके लिए बेहतर प्लेटफॉर्म है. लेकिन अगर आपका मकसद फेम और त्वरित वायरलिटी है तो Instagram Reels आपको तेजी से पहचान दिला सकता है.
Published at : 20 Oct 2025 07:51 AM (IST)