
ब्रेन कैंसर की शुरुआती पहचान इसलिए मुश्किल होती है क्योंकि इसके कई लक्षण सामान्य सिरदर्द जैसे लगते हैं. यही वजह है कि लोग शुरुआत में इन्हें गंभीरता से नहीं लेते. असली अंतर इसके पैटर्न, तीव्रता और साथ आने वाले अन्य लक्षणों में छिपा होता है.

लगातार या बढ़ते हुए सिरदर्द अगर आपको ये लक्षण दिखते हैं, तो सामान्य सिरदर्द आराम और दवा से काबू में आ जाता है, लेकिन अगर दर्द बार-बार लौटे और समय के साथ उसकी बढ़ता जाए तो यह खतरे का संकेत हो सकता है. ऐसे दर्द अक्सर उल्टी या मितली के साथ आते हैं और दवाओं से भी राहत नहीं मिल

ब्रेन ट्यूमर अगर ऑप्टिक नर्व या विजुअल प्रोसेसिंग हिस्से पर दबाव डालता है तो इससे देखने की क्षमता प्रभावित हो सकती है. धुंधला दिखना, डबल विजन या अचानक नजर धुंधली हो जाना इसके लक्षण हो सकते हैं. कई बार ये बदलाव धीरे-धीरे होते हैं और लोग इन्हें सामान्य थकान समझकर नजर अंदाज कर देते हैं.

एडल्ट में पहली बार दौरा पड़ना बेहद गंभीर संकेत माना जाता है. ट्यूमर दिमाग की कई गतिविधियों को बाधित कर सकते हैं, जिससे शरीर के किसी हिस्से में झटके, पूरे शरीर में ऐंठन या कुछ सेकंड तक बोलने में दिक्कत जैसे लक्षण सामने आते हैं.

ब्रेन कैंसर का असर सिर्फ शरीर पर ही नहीं, बल्कि मानसिक क्षमता और व्यवहार पर भी दिखता है. ट्यूमर अगर फ्रंटल लोब या अन्य हिस्से में हो तो इससे सोचने की, निर्णय लेने की क्षमता और मूड कंट्रोल प्रभावित होता है. चिड़चिड़ापन, उदासी, चिंता या बार-बार भूलने जैसी बातें इस ओर इशारा कर सकती हैं.

ब्रेन के सेरेबेलम या मोटर-कंट्रोल हिस्से पर दबाव पड़ने से शरीर का संतुलन बिगड़ सकता है. इसमें बार-बार ठोकर लगना, चक्कर आना, ठीक से चल न पाना या हाथ-पैर का कमजोर होना शामिल है. अगर ये लक्षण शरीर के सिर्फ एक हिस्से में दिखें, तो यह ट्यूमर की मौजूदगी का संकेत हो सकता है.

ज्यादातर सिरदर्द मामूली और अस्थायी होते हैं, लेकिन अगर दर्द अलग महसूस हो, बार-बार आए और इसके साथ ये अननेचुरल लक्षण भी हों तो इसे हल्के में न लें. समय रहते डॉक्टर से सलाह लेना और जांच कराना बेहद ज़रूरी है, क्योंकि शुरुआती पहचान ही इलाज को आसान और प्रभावी बना सकती है.
Published at : 22 Oct 2025 08:08 AM (IST)