Israel Kidney Research: इजराइल के वैज्ञानिकों ने मेडिकल रिसर्च के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है. उन्होंने लैब में ऐसा सिंथेटिक किडनी मॉडल तैयार किया है, जो अब तक के सभी प्रयासों से कहीं ज्यादा समय तक जीवित रहा है. तेल हाशोमेर स्थित शीबा मेडिकल सेंटर और तेल अवीव यूनिवर्सिटी की टीम ने मिलकर यह थ्री-डी ऑर्गेनॉइड बनाया है, जो 34 हफ्तों से अधिक समय तक चला. यह पहले तैयार किए गए मॉडल्स से कहीं आगे है, क्योंकि अब तक बनाए गए मॉडल केवल चार हफ्तों तक ही टिक पाते थे. यह शोध भविष्य में किडनी रोगों को समझने और उनके इलाज में एक नई दिशा खोल सकता है. चलिए आपको बताते हैं इसके बारे में.
क्यों है खास?
यह नया मॉडल सिर्फ खराब अंगों को बदलने का विकल्प नहीं है, बल्कि किडनी रोगों के बारे में डीप जाकर उसके बारे में जानकारी निकालने का एक जरिया भी है. वैज्ञानिक इसके जरिए यह जान सकते हैं कि किडनी से जुड़ी बीमारियां कैसे विकसित होती हैं और समय के साथ कैसे गंभीर रूप लेती हैं. इसके अलावा, इस तकनीक की मदद से दवाओं का एक्सपेरिमेंट करना आसान हो सकता है और प्रयोगों के लिए जानवरों पर निर्भरता भी कम हो सकती है.
डॉक्टरों की राय
शीबा मेडिकल सेंटर के डॉ. बेंजामिन डेकल ने इस शोध को ऐतिहासिक बताया. उनका मानना है कि इस रिसर्च की असली सफलता अंग प्रत्यारोपण की दिशा में नहीं, बल्कि उन बायोमॉलिक्यूल्स में छिपी है जिन्हें यह ऑर्गेनॉइड छोड़ता है. ये बायोमॉलिक्यूल्स खराब किडनी की मरम्मत में मदद कर सकते हैं और इलाज की प्रक्रिया को कम इनवेसिव बना सकते हैं. हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इसे क्लीनिकल स्तर तक पहुंचने में अभी समय लगेगा, क्योंकि फिलहाल यह केवल एक एक्सपेरिमेंटल उपलब्धि है.
आगे की चुनौतियां
वैज्ञानिकों के सामने अभी कई चुनौतियां हैं. उन्हें यह पता लगाना होगा कि इस ऑर्गेनॉइड में कौन-सी सेल्स सक्रिय हैं, कौन-से मॉलिक्यूल्स इसमें से निकलते हैं और वे वयस्क किडनी को ठीक करने में क्या भूमिका निभाते हैं. शोधकर्ताओं का कहना है कि यह प्रक्रिया गर्भावस्था के 34वें हफ्ते तक गर्भाशय में होने वाली प्राकृतिक मेच्योरिटी से मेल खाती है. इस कारण इसे मानव विकास को समझने के लिए भी एक महत्वपूर्ण मॉडल माना जा सकता है.
संभावनाएं और फायदे
किडनी रोग आज दुनिया भर में करोड़ों लोगों को प्रभावित करते हैं. मौजूदा मॉडल्स सीमित और कम सटीक रहे हैं. लेकिन लंबे समय तक जीवित रहने वाले ये ऑर्गेनॉइड कई नई संभावनाओं के द्वार खोल सकते हैं, जैसे कि
- गर्भावस्था के दौरान दवाओं की टॉक्सिसिटी जांचना
- जन्मजात किडनी रोगों को समझना
- नई रीजनरेटिव थेरेपी विकसित करना
यह रिसर्च मेडिकल साइंस के लिए एक नई उम्मीद है. अभी यह ट्रांसप्लांट योग्य किडनी नहीं है, लेकिन यह भविष्य में किडनी रोगों के इलाज, नई दवाओं की खोज और बेहतर मेडिकल ट्रिटमेंट के लिए अहम साबित हो सकता है.
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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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