पतंजलि योगपीठ में यज्ञ-अग्निहोत्र के अनुष्ठान और वेदमंत्रों के साथ पंतजलि इमरजेंसी एण्ड क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल का अनौपचारिक प्रारंभ किया गया है. इस मौके पर स्वामी रामदेव ने कहा कि आज चिकित्सा विज्ञान के अनुष्ठान का नया अध्याय प्रारंभ हो रहा है. पतंजलि की यह व्यवस्था चिकित्सकीय लोकतांत्रिक व्यवस्था है, जो रोगियों के लिए न्यायप्रधान है. उन्होंने घोषणा की कि हरिद्वार में तो इस हॉस्पिटल का मात्र बीजारोपण है, दिल्ली, एनसीआर में एम्स, अपोलो या मेदांता से भी बड़ा वर्जन बहुत जल्द सामने आएगा. विशेष बात यह रहेगी कि यह कॉरपोरेट हॉस्पिटल नहीं कॉपरेट हास्पिटल होगा, जिसमें व्यापार नहीं रोगियों की सेवा की जाएगी. हमारा उद्देश्य एकीकृत चिकित्सा पद्धति (Integrative Medicine System) के तहत रोगियों को आरोग्य प्रदान करना है.
बाबा रामदेव ने आगे कहा, ”पतंजलि में बहुत समय से विचार था कि जहां पर नितांत आवश्यक हो, वहां मॉर्डर्न मैडिकल साइंस का आश्रय लिया जाए. पूरी दुनिया के लिए यह एक नई दृष्टि होगी कि केवल इमरजेंसी के तौर पर ही हम इस विधा का प्रयोग करेंगे. हमारे पास इस नई दृष्टि से समन्वित और आप्लावित समर्पित चिकित्सकों की त्रिवेणी का संगम है. एक तरफ हमारी पारंपरिक विद्या में निष्णात आयुर्वेद के वैद्य, दूसरी तरफ मॉडर्न मेडिकल साइंस में पारंगत डॉक्टर्स और तीसरी ओर प्राकृतिक चिकित्सा. साथ में अत्याधुनिक मशीनों से जांच की व्यवस्था हेतु पैरामेडिकल स्टॉफ की सुविधा मिलेगी.

क्या-क्या सुविधाएं मिलेंगी? बाबा रामदेव ने बताया
बाबा रामदेव ने बताया, ”यहां कैंसर की सर्जरी को छोड़कर बाकि सारी सर्जरी की व्यवस्था की गई है. भविष्य में कैंसर की सर्जरी सुलभ कराने की भी हमारी योजना है. अत्यंत जटिल मानी जाने वाली ब्रेन, हार्ट और स्पाइन की सर्जरी की व्यवस्था भी इस हॉस्पिटल में उपलब्ध है. साथ ही रोगियों को एमआरआई, सीटी स्कैन, एक्स-रे, अल्ट्रासाउण्ड, पैथोलॉजिकल जांच आदि की सुविधा भी यहां मिल सकेगी.” उन्होंने कहा, ”पूरे विश्व के टॉप पैरामीटर्स का यहां अनुसरण किया गया है. यहां हर दिन सैकड़ों मरीजों की सर्जरी और क्रिटिकल केयर की व्यवस्था है. पतंजलि में बहुत आवश्यक होने पर ही सर्जरी की जाएगी और रोगी हॉस्पिटलों के मनमाने पैकेज के बोझ से भी बच सकेंगे.”
वहीं, आचार्य बालकृष्ण ने कहा, ”चिकित्सा के लिए मॉडर्न मेडिकल साइंस की मात्र 20 प्रतिशत ही आवश्यकता है. इसमें 80 प्रतिशत परंपरागत चिकित्सा को जोड़ दिया जाए तो चार से 5 सालों में ही पूरी दुनिया में चिकित्सा व्यवस्था को व्यवस्थित करने में हम सफल हो जाएंगे. क्रिटिकल केयर के लिए जहां एक ओर मॉडर्न मेडिकल साइंस को हमें स्वीकारना होगा तो वहीं असाध्य समझे जाने वाले रोगों के लिए योग-आयुर्वेद को भी हमें समाधान के रूप में स्वीकार करना होगा. चरक और सुश्रुत संहिता में उल्लिखित है कि चिकित्सक को जो संकल्प दिलाया जाता है, वह किसी पैथी विशेष के लिए नहीं अपितु रोगी को निरोग करने के लिए दिलाया जाता है. आज हमारा चिकित्सकीय ज्ञान पैथियों में बंट चुका है, परंतु लक्ष्य तो पैथियों में बंटना नहीं था. लक्ष्य तो रोगी को निरामय करना था. चिकित्सक का उद्घोष था कि न तो हमें राज्य चाहिए, न स्वर्ग चाहिए, हमें तो बस वह सामर्थ्य चाहिए जो दु:खी, रोगी व पीड़ित के रोग व पीड़ा का शमन कर सके. आज उस भाव के कितने चिकित्सक हैं, यह विचारनीय प्रश्न है.”
रोगियों को आरोग्य प्रदान करना ही हमारा टारगेट- आचार्य बालकृष्ण
आचार्य बालकृष्ण ने आगे कहा, ”बड़े-बड़े अस्पतालों में चिकित्सकों को टार्गेट दिए जाते हैं, हमने पहले ही दिन चिकित्सकों से कह दिया कि यहां आपके लिए कोई टार्गेट नहीं है, केवल एक टार्गेट है- रोगियों को आरोग्य प्रदान करना. हमें एक मिशन के रूप में इस प्रकल्प को सेवा का आदर्श मॉडल बनाना है और पूरे विश्व में इंटीग्रेटेड मेडिकल सिस्टम का एक उदाहरण स्थापित करना है. इसके लिए बहुत सी चुनौतियां हैं, जिनपर हमें विजय प्राप्त करनी है.”
उन्होंने कहा, ”कुछ लोग पूछते हैं कि इस सबके लिए पतंजलि ही क्यों? यह इसिलिए कि हमारे पास हॉस्पिटल के साथ-साथ विश्वस्तरीय अनुसंधान केंद्र है. हमने योग-आयुर्वेद को एविडेंस बेस्ड मेडिसिन के रूप में किसी ने स्थापित किया है. आज हमारे पास रोगियों का विशाल क्लिनिकल डाटा, एविडेंस, बॉयो सेफ्टी लेवल-2 का सर्टिफिकेशन, एनिमल परीक्षण के लिए इन-विवो तथा अन्य प्रयोगशाला जांच के लिए इन-विट्रो अनुंसधान की व्यवस्था है. न्यूक्लियर मैडिसिन और पर्सनाइज़्ड मैडिसिन पर भी पतंजलि अनुसंधान कर रहा है. यह सामर्थ्य पतंजलि के अतिरिक्त किसी अन्य हॉस्पिटल के पास नहीं है. हमारा सालों पुराना सपना साकार होता दिखाई पड़ रहा है. आने वाले दिनों में इंटीग्रेटेड मेडिसिन सिस्टम का प्रतीक बाबा रामदेव और पतंजलि होंगे.”
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