खराब कॉर्निया ट्रांसप्लांट कराकर भी देख सकेंगे नेत्रहीन, डॉक्टरों ने ढूंढ निकाला कमाल का फॉर्म्युला

खराब कॉर्निया ट्रांसप्लांट कराकर भी देख सकेंगे नेत्रहीन, डॉक्टरों ने ढूंढ निकाला कमाल का फॉर्म्युला


नेत्रहीनों को दृष्टि वापस दिलाने के लिए अब उम्मीद की एक नई किरण सामने आई है. हाल ही में आई एक रिसर्च में वैज्ञानिकों ने ऐसा फॉर्म्युला खोज निकाला है, जिसकी मदद से खराब या पूरी तरह से खराब कॉर्निया का भी सफलतापूर्वक ट्रांसप्लांट किया जा सकेगा. अब तक नेत्रहीन मरीजों के लिए केवल हेल्दी कॉर्निया का ही इस्तेमाल संभव था, लेकिन CALEC (Cultivated Autologous Limbal Epithelial Cells) ट्रांसप्लांटेशन नामक इस नई खोज ने यह धारणा बदल दी है.

कॉर्निया क्या है और क्यों होता है नुकसान

कॉर्निया आंख की सबसे पारदर्शी परत होती है, जो रोशनी को आंख के अंदर पहुंचाने में मदद करती है. यह अगर किसी वजह से क्षतिग्रस्त हो जाए तो देखने की क्षमता धुंधली पड़ जाती है और गंभीर मामलों में मरीज अंधेपन का शिकार हो जाते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में करोड़ों लोग कॉर्नियल ब्लाइंडनेस से जूझ रहे हैं और ज्यादातर मामलों में डोनर कॉर्निया की कमी सबसे बड़ी चुनौती है.

CALEC रिसर्च का चौंकाने वाला खुलासा

Mass Eye and Ear, Mass General Brigham और Harvard Medical School के वैज्ञानिकों ने मिलकर एक नई स्टेम-सेल तकनीक विकसित की है. इसमें मरीज की स्वस्थ आंख से लिम्बल स्टेम-सेल लिए जाते हैं और उन्हें लैब में कल्चर कर क्षतिग्रस्त कॉर्निया में ट्रांसप्लांट किया जाता है. इस प्रक्रिया से कॉर्निया के डेड सेल्स हटाकर उसकी संरचना को पुनर्जीवित किया जाता है.

मरीजों पर सफल प्रयोग

Nature Communications जर्नल में प्रकाशित रिसर्च के अनुसार, शुरुआती 3 महीने में 50 प्रतिशत मरीजों की आंखें पूरी तरह से ठीक हुईं. 12 महीने पर यह सफलता 79 प्रतिशत और 18 महीने पर 77 प्रतिशत तक पहुंच गई. कुल मिलाकर 90 प्रतिशत से ज्यादा मरीजों में थोड़ा या पूर्ण सुधार देखने को मिला.

डोनर की कमी होगी दूर

भारत सहित कई देशों में डोनर कॉर्निया की भारी कमी है. आंकड़ों के अनुसार, भारत में हर साल लगभग 1.2 लाख कॉर्निया ट्रांसप्लांट की ज़रूरत होती है, लेकिन केवल 25,000 ही पूरे हो पाते हैं. इस नई तकनीक से खराब कॉर्निया का भी इस्तेमाल किया जा सकेगा और हजारों लोग रोशनी की दुनिया में लौट सकेंगे.

क्या कहते हैं डॉक्टर

एम्स दिल्ली के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. आशीष गुप्ता का कहना है कि CALEC तकनीक नेत्र विज्ञान में क्रांति ला सकती है. अब तक खराब कॉर्निया को बेकार मान लिया जाता था, लेकिन यह रिसर्च उसे फिर से उपयोगी बना रही है. आने वाले समय में इसका बड़े पैमाने पर उपयोग किया जा सकता है.

आगे की चुनौतियां

हालांकि, यह रिसर्च अभी शुरुआती चरण में है और इसे बड़े स्तर पर लागू करने से पहले और क्लिनिकल ट्रायल की ज़रूरत होगी. डॉक्टरों का मानना है कि अगर सब कुछ सफल रहा तो यह तकनीक अगले 5-7 सालों में आम मरीजों के लिए उपलब्ध हो सकती है.

नेत्रहीनों के लिए उम्मीद की किरण

इस रिसर्च ने उन लाखों नेत्रहीन मरीजों के दिलों में नई उम्मीद जगा दी है, जिन्हें अब तक हेल्दी कॉर्निया डोनर का इंतज़ार करना पड़ता था. आने वाले वर्षों में यह तकनीक नेत्र विज्ञान में सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक साबित हो सकती है.

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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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