Christianity and Islam: मरियम ईसा मसीह की मां थी, जो पहली सदी की एक यहूदी महिला थी, ईसाई और इस्लाम धर्म में एक अत्यधिक सम्मानित हस्ती है. मरियम को कुंवारी माता भी कहा जाता है और उनके बारे में ऐसा माना भी जाता है कि मरियम ने ईसा मसीह को एक चमत्कारी रूप से, पवित्र आत्मा से गर्भवती होकर जन्म दिया था.
ईसाई धर्म में, मरियम को ईश्वर की माता कहा जाता है, जो यीशु के दिव्य स्वरूप को स्वीकार करने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. इस्लाम में, कुरान मरियम को दुनिया की महिलाओं में सबसे धर्मी और अल्लाह के जरिए चुनी हुई महिला मानता है.
इस्लाम धर्म में मरियम का महत्व
इस्लाम में, मरियम एक अत्यंत सम्मानित और पवित्र महिला है, जिन्हें अल्लाह ने दुनिया की सभी महिलाओं में से चुना है और उन्हें एक विशेष दर्जा दिया है. वह कुरान में नाम से उल्लेखित एकमात्र महिला है और उनके सम्मान में कुरान का एक पूरा अध्याय सूरह मरियम (अध्याय 19 ) में है.
धार्मिकता और पवित्रता
मरियम को अत्यंत धर्मी और शुद्ध महिला के रूप में देखा जाता है, जो अल्लाह की आज्ञाकारी थी.
अल्लाह पर भरोसा
मरियम की कहानी अल्लाह पर अटूट विश्वास का एक मिसाल है, जैसा कि ईसा के जन्म के समय अकेले होने और अल्लाह के जरिए उनके रास्ते बनाने के वर्णन में देखा जाता है.
साहित्यिक और अध्यात्मिक उल्लेख
कुरान में मरियम का कुल 70 बार उल्लेख किया गया है, जो अन्य पैगंबरों के उल्लेख से कहीं अधिक है. उनके जीवन की कहानी विभिन्न सूरहों में बताई गई है और उनके नाम पर एक अध्याय है.
ईसा की मां
वह पैगंबर ईसा की मां है और उनके जन्म से जुड़ी चमत्कारी घटना इस्लामी विश्वास में महत्वपूर्ण है.
ईसाई धर्म में मरियम का महत्व
ईसाई धर्म में मरियम का अत्यंत महत्व है क्योंकि वह यीशु की मां है और ईश्वर की मां के रूप में पूजनीय है.
यीशु की मां
मरियम का सबसे मौलिक महत्व यह है कि वह ईसा मसीह की मां है, जिन्होंने अल्लाह के वजन को मानवता में सकार किया
ईश्वर की मां
ईसाई धर्म में, खासकर कैथोलिक और रूढ़िवादी परंपराओं में, उन्हें ईश्वर की मां माना जाता है, जो एक पवित्र धार्मिक घोषणा है.
कुवांरी और पवित्र मां
मरियम को सदैव कुंवारी के रूप में भी जाना जाता है, जिनका ईश्वर के अनुग्रह से यीशु का जन्म हुआ, जिसने उनकी पवित्रता और विशेष स्थान का महत्व दर्शाया.
बाइबल और परंपरा में स्थान
मरियम का उल्लेख नया नियम (बाइबल) में मिलता है और कैथोलिक व रूढ़िवादी परंपराओं में उनका बहुत अधिक सम्मान है, जहां उनकी भक्ति में प्रार्थनाएं, पर्व और अन्य प्रथाएं शामिल है.
ये भी पढ़ें: गोलियथ को दाऊद ने कैसे हराया? बाइबिल की कहानी से प्रेरणादायक सबक, साहस और विश्वास की जीत
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.