Pitru Paksha 2025: पितृ पक्ष में मातृ नवमी श्राद्ध क्यों महत्वपूर्ण और ये किसके लिए किया जाता है

Pitru Paksha 2025: पितृ पक्ष में मातृ नवमी श्राद्ध क्यों महत्वपूर्ण और ये किसके लिए किया जाता है


Pitru Paksha 2025 Matru Navami shraddh: पितृ पक्ष की शुरुआत 7 सितंबर से हुई है और 21 सितंबर को यह समाप्त हो जाएगी. पितृ पक्ष के पखवाड़े यानी 15 दिनों में मृत पूर्वजों के श्राद्ध का विशेष महत्व होता है. इस दौरान लोग पूर्वजों की मृत्यु की तिथि के अनुसार श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.

मान्यता है कि श्राद्ध से ही पितृ तृप्त होते हैं और उन्हें मोक्ष मिलता है. पितृ पक्ष की अलग-अलग तिथियों में किए जाने वाले श्राद्ध में एक है नवमी श्राद्ध. इसे मातृ नवमी श्राद्ध के नाम से जाना जाता है. इस साल पितृ पक्ष में मातृ नवमी श्राद्ध सोमवार 15 सितंबर 2025 को किया जाएगा.

मातृ नवमी श्राद्ध मुहूर्त

मातृ नवमी श्राद्ध के लिए 15 सितंबर 2025 को सुबह 11 बजकर 51 मिनट से दोपहर 12 बजकर 41 मिनट तक का समय रहेगा. इसे कुतुप मुहूर्त कहते हैं, जोकि पितरों के श्राद्ध और तर्पण के लिए श्रेष्ठ माना जाता है. इसके साथ ही रौहिण मुहूर्त और अपराह्न काल मुहूर्त में भी श्राद्ध कर सकते हैं.

  • रौहिण मुहूर्त- 15 सितंबर, दोपहर 12:41 से 01:30 बजे
  • अपराह्न काल- 15 सितंबर, दोपहर 01:30 से 03:58 बजे

मातृ नवमी श्राद्ध का महत्व (Matru Navami shraddh Importance)

पितृ पक्ष में मातृ नवमी श्राद्ध मृत माताओं के लिए किया जाता है. पितृ पक्ष की नवमी तिथि पर परिवार की ऐसी महिलाएं जो स्वर्गवासी हो चुकी हैं, उनके लिए (माता, दादी, नानी, बहन, बुआ, चाची, पत्नी आदि) श्राद्ध कर्म किया जा सकता है. या फिर यदि किसी महिला की मृत्यु तिथि याद न हो तो, मातृ नवमी पर उनका श्राद्ध भी करने का विधान है.

मातृ नवमी श्राद्ध परिवार की मृत महिला के प्रति श्रद्धाजंलि देने का माध्यम भी है. इसके अलावा जिन पितरों की मृत्यु किसी भी महीने के नवमी तिथि को हुई हो, उनका श्राद्ध भी इसी दिन होता है. इस दिन किए श्राद्ध से परिवार पर मातृशक्ति का आशीर्वाद बना रहता है और सुख-समृद्धि बढ़ती है.

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