
पुराणों के अनुसार जब कोई व्यक्ति अकाल मृत्यु को प्राप्त होता है और विधिवत उसके अंतिम संस्कार या श्राद्ध की विधि न की जाए तो उसकी आत्म सालों भटकती है और परिवार को कई पीढ़ियों तक सुख में बाधा डालती है.

काशी में पिशाच मोचन नाम का कुंड है जहां पितृ पक्ष या आम दिनों में भी पूजन करने पर इन भटकती आत्माओं को शांत किया जा सकता है साथ ही उनका उधार भी चुकता होता है.

गरुण पुराण के काशी खंड में पिशाच मोचन कुंड का वर्णन है, जहां पितरों की आत्मा की शांति के लिए विशेष श्राद्ध और तर्पण किए जाते हैं पितृ पक्ष में कई लोग यहां अपने असंतुष्ट पितरों को मोक्ष दिलाने के उद्देश्य से आते हैं.

पुराणों के अनुसार स्वयं भगवान विष्णु ने इस कुंड को पिशाच मोचन का वरदान दिया है, ताकि जो कोई भी श्रद्धा से यहां स्नान और पूजा करे, उसके जीवन से अशुभ बाधाएं दूर हों.

कुंड के पास पीपल का एक पुराना वृक्ष है और इसी पर भटकती आत्माओं को बैठाया जाता है. उनका ऋण उतारने के लिए वृक्ष पर सिक्का भी बांधा जाता है. इस कर्म से पितरों के सभी उधार उतर जाते हैं और वे बाधाओं से मुक्त होकर मोक्ष की प्राप्ति कर लेते हैं.

पिशाच मोचन कुंड में त्रिपिंडी श्राद्ध और नारायण बलि के जरिए अतृप्त और अशांत आत्माओं को मोक्ष का रास्ता दिखाया जाता है. मान्यता है कि इस कुंड में एक बार स्नान करने से काशी में 100 बार स्नान के बराबर पुण्य प्राप्त होता है.
Published at : 12 Sep 2025 08:09 AM (IST)