इस्लाम धर्म में ईद-उल-अजहा के मौके पर क्यों दी जाती है जानवरों की कुर्बानी? जानिए वजह

इस्लाम धर्म में ईद-उल-अजहा के मौके पर क्यों दी जाती है जानवरों की कुर्बानी? जानिए वजह


Sacrifice in Islam: कुर्बानी पैगंबर इब्राहिम अलैहिस्सलाम की अल्लाह के प्रति आज्ञाकारिता और समर्पण की याद में की जाती है, जब अल्लाह ने उनसे अपने प्रिय पुत्र हजरत इस्माइल की कुर्बानी मांगी थी और उनके ईमान की परीक्षा ली गई थी.

अल्लाह ने उनकी वफादारी को देखते हुए बेटे की जगह एक जानवर की कुर्बानी करवाई. कुर्बानी का उद्देश्य अल्लाह के प्रति समर्पण दिखाना, गरीबों की मदद करना और अपने घमंड, लालच जैसी बुराइयों का त्याग करना है.

यह आर्थिक रूप से सक्षम मुसलमानों के लिए ‘सुन्नत-ए-इब्राहिमी’ (पैगंबर इब्राहिम की परंपरा) है, जिसे ईद-उल-अजहा के मौके पर किया जाता है.

कुर्बानी क्यों की जाती है?

पैगंबर इब्राहिम अलैहिस्सलाम की याद में
यह कुर्बानी का मुख्य कारण पैगंबर इब्राहिम की कहानी है. अल्लाह ने इब्राहिम को सपने में अपने बेटे इस्माइल की कुर्बानी देने का हुक्म दिया. अल्लाह की राह में अपना सबसे प्रिय बलिदान करने के लिए उन्होंने तुरंत यह फैसला कर लिया. 

अल्लाह के प्रति समर्पण
इब्राहिम अलैहिस्सलाम की यह कहानी दिखाती है कि इंसान को अल्लाह के प्रति पूर्ण समर्पण और आज्ञाकारिता दिखानी चाहिए, यहां तक कि अपनी सबसे प्रिय चीज का त्याग करने के लिए भी तैयार रहना चाहिए. 

आस्था की परीक्षा
यह अल्लाह के जरिए अपनी सृष्टि के इमान और निष्ठा की परीक्षा लेने का एक तरीका था, जिसमें इब्राहिम अलैहिस्सलाम खरे उतरे. 

अल्लाह की कृपा
जब इब्राहिम ने छुरी चलाई, तो अल्लाह ने उनके बेटे इस्माइल की जगह एक दुम्बा (भेड़) भेज दिया. इस वफादारी के बदले अल्लाह ने उनकी कुर्बानी कबूल की और जानवरों की कुर्बानी का आदेश दिया. 

कुर्बानी का महत्व

गरीबों और जरूरतमंदों की मदद
कुर्बानी का मांस तीन हिस्सों में बांटा जाता है. एक हिस्सा गरीबों और जरूरतमंदों को दिया जाता है, जो समाज में भाईचारे और उदारता की भावना फैलाता है. 

आंतरिक त्याग का प्रतीक
कुर्बानी केवल जानवर की बलि देना नहीं है, बल्कि यह अपने अहंकार, घमंड, लालच और नफरत जैसी अपनी आंतरिक बुराइयों का त्याग करने का भी प्रतीक है. 

अल्लाह के साथ रिश्ता मजबूत करना
यह अल्लाह के साथ अपने रिश्ते को मजबूत करने और यह याद रखने का एक तरीका है कि वह सब कुछ से बढ़कर हैं. 

ये भी पढ़ें: जिस्मफरोशी से लेकर नाचने-गाने तक, इन तमाम चीजों पर औरंगजेब ने लगाया था बैन

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.



Source link

Leave a Reply