Nepal History: नेपाल, हिमालय की गोद में बसा वह देश है जिसे सदियों से देवभूमि कहा जाता रहा है. यहां की नदियां, घाटियां और पहाड़ केवल भौगोलिक पहचान भर नहीं हैं, बल्कि वे उन संस्कृतियों और परंपराओं के साक्षी हैं जिनकी जड़ें हजारों वर्षों पीछे तक जाती हैं.
जब यह प्रश्न उठता है कि नेपाल में सबसे पहले कौन सा धर्म आया, तो इतिहास, पुराण और शिलालेख एक ही उत्तर देते हैं कि यहां सबसे पहले वैदिक धर्म, यानी हिंदू धर्म की उपस्थिति रही है.
प्राचीन उल्लेख और वैदिक सूत्र
ऋग्वेद में हिमालय को दिव्यता का प्रतीक बताया गया है. महाभारत में पांडवों की हिमालय यात्रा का उल्लेख है, जबकि स्कंद पुराण स्पष्ट करता है कि ‘हिमालय देवताओं और ऋषियों का वास स्थल है.’ इन ग्रंथों में नेपाल को सीधे-सीधे नाम से नहीं, बल्कि ‘हिमवती’ और ‘किरात प्रदेश’ जैसे शब्दों से संबोधित किया गया. यह संकेत देता है कि नेपाल की भूमि वैदिक परंपरा से गहराई से जुड़ी रही.
पशुपतिनाथ मंदिर: सबसे प्राचीन साक्ष्य
यदि नेपाल की धार्मिक पहचान की बात की जाए, तो सबसे पहले पशुपतिनाथ मंदिर का स्मरण होता है. काठमांडू स्थित यह प्राचीन शिव मंदिर न केवल नेपाल बल्कि पूरे हिंदू जगत के लिए आस्था का केंद्र है. लिंग पुराण और शिव पुराण दोनों में इस स्थल का उल्लेख मिलता है.
स्थानीय मान्यताओं के अनुसार यह स्थान वैदिक काल से ही अस्तित्व में है, जबकि ऐतिहासिक तौर पर 5वीं शताब्दी में लिच्छवि शासकों ने इसका पुनर्निर्माण कराया. इस मंदिर की उपस्थिति यह प्रमाणित करती है कि नेपाल में सबसे पहले शिव पूजा और वैदिक संस्कार ही स्थापित हुए.
लिच्छवि और मल्ल काल की छाप
नेपाल में वैदिक धर्म की उपस्थिति को ठोस रूप देने का श्रेय लिच्छवि शासकों (4वीं–9वीं शताब्दी) को जाता है. उनके द्वारा जारी किए गए शिलालेख आज भी इस बात के प्रमाण हैं कि उस समय विष्णु, शिव और सूर्य जैसे वैदिक देवताओं की पूजा व्यापक रूप से की जाती थी. संस्कृत भाषा और गुप्त लिपि में अंकित वे शिलालेख दर्शाते हैं कि नेपाल की संस्कृति कितनी गहराई से वैदिक परंपराओं से जुड़ी थी.
इसके बाद मल्ल काल (12वीं–18वीं शताब्दी) ने नेपाल को सचमुच मंदिरों की घाटी में बदल दिया. काठमांडू, भक्तपुर और ललितपुर में बने अनगिनत मंदिर आज भी उस दौर के धार्मिक उत्साह की झलक दिखाते हैं. यह वही काल था जब दशैन, तिहार और अन्य प्रमुख हिंदू पर्व राज्य की पहचान का हिस्सा बने.
बौद्ध धर्म और अन्य परंपराओं का आगमन
हिंदू धर्म की नींव रखने के बाद नेपाल में धीरे-धीरे अन्य परंपराएं भी आईं. शाक्य वंश के राजकुमार सिद्धार्थ गौतम, जिन्हें आज पूरी दुनिया बुद्ध के नाम से जानती है, कपिलवस्तु (नेपाल-भारत सीमा) में ही जन्मे. उनके उपदेशों ने बौद्ध धर्म को जन्म दिया, जो नेपाल के लुम्बिनी से पूरी दुनिया में फैला.
हालांकि बौद्ध धर्म ने नेपाल की संस्कृति को गहराई से प्रभावित किया, लेकिन यह भी सच है कि बौद्ध और हिंदू धर्म ने एक-दूसरे से बहुत कुछ ग्रहण किया.
आज भी नेपाल में बुद्ध को विष्णु का अवतार मानने की परंपरा मिलती है. इसके अलावा, नेपाल की मूल जनजातियों की धार्मिक मान्यताओं को किरात धर्म कहा जाता है. इसमें प्रकृति पूजा और पूर्वजों की वंदना प्रमुख थी, लेकिन समय के साथ यह हिंदू और बौद्ध परंपरा में घुल-मिल गई.
मध्यकाल में व्यापारियों के माध्यम से इस्लाम और ईसाई धर्म भी नेपाल पहुंचे, लेकिन इनकी जड़ें सीमित रहीं. नेपाल की जनसंख्या का अधिकांश हिस्सा आज भी हिंदू धर्म से जुड़ा हुआ है.
धार्मिक प्रमाण और सांस्कृतिक धरोहर
नेपाल की पहचान केवल मंदिरों और तीर्थों से नहीं, बल्कि उन ग्रंथों और परंपराओं से भी जुड़ी है जो इसकी गहरी धार्मिक जड़ों का प्रमाण देते हैं. स्कंद पुराण और लिंग पुराण में नेपाल और पशुपतिनाथ का उल्लेख मिलता है.
लिच्छवि कालीन शिलालेखों पर वैदिक मंत्र अंकित हैं. नेपाल के प्रमुख त्योहार…दशैन, तिहार, होली और छठ पूरी तरह से वेद-पुराण आधारित परंपराओं से जुड़े हैं.
विवाह, जन्म और मृत्यु जैसे संस्कार भी वैदिक पद्धति से ही संपन्न होते हैं. इन सब प्रमाणों से स्पष्ट होता है कि नेपाल की धार्मिक आत्मा वैदिक हिंदू धर्म में ही रची-बसी है.
आधुनिक नेपाल और हिंदू पहचान
आज नेपाल दुनिया का एकमात्र हिंदू राष्ट्र माना जाता है. यहां की 80 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या हिंदू धर्म का पालन करती है. राजनीति, सामाजिक व्यवस्था और सांस्कृतिक परंपराएं अब भी वैदिक मूल्यों से गहराई से प्रभावित हैं.
नेपाल का पर्यटन भी इसी धार्मिक पहचान पर आधारित है. हर साल लाखों श्रद्धालु भारत और अन्य देशों से पशुपतिनाथ और जनकपुर की यात्रा करते हैं. लुम्बिनी भी बौद्ध तीर्थ के रूप में उतना ही लोकप्रिय है, लेकिन नेपाल की मूल आत्मा अब भी शिव-पशुपति और वैदिक संस्कृति में निहित है.
नेपाल के इतिहास की गहराई में उतरने पर यह साफ हो जाता है कि सबसे पहले यहां हिंदू धर्म आया और इसकी जड़ें इतनी मजबूत हैं कि तमाम धर्मों के आगमन के बाद भी यह आज तक अडिग है.
बौद्ध धर्म ने इसे और समृद्ध किया, किरात परंपराओं ने इसे स्थानीय स्वरूप दिया, और अन्य धर्मों ने इसमें विविधता जोड़ी. लेकिन नेपाल की मूल पहचान आज भी वैदिक धर्म और शिव-पशुपति की संस्कृति से ही है.
नेपाल के मंदिर, शिलालेख, पर्व-त्योहार और जीवन शैली इस सत्य को पुष्ट करते हैं कि इस देश की आत्मा सदियों पहले जिस हिंदू परंपरा से जुड़ी थी, वही आज भी उसकी धड़कन है.
FAQ
नेपाल में सबसे पहले कौन सा धर्म आया?
नेपाल में सबसे पहले वैदिक परंपरा यानी हिंदू धर्म आया. इसके प्रमाण स्कंद पुराण, लिच्छवि शिलालेख और पशुपतिनाथ मंदिर में मिलते हैं.
क्या बौद्ध धर्म नेपाल से ही फैला?
हां, सिद्धार्थ गौतम का जन्म कपिलवस्तु (नेपाल-भारत सीमा) में हुआ था और बौद्ध धर्म लुम्बिनी से पूरी दुनिया में फैला.
आज नेपाल की धार्मिक पहचान क्या है?
आज नेपाल दुनिया का एकमात्र हिंदू राष्ट्र है, जहां 80 फीसदी से अधिक जनसंख्या हिंदू धर्म का पालन करती है.
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