Delhi Sex Ratio: लड़कियों के जन्म में क्यों होती जा रही कमी? देखिए 2020 से अब तक के चौंकाने वाले आंकड़े

Delhi Sex Ratio: लड़कियों के जन्म में क्यों होती जा रही कमी? देखिए 2020 से अब तक के चौंकाने वाले आंकड़े


Delhi Sex Ratio: कहते हैं बेटियां घर की रौनक होती हैं और समाज का संतुलन बनाए रखती हैं. लेकिन जब जन्म लेने वाली बेटियों की संख्या ही घटने लगे तो आने वाला भविष्य कितना चुनौतीपूर्ण हो सकता है. इसी बीच एक रिपोर्ट में जारी हुए आंकड़े एक गहरी चिंता पैदा कर रहे हैं. साल 2020 में जहां थोड़ी उम्मीद जगी थी, वहीं 2024 आते-आते लड़कियों के जन्म में फिर से कमी देखने को मिली है.

2020 से 2024 तक के आंकड़े

दिल्ली के आर्थिक और सांख्यिकी निदेशालय (Directorate of Economics and Statistics) के मुताबिक, 2020 में Sex Ratio थोड़ा सुधरकर 920 से 933 तक पहुंच गया था. लेकिन 2024 में यह फिर से घटकर 920 पर आ गया. लड़के जहां 1,000 तक दर्ज किए गए, वहीं लड़कियां सिर्फ 920 रह गईं. कुल मिलाकर लड़कों की संख्या 52 प्रतिशत और लड़कियों की संख्या 47 प्रतिशत है. यह गिरावट बताती है कि दिल्ली जैसे बड़े और विकसित माने जाने वाले शहर में भी gender imbalance बढ़ रहा है.

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क्यों हो रही है लड़कियों की पैदाइश में कमी?

  • Son Preference यानी बेटों को प्राथमिकता देना
  • भ्रूण लिंग परीक्षण (भले ही कानूनन गलत हो, लेकिन गुपचुप तौर पर होना)
  • समाज में बेटियों के पालन-पोषण को बोझ समझना
  • आर्थिक और सामाजिक असमानता
  • ये कारण मिलकर एक ऐसी सोच बना रहे हैं जो female birth rate को प्रभावित कर रही है

समाज और परिवार पर असर

जब sex ratio imbalance बढ़ता है तो इसका असर केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं रहता. इसका असर समाज और परिवार दोनों पर गहराई से पड़ता है.

  • शादी करने के लिए लड़कियों की कमी
  • महिलाओं पर बढ़ता दबाव और असमानता
  • मानव तस्करी और अपराधों में इजाफा
  • सामाजिक असंतुलन और मानसिक तनाव
  • सरकार और समाज की जिम्मेदारी
  • सरकार ने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसी योजनाएं चलाई हैं, लेकिन इन पर और ज्यादा काम करने की जरूरत है

लोग कैसे जागरूक होंगे

  • लोगों को awareness campaigns के जरिए जागरूक करना होगा
  • स्कूलों और कॉलेजों में gender equality education को बढ़ावा देना होगा
  • भ्रूण लिंग परीक्षण और इससे जुड़े अपराधों पर सख्ती से रोक लगानी होगी
  • परिवारों को बेटियों को बोझ नहीं, बल्कि अवसर समझने की सोच विकसित करनी होगी

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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.



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