
पहला कदम है किसानों का सही से रजिस्टर होना बैंक खाते का विवरण, IFSC, आधार नंबर और मोबाइल नंबर. केंद्र व राज्य दोनों स्तर पर पोर्टल (जैसे किसान पोर्टल या राज्य DBT पोर्टल) पर ये डेटा इकट्ठा किया जाता है. आधार-बैंक अकाउंट लिंकिंग और KYC वेरिफिकेशन से सुनिश्चित किया जाता है कि पैसा सही व्यक्ति तक पहुंचे.

लाखों रिकॉर्ड भेजने से पहले डेटा क्लीन किया जाता है डुप्लिकेट हटाना, गलत खाते या गलत IFSC चेक करना. कई बार आधार-डेटाबेस और बैंक के रिकॉर्ड को मिलाकर (आधार-बैंक मॅपिंग) सत्यापन किया जाता है ताकि फेल ट्रांजैक्शन कम हों.

सरकार या एजेंसी एक मास्टर फ़ाइल बनाती है, इसमें हर किसान का बैंक, खाते, राशि और भुगतान कोड होता है. यह फाइल मशीन-रीडेबल फॉर्मेट (CSV/Excel/XML) में होती है और बैंक/पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर को भेजी जाती है.

बड़ी संख्या में भुगतान भेजने के लिए नेशनल प्लेटफॉर्म्स काम करते हैं: PFMS / DBT पोर्टल्स सार्वजनिक फंड के भुगतानों का ई-मैनेजमेंट और रिकॉर्ड-कीपिंग. NACH (National Automated Clearing House) बड़े वल्यू और वॉल्यूम वाले बैंक-टू- बैंक ट्रांजैक्शन के लिए. APBS (Aadhaar Payment Bridge System) आधार-आधारित पेमेंट रूटिंग की सुविधा देता है. ये नेटवर्क बैंक और भुगतान एजेंसियों को जोड़ते हैं और फंड्स को क्लियर व सेटेल करते हैं.

जब भुगतान फाइल बैंक के पास जाती है, बैंक के पेमेंट स्विच उसे रूट करता कौन-सा भुगतान NEFT/RTGS/IMPS या NACH के जरिये होगा. बड़े वॉल्यूम वाले क्रेडिट अक्सर NACH/ACH बैच में भेजे जाते हैं; समय-संवेदी रकम IMPS/RTGS से भी जा सकती है. बाद में रिज़र्व बैंक या क्लियरिंग हाउस के माध्यम से अंतर्निहित सेटिलमेंट होता है.

बैंक सफल और असफल दोनों ट्रांजैक्शन का स्टेटस वापस भेजते हैं. सरकार के सिस्टम में रीकन्सिलिएशन होता है किसे पैसा आ गया, किसका पैसा फेल हुआ और रिप्लेमेंट का क्या प्रोसेस है. चुनिंदा मामलों में लाभार्थी को SMS/अलर्ट भेजे जाते हैं.

इन बड़े पैमाने की ट्रांजैक्शन में एन्क्रिप्शन, डिजिटल सिग्नेचर, मल्टी-लेयर ऑथेंटिकेशन और लॉगिंग जरूरी होते हैं. बैंक और पोर्टल फ्रॉड डिटेक्शन एल्गोरिद्म, लिमिट चेक और रेंडम ऑडिट के जरिए गलत प्रयोग को रोकते हैं. यह पूरा सिस्टम बड़े पैमाने पर तेज़ और किफायती ढंग से पैसे पहुंचाता है. इसके लिए बिचौलियों की जरूरत कम होती है और पारदर्शिता बढ़ती है. लेकिन सही डेटा, मजबूत सुरक्षा और प्रभावी रीकन्सिलिएशन न हो तो गलत खातों या फ्रॉड का खतरा भी रहता है.
Published at : 27 Sep 2025 12:42 PM (IST)