Dussehra 2025: शारदीय नवरात्रि के नौ दिन बाद आज यानी 2 अक्टूबर 2025 को विजयदशमी का त्योहार मनाया जा रहा है. देशभर में जगह-जगह रावण का पुतला फूंका जाएगा. वृंदावन संत श्री प्रेमानंद महाराज ने इस मौके पर भक्तों को रावण से जुड़ी एक अनोखी बात बताई है.
पौराणिक कथाओं और हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार रावण महाबलशाली और पराक्रमी था, जिसके पास अपार शक्तियों का भंडार था. बल के साथ बुद्धि में भी रावण अग्राणी था. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि, रावण इतना शक्तिशाली होने के बावजूद भी मारा कैसे गया? आइए जानते हैं इसके बारे में.
व़ृंदावन स्थित श्री राधा हित केलि कुंज आश्रम के प्रेमानंद महाराज प्रतिदिन भक्तों के साथ एकांतिक वार्तालाप करते हैं. इस दौरान उनसे मिलने आए एक भक्त ने महाराज जी से सवाल पूछा कि, रावण इतना बलशाली होने के बावजूद भी मारा कैसे गया?
प्रेमानंद महाराज से जानिए इसका जवाब
जिसके जवाब में प्रेमानंद महाराज ने उत्तर देते हुए कहा कि, पुराने समय में एक से बढ़कर एक योद्ध हुए, जिसमें रावण सबसे अधिक बलशाली और महाप्रतापी था. जिसने शिव-पार्वती समेत कैलाश पर्वत को उठाकर सबको भयभीय कर दिया.
रावण की उन्हीं भुजाओं और सिर को प्रभु श्रीराम ने काटकर फेंक दिया, जब रावण चरित्रहीन बन गया. अगर बल का प्रयोग सामाजिक कार्य के लिए, राष्ट्र की एकता और अखंडता बनाए रखने के लिए किया जाए तो बल की शक्ति 100 गुना बढ़ जाती है.
हमारे भारत और विश्व में एक से बढ़कर एक महाबलि योद्ध हुए हैं. इतने बल के बाद रावण का वध इसलिए हुआ, क्योंकि उसने इसका प्रयोग सत्कर्म कार्यों के लिए नहीं बल्कि लोगों को नुकसान पहुंचाने के लिए किया.
प्रेमानंद महाराज ने आगे कहा कि, हमें कभी भी अपने बल का प्रयोग गलत कार्यों में नहीं करना चाहिए. क्योंकि आज नहीं तो कल आपके कर्मों का हिसाब होगा, तब उस स्थिति में आपका बल धरा का धरा रह जाएगा.
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