बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 के लिए तारीखों का ऐलान कर दिया गया है. दो चरणों में 6 और 11 नवंबर को वोट डाले जाएंगे और 14 नवंबर को नतीजे आएंगे. चुनावी तारीखों के ऐलान के साथ सियासी तापमान बढ़ता जा रहा है. MATRIZE-IANS द्वारा किए गए पहले ओपिनियन पोल ने इस बार की चुनावी तस्वीर का एक शुरुआती अंदाजा पेश किया है. 243 सीटों वाले इस विधानसभा चुनाव में किसे कितना फायदा हो सकता है और कौन सी राजनीतिक पार्टियां आगे हैं, इसकी जानकारी इस सर्वे से सामने आई है.
सीटों का समीकरण: NDA आगे, महागठबंधन पीछे
ओपिनियन पोल के अनुसार, 2025 में NDA को 150-160 सीटें मिल सकती हैं, जबकि महागठबंधन 70-85 सीटों पर सिमट सकता है. अन्य पार्टियों और निर्दलीयों को 9-12 सीटों का लाभ मिलने की संभावना है. पिछली बार 2020 में NDA को 125 सीटें और महागठबंधन को 110 सीटें मिली थीं.
NDA के पक्ष में बढ़त
वोट शेयर के लिहाज से भी NDA आगे दिखाई दे रहा है. इस सर्वे में NDA को 49% वोट मिलने का अनुमान है, महागठबंधन को 36% और अन्य पार्टियों को 15% वोट मिल सकते हैं. 2020 के आंकड़ों के मुताबिक NDA को 37.26%, महागठबंधन को 37.23% और अन्य को 25.51% वोट मिले थे.
CM नीतीश के कामकाज से जनता संतुष्ट?
सर्वे में यह भी देखा गया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कामकाज से 42% लोग बहुत संतुष्ट हैं, जबकि 31% लोग संतुष्ट और 23% असंतुष्ट बताए गए. केवल 4% लोग इस सवाल का जवाब नहीं दे सके.
बिहार का सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा क्या?
मतदाताओं के मुताबिक, बेरोजगारी (24%) इस बार चुनाव का सबसे बड़ा मुद्दा है. इसके अलावा भ्रष्टाचार 10%, प्रधानमंत्री मोदी का चेहरा 9%, शिक्षा 8% और अन्य मुद्दे 49% मतदाताओं के लिए प्राथमिकता में हैं.
मुख्यमंत्री पद की पहली पसंद कौन?
मुख्यमंत्री पद के लिए मतदाताओं की पहली पसंद नीतीश कुमार (42%) रही. तेजस्वी यादव को 15%, प्रशांत किशोर को 9%, चिराग पासवान को 8% और सम्राट चौधरी को 3% वोट मिले. बाकी 23% मतदाता किसी अन्य को प्राथमिकता दे रहे हैं.
PM मोदी की लोकप्रियता का असर
सर्वे में यह भी सामने आया कि 57% लोग मानते हैं कि PM मोदी की लोकप्रियता का बहुत असर पड़ रहा है. केवल 8% ने थोड़ा असर बताया और 21% ने कहा कि कोई असर नहीं है. 14% मतदाता इस सवाल का जवाब नहीं दे पाए.
SIR पर वोटर्स की राय
बिहार में SIR के मुद्दे पर मतदाताओं की राय भी सर्वे में सामने आई. 54% लोग इसे EC का अच्छा कदम मानते हैं. केवल 17% लोगों का मानना है कि SIR जरूरी था, जबकि 13% का कहना है कि इसे केवल चुनावी फायदे के लिए लागू किया गया. 16% मतदाता इस सवाल का जवाब नहीं दे सके.
NDA को फायदा, महागठबंधन को चुनौती?
इस सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि NDA इस बार बढ़त में है और सीटों के लिहाज से महागठबंधन पिछड़ सकता है. वहीं नीतीश कुमार की लोकप्रियता और PM मोदी की छवि NDA के पक्ष में काम कर रही है. चुनावी समीकरण और मतदाता की प्राथमिकताओं को देखते हुए बिहार के 2025 के विधानसभा चुनाव में कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है.
डिस्क्लेमर: बिहार विधानसभा चुनाव के लिए MATRIZE-IANS ने ओपिनियन पोल किया है. ये ओपिनियन पोल बिहार के लोगों से बातचीत के आधार पर तैयार किया गया है. इसके लिए बिहार की सभी 243 सीटों पर 46 हज़ार 862 लोगों से बात की गई. ये सर्वे 18 सितंबर से 5 अक्टूबर के बीच किया गया. ओपिनियन पोल के नतीजों में मार्जिन ऑफ़ एरर प्लस माइनस 3 प्रतिशत है. ये ओपिनियन पोल abp न्यूज ने नहीं किया है.