Pitru Paksha 2025: त्रिपंडी श्राद्ध क्या होता है ? कौन कर सकता है, कहां होता है, इसका महत्व जानें

Pitru Paksha 2025: त्रिपंडी श्राद्ध क्या होता है ? कौन कर सकता है, कहां होता है, इसका महत्व जानें


Pitru Paksha 2025,Tripindi Shradh: 8 सितंबर को आज पितृ पक्ष का पहला यानी प्रतिपदा तिथि का श्राद्ध है. पुराणों के अनुसार देवी-देवता के अलावा पितर ही अपने कुल की रक्षा करते हैं. यही वजह है कि पितरों की आत्मा की शांति के लिए पितृ पक्ष में 16 दिन नियम से तिथि अनुसार श्राद्ध किए जाते हैं. ताकि घर में हर मंगल कार्य में किसी भी तरह के व्यवधान नहीं आए.

भविष्यपुराण में 12 प्रकार के श्राद्ध का वर्णन है. आज हम आपको बता रहे  त्रिपिंडी श्राद्ध के बारे में, आखिर क्यों और किसका होता है त्रिपिंडी श्राद्ध, इसे कौन कर सकता है, इसका महत्व भी जान लें.

त्रिपिंडी श्राद्ध क्या है ?

त्रिपिंडी श्राद्ध का अर्थ है पिछली तीन पीढ़ियों के हमारे पूर्वजों के पिंडदान. अगर पिछली तीन पीढ़ियों से परिवार में यदि किसी का भी बहुत कम उम्र में, बुढ़ापे में या अकाल मृत्यु से निधन हुआ तो उनकी आत्मा की शांति के लिए त्रिपिंडी श्राद्ध करना चाहिए.

क्यों करते हैं त्रिपिंडी श्राद्ध ?

तमोगुणी, रजोगुणी एवं सत्तोगुणी – ये तीन प्रेत योनियां हैं. इन तीनों प्रकार की प्रेतयोनियो की पिशाच पीड़ा के निवारण के त्रिपिंडी श्राध्द किया जाता है. कोई भी आत्मा जो अपने जीवन में शांत नहीं है और शरीर छोड़ चुकी है, भविष्य की पीढ़ियों को परेशान करती है. इसलिए त्रिपिंडी श्राद्ध की सहायता से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति करवाई जाती है. ऐसा न करने पर वंशज को पूर्वज दोष के कारण तमाम कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.

पितृ पक्ष में कब करना चाहिए त्रिपिंडी श्राद्ध ?

पितृ पक्ष में त्रिपिंडी श्राद्ध पंचमी, अष्टमी, एकादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी और अमावस्या में से किसी भी दिन किया जा सकता है.

कहां करें त्रिपिंडी श्राद्ध ?

त्रिपिंडी श्राद्ध त्र्यम्बकेश्वर में ही किया जाता है. जो भगवान शिवजी का पवित्र स्थान है. इसमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश (रुद्र) की विशेष पूजा होती है.

कौन कर सकता है त्रिपिंडी श्राद्ध ?

अविवाहित व्यक्ति (महिलाएं नहीं), पति पत्नी जोड़ी से, विधवा यह विधि अपने पूर्वजों को मोक्ष दिलाने और परिवार कल्याण के लिए कर सकते है.

Sarva Pitru Amavasya 2025: सर्व पितृ अमावस्या कब ? जानें डेट, मृत्यु तिथि याद न हो तो इस दिन श्राद्ध करना श्रेष्ठ

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.



Source link

Leave a Reply