दुनिया भर में लाखों महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर से जूझ रही हैं. इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर के अनुसार, दुनिया की हर 20 में से एक महिला को ब्रेस्ट कैंसर होने की आशंका है. कई देशों में यह महिलाओं की मौत का सबसे बड़ा कारण बन चुका है. लेकिन अब विज्ञान ने एक नई रिसर्च की है जो ब्रेस्ट कैंसर को जड़ से खत्म करने की एक वैक्सीन यानी टीका बनने की है. इसके चलते आने वाले कुछ सालों में यह वैक्सीन कैंसर के इलाज का एक बड़ा हिस्सा बन सकती है. डॉ. नोरा डीसीस, जो कि अमेरिका की वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी में कैंसर वैक्सीन इंस्टीट्यूट की प्रमुख हैं मीडिया से बात करते हुए कहती हैं कि हम एक अहम मोड़ पर आ चुके हैं. उनके मुताबिक, अगले दशक में कैंसर वैक्सीन आम इलाज का हिस्सा बन सकती है.
वैक्सीन क्या है और यह कैंसर पर कैसे असर करती है?
ज्यादातर खसरा, पोलियो या मैनिनजाइटिस जैसी बीमारियों से बचाव के लिए वैक्सीन दी जाती है, जो हमारे शरीर के इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाती है. लेकिन कैंसर के मामले में ऐसा करना आसान नहीं होता क्योंकि कैंसर शरीर की अपनी ही कोशिकाओं से शुरू होता है, किसी बाहरी वायरस या बैक्टीरिया से नहीं. यही कारण है कि कैंसर वैक्सीन बनाना काफी मुश्किल और महंगा है. इन वैक्सीन को अक्सर हर मरीज के ट्यूमर के हिसाब से खास तौर पर तैयार करना पड़ता है.
कैंसर कोशिकाओं में कुछ खास प्रोटीन होते हैं जो सामान्य कोशिकाओं में नहीं पाए जाते हैं. वैज्ञानिक इन्हीं खास प्रोटीन को पहचान कर वैक्सीन बनाते हैं. यह वैक्सीन शरीर के इम्यून सिस्टम को सिखाती है कि वो उन खास कैंसर कोशिकाओं को पहचानें और उन पर हमला करें. इस तरह शरीर खुद कैंसर से लड़ना सीखता है.
अब तक कौन-कौन सी वैक्सीन सामने आई हैं?
1.वोकवेक वैक्सीन – डॉ. नोरा डीसीस की टीम का प्रयास है. यह वैक्सीन उन महिलाओं पर टेस्ट की जा रही है जिनमें HER2 पॉजिटिव ब्रेस्ट कैंसर पाया गया है. HER2 एक ऐसा प्रोटीन है जो ब्रेस्ट कैंसर की कोशिकाओं को तेज़ी से बढ़ने में मदद करता है. मरीजों को कीमोथेरेपी और सर्जरी के साथ-साथ यह वैक्सीन भी दी गई. शुरुआती नतीजों में यह वैक्सीन कारगर साबित हो रही है.
2. अल्फा-लैक्टाल्ब्यूमिन वैक्सीन – क्लीवलैंड क्लिनिक और एनीक्सा बायोसाइंसेज की खोज हैं. यह एक पेप्टाइड-बेस्ड वैक्सीन है. यह खासतौर पर ट्रिपल नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर (TNBC) के खिलाफ बनाई गई है, जो ब्रेस्ट कैंसर का सबसे खतरनाक रूप है. इसमें ब्रेस्ट मिल्क के एक खास प्रोटीन को टारगेट किया जाता है, जो TNBC में पाया जाता है. यह वैक्सीन शरीर को सिखाती है कि वह इस प्रोटीन को पहचान कर हमला करें.
वैक्सीन के शुरुआती नतीजे कितने असरदार हैं?
क्लिनिकल ट्रायल में भाग लेने वाली 70 प्रतिशत महिलाओं के इम्यून सिस्टम ने कैंसर कोशिकाओं की पहचान की और उन पर हमला किया.वैक्सीन के साइड इफेक्ट बहुत ही कम पाए गए हैं. कुछ मरीज, जैसे डायना इनिस, जो स्टेज-3 कैंसर से जूझ रही थीं, वैक्सीन लेने के बाद पिछले 3 साल से कैंसर-मुक्त हैं. हालांकि भी वैक्सीन फेज-2 ट्रायल में हैं यानी शुरुआती नतीजे अच्छे हैं, लेकिन बड़े स्तर पर जांच बाकी है. 2026 में फेज-2 ट्रायल का अगला चरण शुरू होगा, जिसमें प्लेसिबो ग्रुप भी होगा. फेज-3 ट्रायल के बाद ही वैक्सीन को लाइसेंस मिल सकेगा और बाजार में आ पाएगी.
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