12 मिनट पहलेलेखक: अमित कर्ण
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बी.आर. चोपड़ा की टीवी सीरीज ‘महाभारत’ में ‘कर्ण’ का किरदार निभाने वाले एक्टर पंकज धीर का बुधवार को निधन हो गया। उनके निधन के बाद ‘महाभारत’ में उनके साथ काम करने वाले एक्टर नीतिश भारद्वाज और गजेंद्र चौहान ने दुख जताया। साथ ही दोनों ने दैनिक भास्कर से बात करते हुए उनसे जुड़े कई किस्से शेयर किए।
नीतिश भारद्वाज ने कहा कि ‘महाभारत’ में कर्ण का किरदार इतना प्रतिष्ठित था कि वे दोनों अक्सर इस पर चर्चा करते थे। ‘कर्ण’ और ‘कृष्ण’ दोनों ही महाभारत के केंद्रीय पात्र थे। नीतिश के अनुसार, पंकज धीर की विशेषता यह थी कि वह कर्ण को ‘कृष्ण के दृष्टिकोण’ से समझना चाहते थे।
उस सीन की तैयारी को याद करते नीतिश भारद्वाज ने कहा कि जब कृष्ण कर्ण को उनकी असली पहचान बताते हैं कि वह राधेय नहीं, बल्कि कुंती पुत्र (कौन्तेय) और पांडव हैं। उस सीन से पहले पंकज धीर ने डायरेक्टर रवि चोपड़ा के साथ चर्चा की। इसके बाद, पंकज धीर स्वयं नीतिश भारद्वाज के घर आए थे, जहां उन्होंने दो दिनों तक कर्ण के किरदार को लेकर गहन चर्चा की थी।
नीतिश ने बताया कि वह समझना चाहते थे कि कर्ण के मन में भावनाओं का असंतुलन या द्वंद्व कैसे होना चाहिए, जब कृष्ण उन्हें सच्चाई बताएंगे। नीतिश के अनुसार, एक अभिनेता के लिए अपने चरित्र को दूसरे महत्वपूर्ण पात्र (कृष्ण) की नजर से समझना ही पंकज धीर की महानता थी।

‘महाभारत’ के अलावा, नितीश भारद्वाज ने विष्णु पुराण जैसे धार्मिक शो में काम किया है।
पंकज धीर के अभिनय शैली पर बात करते हुए नीतिश भारद्वाज ने कहा कि उन्होंने कर्ण के चरित्र को बहुत मजबूती से निभाया। शूटिंग के दौरान की यादें साझा करते हुए, नीतिश भारद्वाज ने बताया कि ‘महाभारत’ की शूटिंग लगभग ढाई से तीन साल (1988 से 1991 के आसपास) चली थी। उन्होंने पंकज धीर को एक बहुत ही सीधा-सादा और एक्सट्रीम सेंस ऑफ ह्यूमर वाला व्यक्ति बताया।
शूटिंग के दौरान बेहद व्यस्त शेड्यूल होने के बावजूद, सेट पर खूब हंसी-मजाक का माहौल रहता था। नीतिश के अनुसार रवि चोपड़ा, पंकज धीर, पुनीत इस्सर, अर्जुन फिरोज खान और वे स्वयं पांच लोग थे जो अक्सर हंसी-मजाक करते रहते थे। इसमें पंकज धीर का योगदान सबसे ज्यादा था।
नीतिश भारद्वाज ने भावुक होते हुए कहा, “हमने कभी-कभी तो 36 घंटे लगातार काम किया है। इतना बिजी शेड्यूल था। इस सब के बीच में ये ठिठोली, ये सेंस ऑफ ह्यूमर… हम एक-दूसरे पर जोक्स करते थे। मित्रता का यह वातावरण ही आज याद आ रहा है।”
पंकज धीर को कभी उदास नहीं देखा
पंकज धीर के व्यक्तिगत जीवन के बारे में बात करते हुए नीतिश ने कहा कि एक एक्टर के तौर पर वह गंभीर किरदार (क्रोधित कर्ण) निभा रहे थे, लेकिन एक इंसान के तौर पर पंकज धीर को मैंने कभी उदास नहीं देखा। वह हमेशा हंसते रहते थे।
अधूरी रह गई पंकज धीर से मुलाकात की इच्छा
अंत में नीतिश भारद्वाज ने बताया कि ‘महाभारत’ के बाद भी कुछ लोगों से उनकी घनिष्ठता बनी रही। वह और पुनीत इस्सर आज भी थिएटर करते हैं और मिलते रहते हैं। पंकज धीर भी उनके हिंदी नाटक ‘चक्रव्यूह’ को देखने की इच्छा रखते थे। उन्होंने कहा कि मैंने उन्हें 2 नवंबर को मुंबई के अगले शो के लिए बुलाने का वादा किया था। पर अब यह हादसा हो गया है। पंकज धीर के निधन से भारतीय टेलीविजन के एक स्वर्ण युग का अंत हो गया है। उनके निभाए कर्ण के किरदार को सदा याद रखा जाएगा।
वहीं, पंकज धीर के निधन महाभारत एक्टर गजेंद्र चौहान ने कहा कि पंकज धीर के निधन मेरे दिल में दुःख के साथ-साथ एक गहरी पीड़ा भी हो रही है। पंकज धीर पर्दे पर जितने गंभीर दिखते थे, असल जीवन में वह उतने ही अच्छे सेंस ऑफ ह्यूमर वाले इंसान थे। आज मुझे महसूस हो रहा है कि ‘महाभारत’ का हमारा परिवार टूट रहा है। एक-एक सदस्य हम सबको छोड़कर जा रहा है। यह बहुत तकलीफदेह है।
गजेंद्र चौहान ने बताया कि पंकज धीर सेट पर सहज और नेचुरल थे
गजेंद्र चौहान ने कहा कि ‘महाभारत’ की टीम सिर्फ एक्टर्स का एक ग्रुप नहीं थी। यह सचमुच में एक परिवार था। हम मुंबई के बाहर से आए लोग थे, हमने अपना करियर मुंबई में बनाया, तो यही साथी, यही कलाकार हमारे भाई थे, हमारा परिवार थे। हम सब हफ्ते में या पंद्रह दिन में एक-दूसरे के यहां गेट-टुगेदर और पार्टियां करते थे। वो एक ऐसा साथ था जिसे कभी भूला नहीं जा सकता।
गजेंद्र चौहान ने कहा कि मुझे याद है, जिस दिन पंकज जी का सिलेक्शन हुआ, मैं रणभूमि की शूटिंग कर रहा था। अचानक मैंने देखा कि एक आदमी बहुत ही मॉडर्न लुक में, हेडबैंड लगाए, चश्मा पहने आया। मैंने किसी से पूछा कि यह कौन है? उन्होंने बताया कि ये पंकज धीर हैं, जो कर्ण का रोल करेंगे। मैंने मजाक में कहा था, ‘यार, ये तो बहुत हैंडसम है, हम लोगों को खा जाएगा।’ मेरे मन में एक डर-सा बैठ गया था। लेकिन जब उनसे मिला, तो पाया कि वह बड़े दिल का आर्टिस्ट थे।
खास बात यह है कि पंकज धीर को कर्ण के रोल के लिए पहले ही प्रयास में चुन लिया गया था।

‘महाभारत’ के अलावा, गजेंद्र चौहान ने पेइंग गेस्ट, कानून और संकटमोचन महाबली हनुमान जैसे शो में काम किया है।
गजेंद्र चौहान ने बताया कि सेट पर पंकज धीर के काम करने का तरीका बहुत सहज था। हम सब ने मिलकर एक ऐसा माहौल बनाया था कि लाइटमैन, स्पॉटबॉय, टेक्नीशियन सब देखते थे कि आज कौन डायलॉग भूलेगा। जब हम चार-पांच मुख्य कलाकारों (अर्जुन, कृष्ण, दुर्योधन, कर्ण और मैं) का सीन होता था, तो उन्हें बहुत मजा आता था, क्योंकि हमारी एक्टिंग बिल्कुल ‘नेचुरली’ निकलती थी।
शायद इसी आपसी विश्वास और सहजता के कारण ही देश की जनता को लगा कि यह शूटिंग नहीं चल रही है, बल्कि ‘महाभारत हो रही है’।
गजेंद्र चौहान ने बताया कि सीरियल की पॉपुलैरिटी के बाद, हां, मुझे और पंकज जी को काम मिलने में थोड़ी देरी हुई। मुझे तो लगभग सात-आठ महीने लगे थे। इसकी वजह यह थी कि सारे प्रोड्यूसर-डायरेक्टर सोच रहे थे कि हमें कहां कास्ट करें? हमारी इमेज इतनी मजबूत बन गई थी कि वे कन्फ्यूज थे कि बाप के रोल में लें या भाई के रोल में, लेकिन उसके बाद जो काम मिला, वह अनगिनत था। पंकज जी तो बीमारी पकड़ने से पहले तक लगातार काम कर रहे थे क्योंकि मेरा मानना है कि अगर आर्टिस्ट अच्छा हो और उसका नेचर अच्छा हो, तो काम कभी रुकता नहीं है।
गजेंद्र चौहान ने कहा कि पंकज और मेरी दोस्ती बहुत गहरी थी। मेरी वाइफ और उनकी वाइफ भी बहुत अच्छी दोस्त थीं। मुझे याद है, शुरुआती दौर में पंकज अपने बेटे निकितिन धीर को डांस सिखाने के लिए मेरी पत्नी के पास लाए थे। हम लोग हक से एक-दूसरे के घर जाते थे।