22 मिनट पहलेलेखक: आशीष तिवारी
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सीनियर आईआरएस अधिकारी समीर वानखेड़े ने दैनिक भास्कर से खास बातचीत में अपने न्यायिक संघर्ष, आरोपों और देशसेवा की भावना पर खुलकर बात की। उन्होंने साफ कहा— “सच को दबाया जा सकता है, लेकिन हराया नहीं जा सकता।”
हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट ने वानखेड़े के पक्ष में फैसला सुनाते हुए यूनियन ऑफ इंडिया पर कॉस्ट लगाई और टिप्पणी भी की। इस पर वानखेड़े ने कहा— “यह सच की जीत की शुरुआत है।”
वहीं, शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान द्वारा निर्देशित वेब सीरीज ‘द बैड्स ऑफ बॉलीवुड’ के खिलाफ दायर वानखेड़े का मानहानि मुकदमा भी दिल्ली हाई कोर्ट में लंबित है। बातचीत में उन्होंने इस सीरीज में राष्ट्रीय प्रतीक ‘सत्यमेव जयते’ के कथित अपमान को लेकर दर्ज अपनी याचिका और उस पर चल रही अदालती बहस का भी जिक्र किया।
वानखेड़े ने कहा कि उन्हें छत्रपति शिवाजी महाराज और डॉ. बी. आर. आंबेडकर से गहरी प्रेरणा मिलती है। आर्यन खान केस, झूठे आरोपों, ट्रोलिंग और परिवार पर हुए व्यक्तिगत हमलों के बावजूद वे डटे हुए हैं। वे कहते हैं— “मैं सच्चाई के लिए लड़ रहा हूं और मुझे न्याय व्यवस्था पर पूरा भरोसा है।”
पढ़िए समीर वानखेड़े से हुई बातचीत के कुछ और प्रमुख अंश..

सवाल: अदालत का जो फैसला आया है, उसमें कोर्ट ने यूनियन ऑफ इंडिया पर कुछ बातें कही हैं। इस फैसले पर आपकी क्या राय है?
जवाब: मैं बस इतना कहना चाहूंगा कि सच को दबाया जा सकता है, लेकिन हराया नहीं जा सकता। यह सिद्धांतों की लड़ाई है। मुझे हमारी न्याय प्रणाली पर पूरा भरोसा और गर्व है। हो सकता है सच सामने आने में थोड़ा वक्त लगे, लेकिन आखिर में सच ही जीतता है। हम इस लड़ाई को जारी रखेंगे, और जीत हमेशा सच की ही होगी।
सवाल: क्या आपको लगता है कि आपके प्रमोशन को रोकने के पीछे कोई साजिश या जानबूझकर किया गया हस्तक्षेप है?
जवाब: इस विषय पर मैं कुछ कहना ठीक नहीं समझता। माननीय दिल्ली हाईकोर्ट ने आदेश दिया है और उस पर कॉस्ट भी लगाई है। क्योंकि यह एक न्यायिक आदेश है, इसलिए उस पर मैं कोई टिप्पणी नहीं कर सकता।
सवाल: लेकिन यूनियन ऑफ इंडिया पर 20,000 रुपए का जुर्माना लगना, क्या ये बात कहीं न कहीं आपके पक्ष में जाती है? क्या आगे चलकर फैसला पूरी तरह आपके हक में आ सकता है?
जवाब: देखिए, क्योंकि ये अदालत का आदेश है, इसलिए मैं उस पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकता। आप खुद ऑर्डर पढ़ सकते हैं।
सवाल: आप अभी चेन्नई में तैनात हैं। क्या ये भी राजनीति का हिस्सा है कि कुछ लोग नहीं चाहते कि आप मुंबई लौटें? क्योंकि अगर आप मुंबई आएंगे, तो ड्रग माफिया और दूसरी गलत चीजों पर फिर से कार्रवाई शुरू होगी, इसलिए कुछ लोग आपको मुंबई आने से रोकना चाहते हैं?
जवाब: मैं बस इतना जानता हूं कि मैं सरकार का एक अधिकारी हूं। सेंट्रल सिविल सर्विसेस का हिस्सा हूं, एक सरकारी कर्मचारी हूं। जहां भी मेरी ड्यूटी लगती है, वहां मैं ईमानदारी से काम करता हूं। मैं सैलरी पर काम करने वाला सरकारी नौकर हूं, जनता की सेवा करना ही मेरा काम है। हमारी पोस्टिंग कहीं भी पूरे देश में हो सकती है। इसलिए जहां भी मुझे भेजा जाएगा, मैं पूरी निष्ठा से काम करूंगा। बाकी जो आपने साजिश वगैरह की बात कही, उस पर मैं कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता।
सवाल: आर्यन खान केस के बाद से मीडिया और कुछ राजनीतिक लोगों ने आपको लगातार टारगेट किया है। कभी आपके कपड़ों, तो कभी विदेश यात्राओं को लेकर। आप क्या कहना चाहेंगे?
जवाब: मैं छत्रपति शिवाजी महाराज और डॉ. बी.आर. आंबेडकर का बड़ा अनुयायी हूं। बचपन से उन्हीं के सिद्धांतों पर चलना सीखा है और आज भी वही करता हूं। अब जब आप ईमानदारी से कोई काम करते हैं और लोग आपके कपड़ों या परिवार को लेकर बातें बनाते हैं, तो समझ आता है कि आरोप कितने गंदे और झूठे हो सकते हैं।
जिन लोगों ने मेरे ऊपर आरोप लगाए, मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि क्या किसी अच्छे परिवार से आना और देश की सेवा के लिए सिविल सर्विसेज में आना कोई अपराध है?
मेरी मां एक बहुत अच्छे परिवार से हैं और मेरे पिता बहुत ही हंबल पृष्ठभूमि से आए हैं। अगर मैं अच्छे परिवार से हूं, इसका मतलब ये नहीं कि मेरे कपड़े, मेरा रहन-सहन या मेरी यात्राएं भ्रष्टाचार से जुड़ी हैं। यह सोचना गलत है। आरोप लगाने वालों को अपना नजरिया साफ करना चाहिए और दिमाग से यह गंदगी निकालनी चाहिए।
सवाल: आपकी जाति को लेकर भी सवाल उठाए गए, और बहुत सारी बातें आपके परिवार से जोड़ी गईं। क्या कहना चाहेंगे?
जवाब: हां, मुझ पर और मेरे परिवार पर बहुत झूठे आरोप लगाए गए। मेरी दिवंगत मां, पिता, बहन, मेरी पत्नी,सब पर बातें की गईं। लेकिन इनमें से कुछ भी साबित नहीं हुआ। मेरे जाति प्रमाण पत्र गलत बताया गया। लेकिन 12 अक्टूबर 2022 को माननीय जाति जांच समिति ने इन सारे आरोपों को पूरी तरह गलत बताया और मुझे क्लीन चिट दे दी थी।
सवाल: आपके सीनियर्स ने भी आप पर आरोप लगाए थे। उन्होंने साथ क्यों नहीं दिया?
जवाब: मैं उस पर ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहता, लेकिन इतना बताना चाहूंगा कि दिल्ली हाई कोर्ट के दो आदेशों में 2024 में उन रिपोर्ट्स को गलत और गैरकानूनी बताया गया था।
सवाल- आपकी टीम में ही संजय सिंह और ज्ञानेश्वर सिंह थे?
जवाब- हां, पर मैं उन पर टिप्पणी नहीं करूंगा। कोर्ट ने उनकी रिपोर्ट को गैरकानूनी और अस्वीकार्य बताया है।
सवाल: कुछ लोग कहते हैं कि आप ईमानदार और देशभक्त अधिकारी हैं, जो समाज से ड्रग्स जैसी बुराइयां खत्म करने के लिए काम करते हैं। लेकिन कुछ लोग यह भी बोलते हैं कि आप खुद को हाईलाइट करने के लिए सिर्फ बॉलीवुड या हाई-प्रोफाइल केस में इनवॉल्व होते हैं। इस पर आपका क्या कहना है?
जवाब: देखिए, मैं खुद कोई केस नहीं चुनता। मुझे जो जिम्मेदारी दी जाती है, वही निभाता हूं। मैं केवल सिस्टम का एक छोटा हिस्सा हूं। अगर किसी सेलिब्रिटी ने कानून तोड़ा है, तो क्या उसे छोड़ देना चाहिए? नहीं। कानून सबके लिए बराबर है। मेरे करियर में करीब साढ़े तीन हजार केस हुए हैं, जिनमें ज्यादातर का बॉलीवुड से कोई लेना-देना नहीं था। मीडिया उन्हीं मामलों में दिलचस्पी लेती है जिनका पब्लिक फेस वैल्यू ज्यादा होता है। मैं उसके लिए जिम्मेदार नहीं हूं।
सवाल: आपने जाकिर नाइक और कई दूसरे मामलों को भी एक्सपोज किया?
जवाब: हां, ये सब टीमवर्क होता है। हमने गैंगस्टर्स, एंटी-नेशनल्स, फेक करेंसी, गोल्ड और ड्रग्स जैसे कई मामलों पर काम किया है। ये जरूरी नहीं कि हर केस में कोई सेलिब्रिटी हो। संविधान में सब बराबर हैं। कानून सब पर समान रूप से लागू होता है।
सवाल: आपके आलोचक आपकी लाइफस्टाइल और पहनावे पर टिप्पणी करते हैं, क्या कहना चाहेंगे?
जवाब: तो क्या फटे कपड़े पहनूं दिखावे के लिए? मेरी पत्नी कमाती हैं, मेरी अच्छी सैलरी है, प्रॉपर्टी से रेंट आता है, तो गरीब दिखने का नाटक क्यों करूं? जो आलोचना करें, उन्हें मेरी शुभकामनाएं।
सवाल: लोग अक्सर शाहरुख खान और खासकर आर्यन खान के केस को लेकर बातें करते हैं। कुछ लोग कहते हैं कि उसमें पैसे या बाकी चीजें जुड़ी थीं। इस पर आपका क्या कहना है?
जवाब: मामला हाई कोर्ट में लंबित है, इसलिए इस पर बोलना उचित नहीं। कोर्ट का आदेश सबके लिए स्पष्ट होगा। इतना कहूंगा कि सच की जीत जरूर होगी और झूठे आरोपों का जवाब मिलेगा।

सवाल:’सत्यमेव जयते’ शब्द को लेकर आपने कोर्ट में याचिका लगाई है, क्योंकि ‘बैड्स ऑफ बॉलीवुड’ में इसका मजाक बनाया गया। इस पर आप क्या कहना चाहेंगे?
जवाब: देखिए, ‘सत्यमेव जयते’ सिर्फ अधिकारियों या यूनिफॉर्म वालों के लिए नहीं है, बल्कि हर उस नागरिक के रगों में बसता है जो अपने देश से प्यार करता है। हमारे राष्ट्रीय प्रतीक का मजाक कोई बर्दाश्त नहीं करेगा। इसलिए मैंने जो कार्रवाई की है, उसे कोर्ट में रखा है और अब उसके नतीजे का इंतजार करूंगा।
सवाल: क्या आपकी भावनाएं आहत हुईं?
जवाब: हां, बिल्कुल हुईं! बहुत ज्यादा दुख पहुंचा, क्योंकि जो लोग यूनिफॉर्म पहनते हैं या सिविल सर्वेंट हैं, उनकी सांसों में सत्यमेव जयते (Satyamev Jayate – “Truth Alone Triumphs”) बसा होता है।
सवाल: आपने वो सीन देखा या आपके परिवार ने देखा होगा, क्या वो गलत तरीके से दिखाया गया?
जवाब: मैं इस पर कुछ नहीं कहना चाहूंगा, क्योंकि मामला हाई कोर्ट में है और मैंने सिविल सूट दायर किया हुआ है। ऐसे समय में कुछ कहना ठीक नहीं होगा।
सवाल: क्या आपको लगता है कि ईमानदार अफसरों और सिविल सर्विस के लोगों को गलत तरीके से दिखाया जा रहा है?
जवाब: हां, मुझे ऐसा ही लगता है। मैं सिर्फ ‘सत्यमेव जयते’ और हमारे नेशनल एम्ब्लेम की बात कर रहा हूं। इसे लेकर मैंने कोर्ट का रुख भी किया है।
सवाल: आजकल फैन पेज और ट्रोल्स से धमकियां मिलती हैं, क्या कहना चाहेंगे?
जवाब: हां, कई बार कुछ फैन क्लब्स या यूनिवर्स ग्रुप्स से गालियां और धमकियां मिलती हैं। मेरे परिवार – पत्नी और बहन तक को सोशल मीडिया पर अपशब्द भेजे जाते हैं। इसलिए मैंने परिवार के सम्मान की रक्षा के लिए कोर्ट का रुख किया। कुछ धमकियां बाहर के देशों, जैसे बांग्लादेश, यूएई और पाकिस्तान से भी आती हैं, जिनकी जानकारी हम पुलिस को देते रहते हैं।

सवाल: लोग कहते हैं कि हमेशा आपको ही क्यों निशाना बनाया जाता है? इतने सारे अफसर हैं, पर आप ही क्यों टारगेट होते हैं?
जवाब: मैं इस पर क्या कहूं? बाकी अफसर भी अपना काम ईमानदारी से कर रहे हैं। मैं उन पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता।
सवाल: आपको नहीं लगता कि आप ज्यादा साजिश की बातों और राजनीति में उलझ जाते हैं?
जवाब: अभी मेरे सामने कुछ चुनौतियां हैं। मैं एक सरकारी अधिकारी हूं, और सरकारी अधिकारी जनता की निगरानी के लिए हमेशा खुला रहता है। जो भी आरोप मुझ पर लगाए गए हैं, उनका जवाब मैं अदालत में दूंगा। संघर्ष जो है, वो मैं जारी रखूंगा। मुझे न इससे डर है, न शर्म, और न ही कोई चिंता।
सवाल: फिल्म स्टार, समीर वानखेड़े का नाम सुनकर घबरा जाते हैं। क्या यह सुनकर आपको अच्छा लगता है?
जवाब: नहीं, बिल्कुल नहीं। मैं ऐसी बातों को गंभीरता से नहीं लेता। जैसा कि मैंने कहा, अगर किसी ने कोई गैरकानूनी काम या अपराध किया है, तो उसके लिए कानून और नियम बने हैं। जो एक्शन लिया जाता है, वह सबके लिए बिना किसी पक्षपात के एक जैसा होता है।
सवाल: अब आप चेन्नई में हैं, जहां साउथ की बड़ी फिल्म इंडस्ट्री है। वहां तो कभी ऐसे विवाद सुनने में नहीं आते, जैसे मुंबई में आपके नाम से जोड़े जाते हैं?
जवाब: आपने खुद ही अपने सवाल में जवाब दे दिया। हम जहां काम करते हैं, वही अपना दायित्व निभाते हैं। चेन्नई में न ऐसा कुछ हुआ है, न होगा। हम वही करते हैं जो हमें आदेश मिलता है।
सवाल- आप तो मुंबई में पले-बढ़े हैं और यहां काफी वक्त तक काम भी किया है। आपके अनुभव से बताइए कि मुंबई में जो ड्रग्स का कारोबार चल रहा है, वो कैसे खत्म हो सकता है?
जवाब- ड्रग्स आज सबसे बड़ा और खतरनाक मुद्दा है, जो हमारी युवा पीढ़ी पर सीधा असर डाल रहा है। इसे खत्म करने के लिए दो चीजें जरूरी हैं। कड़े कानून का लागू होना और लोगों में जागरूकता। पुलिस, नेवी, कोस्ट गार्ड रोज बरामदगियां कर रहे हैं, लेकिन जब तक माता-पिता, कॉलेज और समाज मिलकर जागरूकता नहीं फैलाएंगे, तब तक ये समस्या पूरी तरह खत्म नहीं होगी।
सवाल- सुशांत सिंह राजपूत केस के बाद फिल्म इंडस्ट्री पर आरोप लगे, लेकिन कार्रवाई क्यों नहीं दिखी?
जवाब- असल में, ये समस्या सिर्फ फिल्म इंडस्ट्री की नहीं, पूरे समाज की है। स्कूल, कॉलेज, सभी जगह है। हर केस की अपनी प्रक्रिया होती है। पुलिस जांच करके कोर्ट में पेपर देती है। कोर्ट फैसला लेती है। कभी बेल मिलती है, कभी नहीं। हर बार पुलिस या एजेंसियां ही दोषी नहीं होतीं। कुछ अपराध बेल वाले होते हैं, कुछ नहीं। इसलिए हर बार एक ही इंडस्ट्री या एजेंसी को दोष देना ठीक नहीं है।
सवाल: आपके आलोचक कहते हैं कि आप शाहरुख या उनके बेटे के खिलाफ बदले की भावना से कार्रवाई कर रहे हैं?
जवाब: मैंने कोई कार्रवाई नहीं की, बस अपने और अपने सहयोगियों के आत्मसम्मान की रक्षा के लिए कोर्ट का रुख किया। इसमें कोई वेंडेटा नहीं है। हमारा देश कोई बनाना रिपब्लिक नहीं, यहां सिस्टम, चेक और बैलेंस हैं, कोई अकेला व्यक्ति अपनी मर्जी से कुछ नहीं कर सकता।

सवाल: आपकी बड़ी फैन फॉलोइंग है। कई लोग चाहते हैं कि सिविल सर्विस के बाद आप राजनीति में आएं। उन्हें क्या कहना चाहेंगे?
जवाब: भविष्य क्या है, ये सिर्फ ईश्वर जानते हैं। मेरा लक्ष्य बस राष्ट्र और लोगों की सेवा करना है। आज नौकरशाही के जरिए कर रहा हूं, कल किस रूप में करूं, वो ऊपर वाला तय करेगा।
सवाल: अगर आप मुंबई वापस आते हैं, तो आप यहां आकर क्या करना चाहेंगे?
जवाब: वही जो हमेशा किया है, देश और लोगों की सेवा।
सवाल: मुंबई को मिस करते हैं?
जवाब: हां, परिवार मुंबई में है, इसलिए मिस करता हूं। सिक्योरिटी वजहों से उन्हें शिफ्ट नहीं किया। जब वीक ऑफ या छुट्टियां होती हैं, तो मुंबई आ जाता हूं।
सवाल: क्या आपको हिस्टोरिकल फिल्में पसंद हैं? हाल में कौन-सी देखी?
जवाब: हां, मुझे हिस्टोरिकल फिल्में बहुत पसंद हैं। हाल ही में ‘छावा’ देखी थी और उससे पहले ‘बाजी प्रभु देशपांडे’ पर बनी मराठी फिल्म। जब भी समय मिलता है, वर्ल्ड वॉर-2 पर बनी फिल्में देखना भी अच्छा लगता है।
सवाल: आपका कोई पसंदीदा फिल्मी हीरो है?
जवाब: नहीं, मैं किसी फिल्मी हीरो को अपना हीरो नहीं मानता। मेरे लिए असली हीरो छत्रपति शिवाजी महाराज, महाराणा प्रताप और डॉ. भीमराव आंबेडकर हैं। मैं उन्हीं से प्रेरणा लेता हूं।
सवाल: इस समय का एम्बिशन क्या है?
जवाब: अब कोई बड़ा एम्बिशन नहीं है। बस परिवार के साथ समय बिताना है और लोगों की सेवा करना चाहता हूँ। भगवान की कृपा से बहुत कुछ हासिल हो गया है। देश के लिए काम किया, कई अवॉर्ड्स और मेडल्स मिले। अब संतुष्टि है कि मैंने अपना योगदान दे दिया है।
सवाल: अगर आपको टाइम मशीन में बैठाकर किसी समय में भेज दिया जाए, तो क्या करना चाहोगे?
जवाब: टाइम मशीन में जाकर मैं कुछ बदलना नहीं चाहूंगा, क्योंकि जिंदगी में कोई पछतावा नहीं है। लेकिन अगर मौका मिले, तो मैं सिर्फ छत्रपति शिवाजी महाराज के दर्शन करना चाहूंगा, उन्हें साष्टांग प्रणाम करूंगा और उनका आशीर्वाद लूंगा।
सवाल:आप कई बड़ी परेशानियों और हाई-प्रोफाइल मामलों में रहते हैं, फिर भी हमेशा चेहरे पर मुस्कान और “सत्यमेव जयते” जैसा आत्मविश्वास कैसे बनाए रखते हैं?
जवाब: परमात्मा उन्हीं की परीक्षा लेता है जो उसे सहने की शक्ति रखते हैं। बचपन से मां ने महाराणा प्रताप जैसी संघर्षों की कहानियां सुनाई हैं, उसी से हिम्मत मिली। मां हमेशा कहती थीं— “संघर्ष कर, पर दबाव में मत आना।” मैं पेशे से वकील हूं, इसलिए किसी मजबूरी में नहीं लड़ता, बस सच्चाई के लिए लड़ता हूं।
सवाल: लोग आपको हमेशा मुस्कुराते और मजबूत देखते हैं, लेकिन क्या कभी ऐसा वक्त आया जब आप अंदर से टूटे हों? उस लो पॉइंट से कैसे बाहर निकले?
जवाब: देखिए, मैं कभी इमोशनली लो नहीं हुआ। मुश्किल हालात में मेरा असर उलटा होता है। मैं और जोश में आ जाता हूं। अगर कुछ गलत हो जाए तो सोचता हूं उसे कैसे सही करें, कैसे उसे चैलेंज की तरह लें। इसलिए कभी डिप्रेस्ड या टूटने जैसा महसूस नहीं हुआ, बल्कि और मजबूत बन गया।
सवाल: आर्यन खान जैसे हाई-प्रोफाइल केस में बहुत कॉल्स आते होंगे। आप खुद को उन सब से कैसे दूर रखते हैं?
जवाब: कोई भी कॉल या प्रेशर हो, मैं उसे एंटरटेन नहीं करता। घर आते ही सब चीजों से स्विच ऑफ कर देता हूं ताकि परिवार पर असर न पड़े। सच ज्यादा दिन छिप नहीं सकता, झूठ जल्दी सामने आ जाता है। जब गलत कुछ किया ही नहीं, तो डरने की जरूरत नहीं। अपनी बात डंके की चोट पर रखता हूं।
सवाल: बहुत से लोगों के बड़े-बड़े राज आपने खोले हैं, कईयों की दुखती रग पर हाथ रखा है। क्या इसी वजह से आपको परेशान किया जा रहा है?
जवाब: देखिए, मैं इसे परेशानी नहीं मानता। मैं इसे एक चुनौती की तरह लेता हूं। सच्चाई की हमेशा जीत होती है, बस इसी पर मेरा विश्वास है।

सवाल:क्या आपको भरोसा है कि अदालत से आपको पूरा न्याय मिलेगा?
जवाब: हां, मुझे भारत के संविधान और न्याय व्यवस्था पर पूरा भरोसा है। थोड़ा समय लग सकता है, लेकिन न्याय जरूर मिलेगा।
सवाल: सीबीआई ने अभी तक क्लोजर रिपोर्ट क्यों नहीं दी आपके केस में?
जवाब: मामला अभी हाईकोर्ट में लंबित है। तीन महीने पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने पिटीशन स्वीकार कर कुछ आदेश दिए हैं। अब देखते हैं आगे क्या होता है।
सवाल: क्या आपको यहां भी जीत की उम्मीद है?
जवाब: हां, मुझे पूरा यकीन है कि सच मेरे साथ है, और मुझे हमारी न्याय व्यवस्था पर भरोसा है।
सवाल: आप कई पॉलिटिशियन्स के निशाने पर रहते हैं, यहां तक कि आपके अपने डिपार्टमेंट के लोग भी आपके खिलाफ हो जाते हैं। आपको डर नहीं लगता?
जवाब: डरने जैसी कोई बात नहीं है। मैंने जितनी राष्ट्रीय सेवा करनी थी, कर ली। उसी में संतोष है। अवॉर्ड्स मिले, एजेंसी में काम किया, सपना पूरा हो गया। मैं लॉयर भी हूं, तो आगे लॉयर बनकर सेवा करूंगा। अब खोने को कुछ नहीं है। बस न्याय और सच्चाई की लड़ाई बाकी है, और वो मैं खुलकर लड़ूंगा।
सवाल: जब आपका परिवार, आपकी पत्नी और बच्चे आपको इतने मुश्किल हालात में देखते हैं, तो क्या वो आपको रोकते या डरते नहीं हैं?
जवाब: नहीं, वो डरते नहीं हैं। उल्टा, वो मेरे विरोधियों के लिए प्रार्थना करते हैं कि जो लोग मेरे सामने आते हैं, वो सही सलामत रहें और अच्छे से मुकाबला करें।
सवाल: कभी आपको डर या घबराहट नहीं होती?
जवाब: नहीं, बिल्कुल नहीं। जब मेरे आदर्श छत्रपति शिवाजी महाराज और डॉ. बी. आर. अंबेडकर हैं, तो डर कैसा? मैं हर चुनौती का सामना करने के लिए तैयार रहता हूं। आपने शायद पावन खिंड की लड़ाई के बारे में सुना होगा, जहां 300 लोग 10,000 के खिलाफ सच्चाई के लिए लड़े थे। जब मैं यह सोचता हूं, तो मेरा सारा डर और झिझक कुछ ही मिनटों में खत्म हो जाता है।