
हिंदू धर्म के भारतीय परंपरा में कार्तिक शुक्ल द्वितीया को एक ऐसा पर्व मनाया जाता है जो भाई-बहनों के अटूट प्रेम और रक्षा का प्रतीक होता है. पद्म पुराण में यह वर्णित है कि कार्तिक शुक्ल द्वितीया को भी भ्रातृ द्वितीय या यम द्वितीया भी कहा जाता है. इस दिन मथुरा के विश्राम घाट का विशेष महत्व है.

पुराणों में यह बताया गया है कि कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमुना ने यम को अपने घर पर भोजन के लिए निमंत्रित किया था. यम ने भोजन के बाद यमुना से रक्षा सूत्र बनवाया और रक्षा सूत्र बांधने के बाद यमुना ने उनको पापों से मुक्ति का आशीर्वाद दिया था. तभी से यह परंपरा चली आ रही है.

ऐसी मान्यता है कि इस दिन अपने घर में मध्यान को भोजन नहीं करना चाहिए. उस दिन अपनी बहन के घर में प्रेम से भोजन करना चाहिए. ऐसा करने से कल्याण और समृद्धि की प्राप्ति होती है. उसके बाद बहनों को भेंट दी जानी चाहिए.

आप अपनी बहनों को भेंट स्वरूप स्वर्ण आभूषण, वस्त्र, आदर सत्कार एवं भोजन दे सकते हैं. यदि बहन नहीं हो तो अपने चाचा या मौसी की पुत्री या मित्र की बहन को ही बहन मानकर भैया दूज पर्व की सारी मान्यताएं पूरी करनी चाहिए.

पद्म पुराण में ऐसा बताया गया है कि जो व्यक्ति अपनी विवाहित बहनों को वस्त्र एवं आभूषणों से सम्मानित करता है. वह वर्ष भर किसी झगड़े में नहीं पड़ता. उसे अपने शत्रुओं का भय भी नहीं होता है.

पद्म पुराण में वर्णित है कि जिस दिन यम को यमुना ने स्नेहपूर्वक भोजन कराया था. उस दिन जो व्यक्ति अपनी बहन के हाथ का बनाया हुआ भोजन करता है. उसे धन और यश की प्राप्ति होती है.
Published at : 20 Oct 2025 04:00 PM (IST)