9 मिनट पहलेलेखक: वीरेंद्र मिश्र
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सीएम योगी आदित्यनाथ के जीवन पर बनी फिल्म ‘अजेय: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ ए योगी’ जल्द ही सिनेमाघरों में रिलीज होगी। फिल्म के डायरेक्टर रवींद्र गौतम ने हाल ही में दैनिक भास्कर से खास बातचीत की। डायरेक्टर ने बताया कि फिल्म युवाओं एक बड़ा संदेश देगी।
यह फिल्म सेंसर बोर्ड की आपत्तियों के कारण संकट में फंसी हुई थी। अब कोर्ट के आदेश पर सेंसर बोर्ड ने सर्टिफिकेट दे दिया है। डायरेक्टर रवींद्र गौतम ने यह भी बताया कि सीबीएफसी को योगी जी की तरफ से एनओसी चाहिए था, जबकि एनओसी मांगने का अधिकार उन्हें नहीं है।
पढ़िए डायरेक्टर रवींद्र गौतम से हुई बातचीत के कुछ प्रमुख अंश…

‘अजेय’ सीएम योगी आदित्यनाथ के जीवन से प्रेरित है, या पूरी तरह से उनके जीवन को आपने फिल्म में दर्शाया है?
यह फिल्म पूरी तरह से योगी आदित्यनाथ जी की जिंदगी से प्रेरित है। जब मैंने ‘द मॉन्क हू बिकेम चीफ मिनिस्टर’ किताब पढ़ी, तो मैं हैरान रह गया कि हमारे हिंदुस्तान की डेमोक्रेसी कितनी अनोखी है। सोचिए, एक छोटे से गांव का लड़का इतनी कम उम्र में घर-परिवार त्याग कर, देश के सबसे बड़े राज्य का मुख्यमंत्री बनता है।
जब 22 साल की उम्र में लड़के मस्ती करते हैं, तब योगी आदित्यनाथ समाज के लिए कुछ कर गुजरने की सोचते हैं। इस फिल्म में मैंने उनके कॉलेज के दिनों का व्यक्तित्व, उनकी सोच और वो मोड़ दिखाने की कोशिश की है जब उन्होंने संन्यास का रास्ता चुना। यह फिल्म युवाओं को भी एक बड़ा संदेश देती है।
इस फिल्म के लिए कभी योगी आदित्यनाथ से आपकी मुलाकात हुई?
नहीं, अभी तक उनकी व्यस्तता के कारण मेरी मुलाकात नहीं हो पाई है। लेकिन किताब से ही इतनी जानकारी मिल गई कि फिल्म बन सके। किताब के लेखक शांतनु गुप्ता हमारे साथ थे और उन्होंने हमें इस फिल्म को लेकर गाइड किया। वो योगी जी के बहुत करीब हैं।

यह फिल्म 19 सितंबर 2025 को रिलीज होगी।
कास्टिंग में कितनी परेशानियां आईं? क्योंकि जाहिर सी बात है, ऐसा किरदार निभाना हर किसी के बस की बात नहीं।
कास्टिंग बहुत बड़ी चुनौती थी। हर किसी की नजर में योगी आदित्यनाथ जी की एक अलग छवि है। मुझे उनमें एक मासूमियत और ईमानदारी दिखती है। हम ऐसा ही एक्टर खोज रहे थे जिसमें ये भावनाएं हों, जो न्याय और अन्याय को साफ-साफ देख सके। फिर हमने आनंद जोशी को शॉर्टलिस्ट किया, जो उत्तराखंड से हैं। उन्हें देखकर लगा कि हमारे किरदार की जो जरूरत है, वो उनसे पूरी हो सकती है।
योगी आदित्यनाथ का संघर्ष और सफर बहुत लंबा है। उसे 2-3 घंटे की फिल्म में समेटना कितना मुश्किल रहा?
एक फिल्म में उनके पूरे जीवन को दिखाना संभव नहीं है। हमने उनके जीवन के एक हिस्से को दिखाया है, खासकर मुख्यमंत्री बनने तक की यात्रा। जैसे उत्तराखंड में बचपन, फिर ऋषिकेश में पढ़ाई, कोटद्वार में ग्रेजुएशन और फिर गोरखपुर में प्रवेश। इन सभी पड़ावों को फिल्म में दिखाया गया है। ये उनके जीवन की शुरुआत है, पूरी कहानी नहीं।
क्या योगी जी की तरफ से इस फिल्म पर कोई प्रतिक्रिया आई? क्या आप उन्हें फिल्म दिखाना चाहेंगे?
अभी तक कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि उन्हें ये जानकारी जरूर होगी कि उनके जीवन पर फिल्म बनी है। मुझे यकीन है कि जब वो इसे देखेंगे तो उन्हें अच्छा लगेगा।

फिल्म को लेकर विवाद भी हुआ। सेंसर बोर्ड को क्या आपत्ति थी?
हमें भी समझ नहीं आया कि सेंसर बोर्ड को क्या समस्या थी? जून में हमारे प्रोड्यूसर ने फिल्म सीबीएफसी को दी, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। फिर हमने तत्काल प्रक्रिया के तहत अप्लाई किया। स्क्रीनिंग की तारीख तय हुई और हमने फिल्म का प्रिंट भी निकाल लिया, तभी खबर आई कि फिल्म रिजेक्ट हो गई है। सीबीएफसी ने कहा कि हमें योगी जी की तरफ से एनओसी चाहिए।
हमने बताया कि हमारे पास किताब के अधिकार हैं और बाकी सारी चीजें लीगल तरीके से की गई हैं। जब हम कोर्ट गए तो कोर्ट ने भी यही पूछा कि सीबीएफसी को आखिर किस अधिकार से एनओसी चाहिए? फिर फिल्म एग्जामिनिंग कमिटी को दिखाई गई, उन्होंने 30 कट बताए, लेकिन उन्होंने ये नहीं कहा कि कट लगाने के बाद फिल्म को सबमिट करो, बस यह कहा गया कि इन सीन्स के कारण फिल्म रिजेक्ट की जाती है।
कोर्ट ने आदेश दिया कि कट्स की वजह से फिल्म रिजेक्ट न की जाए। फिर रिव्यू कमिटी ने भी इसे नहीं पास किया। अंत में खुद कोर्ट ने फिल्म देखी और उन्हें यह फिल्म पसंद आई। कोर्ट के आदेश पर सीबीएफसी ने हमें रिलीज का सर्टिफिकेट दिया।
आपने फिल्म की शूटिंग कहां-कहां की? गोरखपुर को कैसे दिखाया गया और शूटिंग के दौरान कोई चैलेंज?
फिल्म की शूटिंग हमने ऋषिकेश, लखनऊ, देहरादून जैसी जगहों पर की। गोरखपुर को हमने सीधे तौर पर नहीं दिखाया, लेकिन एक स्टॉक शॉट के रूप में मोंटाज में इस्तेमाल किया है। संवेदनशीलता के चलते हमने कुछ जगहों से परहेज किया ताकि किसी विवाद में न फंसें। सबसे बड़ा चैलेंज यही था कि कोई गलती न हो जाए। हर सीन की शूटिंग से पहले विशेषज्ञों की राय ली, जैसे नाथ संप्रदाय को कैसे दिखाया जाए।

इस तरह की फिल्मों में म्यूजिक का क्या स्कोप होता है?
बहुत बड़ा स्कोप होता है। इस फिल्म में 5 गाने हैं, जिन्हें बी प्राक, सोनू निगम, मीका सिंह जैसे गायकों ने गाया है। अगर आप कमर्शियल सिनेमा बना रहे हैं तो म्यूजिक बहुत जरूरी है, क्योंकि वो मास ऑडियंस को जोड़ता है। योगी जी की प्रेरणादायक यात्रा को दिखाने के लिए हमने म्यूजिक पर खास ध्यान दिया है। म्यूजिक मीट ब्रदर्स ने दिया है।
इस फिल्म से पहले आपने वेब सीरीज ‘महारानी 2’ और ’21 तोपों की सलामी’ जैसी फिल्में की है। इससे पहले की जर्नी कैसी रही? क्या हमेशा डायरेक्शन में ही आने का सपना था?
मैं लखनऊ से हूं, वहां थिएटर का बड़ा क्रेज था। मुंबई भी इसी सपना लेकर आया था कि एक्टर बनूंगा,लेकिन यहां आकर अहसास हुआ कि मेरी शक्ल-सूरत स्टार जैसी नहीं है। फिर मैंने एडिटिंग से शुरुआत की और धीरे-धीरे डायरेक्शन में आ गया। एकता कपूर ने मुझे पहला बड़ा ब्रेक ‘कसौटी जिंदगी की’ जैसे शो में दिया।
इसके अलावा ‘उतरन’, ‘प्रतिज्ञा’, ‘कुमकुम भाग्य’, ‘मधुबाला’, ‘पवित्र रिश्ता’, ‘बड़े अच्छे लगते हैं’ जैसे शो डायरेक्ट किए। 2013-14 में लगा कि अब कुछ बड़ा करना चाहिए। तब ‘मधुबाला’ के प्रोड्यूसर सौरभ तिवारी और अभिनव शुक्ला ने मुझे मेरी पहली फिल्म ’21 तोपों की सलामी’ ऑफर की। फिर सुभाष कपूर जी के जरिए ‘महारानी सीजन 2’ का मौका मिला। कारवां बढ़ता गया, लेकिन आज भी मेरे अंदर एक एक्टर जिंदा है।