सोना और चांदी का भाव 17 अक्टूबर को रिकॉर्ड हाई पर पहुंचने के बाद अब तेजी से गिरने लगे हैं. ग्लोबल स्तर पर सोना, बुधवार को 2.9 फीसदी गिरकर 4,004 डॉलर प्रति औंस पर आ गया, जबकि मंगलवार को इंट्राडे में 6.3 फीसदी की भारी गिरावट आई. यह 12 सालों में सबसे बड़ी गिरावट थी.
चांदी की कीमत भी इंट्राडे में 7.1 फीसदी गिरा, लेकिन बाद में यह 2% के करीब टूटकर 47.6 डॉलर के आसपास बंद हुआ. ग्लोबल स्तर पर अचानक आई ये गिरावट मुनाफाखोरी की लहर का संकेत है, जहां निवेशक महीनों की रिकॉर्ड तोड़ बढ़ोतरी के बाद मुनाफावसूली कर रहे हैं.
इस गिरावट को लेकर KCM ट्रेड के मुख्य मार्केट एक्सपर्ट टिम वाटरर ने ब्लूमबर्ग को बताया कि मुनाफाखोरी का नजरिया तेजी से बढ़ने लगा है. व्यापारियों के लिए सोने के बाजार में पहले कभी नही देखे गए प्राइस लेवल पर मुनाफाखोरी का यह अच्छा मौका है.
भारतीय बाजार में कल दिखेगा असर
इस गिरावट का आज भारतीय बाजार में असर नहीं दिख रहा है, क्योंकि मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज यानी MCX आज दिवाली-बलिप्रतिपदा के मौके पर बंद है यानी घरेलू बाजार ने अभी तक वैश्विक बिकवाली का कोई असर नहीं दिखाया है. कल 23 अक्टूबर को जब फिर से MCX खुलेगा तो सोना और चांदी के दाम में गिरावट दिख सकती है. हालांकि गिरावट कितनी होगी? ये कहना मुश्किल है.
एमसीएक्स पर 20 हजार रुपये सस्ती हुई चांदी
फिलहाल, MCX पर दिसंबर का सोना वायदा भाव 1,28,000 रुपये प्रति 10 ग्राम पर है, जो पिछले बंद भाव से 271 रुपये या 0.21 प्रतिशत कम है. चांदी वायदा भाव 327 रुपये या 0.22 प्रतिशत घटकर 1,50,000 रुपये प्रति किलोग्राम पर है. चांदी अपने रिकॉर्ड हाई से 20 हजार रुपये और सोना अपने रिकॉर्ड हाई से करीब 4000 रुपये सस्ता हो चुका है.
सोने और चांदी के लिए आगे क्या है?
एक्सपर्ट्स का का कहना है कि यह गिरावट आंशिक रूप से व्यापारियों द्वारा व्यापक आर्थिक संकेतों, खासकर अमेरिकी महंगाई दर और मौद्रिक नीति अपडेट पर फोकस करने के कारण है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का चीन और भारत की तरफ नरम तेवर ने व्यापार टेंशन को कम किया है, जिससे सोने के दाम में गिरावट आई है. निवेशक अब सितंबर के अमेरिकी कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स का इंतजार कर रहे हैं, जो अमेरिकी सरकार के मौजूदा बंद के कारण देरी से जारी हुआ है. यह आंकड़े महंगाई के रुझान और फेडरल रिजर्व के अगले ब्याज दर फैसले के बारे संकेत देंगे.
अल्पावधि में गिरावट के बावजूद, विशेषज्ञों का मानना है कि वैश्विक अनिश्चितताओं, केंद्रीय बैंक की खरीद और कमजोर डॉलर के परिदृश्य के कारण मध्यम अवधि में सोना और चांदी मजबूत बने रह सकते हैं.
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