US sanctions Russian oil companies: अमेरिका ने रूस की दो सबसे बड़ी तेल कंपनियों रोसनेफ्ट और लुकोइल पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं. इन प्रतिबंधों का मकसद रूस की युद्ध फंडिंग को रोकना और यूक्रेन में चल रहे युद्ध को खत्म करने की दिशा में दबाव बढ़ाना है. अमेरिका का कहना है कि जब तक रूस शांति वार्ता के लिए गंभीर नहीं होगा, ये कदम जारी रहेंगे.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, ‘आज का दिन बहुत बड़ा है. ये बेहद कड़े आर्थिक प्रतिबंध हैं, जो रूस की दो बड़ी तेल कंपनियों पर लगाए गए हैं. हम उम्मीद करते हैं कि अब यह युद्ध खत्म हो जाएगा. हमने मिसाइलों और बाकी हथियारों से जुड़ी कई चीज़ों पर भी विचार किया, लेकिन हमें लगता है कि इसकी ज़रूरत नहीं पड़ेगी.’
उन्होंने रूस को साफ संदेश दिया कि ‘उन्हें उसी लाइन पर वापस लौट जाना चाहिए, जहां से यह संघर्ष शुरू हुआ था. यह बहुत लंबे समय से चला आ रहा है, अब इसे खत्म होना चाहिए.’
ट्रंप ने बताया कि पिछले हफ्ते ही करीब 8,000 सैनिक मारे गए. जिनमें रूसी और यूक्रेनी दोनों शामिल थे. यह स्थिति हास्यास्पद है, और अब यह युद्ध रुकना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि अब दोनों देश शांति चाहते हैं. यह संघर्ष लगभग चार साल से चल रहा है. अगर मैं उस समय राष्ट्रपति होता, तो यह युद्ध कभी शुरू ही नहीं होता.’
अमेरिकी वित्त मंत्रालय के विभाग विदेशी संपत्ति नियंत्रण कार्यालय (ओएफएसी) ने बयान में कहा कि रूस शांति प्रक्रिया में सीरियस नहीं दिखा रहा. इसलिए अमेरिका ने रूस एनर्जी क्षेत्र पर नया दबाव बनाया है ताकि उसकी युद्ध मशीन को चलाने के लिए होने वाली कमाई पर रोक लग सके. विभाग ने साफ कहा कि थायी शांति तभी संभव है जब रूस ईमानदारी से बातचीत करे.
प्रतिबंधों की नई लहर
ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट ने कहा कि अब रूस के खिलाफ कार्रवाई की रफ्तार तेज होगी. उन्होंने कहा, ‘अब समय है युद्ध रोकने का और तुरंत संघर्ष विराम लागू करने का.’
उनका कहना है कि ये प्रतिबंध राष्ट्रपति ट्रंप की व्यापक कोशिश का हिस्सा हैं ताकि यूक्रेन युद्ध को कूटनीतिक तरीके से खत्म किया जा सके. यह कदम रूस की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने और उसकी सेना की फंडिंग रोकने के लिए उठाया गया है.
एनर्जी कंपनियों पर प्रहार
इन नए नियमों के तहत रोसनेफ्ट और लुकोइल दोनों को रूस के एनर्जी सेक्टर में संचालन या सहयोग करने के कारण प्रतिबंधित कंपनियों की सूची में डाला गया है. इसका मतलब है कि अमेरिका के अधिकार क्षेत्र में इन कंपनियों की संपत्ति को पूरी तरह से फ्रीज कर दिया गया है.
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रोसनेफ्ट एक सरकारी कंपनी है जो तेल खोज, रिफाइन और बिक्री करती है. लुकोइल एक निजी कंपनी है जो तेल और गैस के साथ-साथ मार्केटिंग और वितरण का काम करती है.
इन दोनों की कई सहायक कंपनियों पर भी रोक लगा दी गई है. जिन संस्थाओं में इन कंपनियों की 50 फीसदी या उससे ज़्यादा हिस्सेदारी है, वे भी ख़ुद ही प्रतिबंध के दायरे में आ गई हैं. अब अमेरिकी नागरिक या कंपनियां उनसे कोई आर्थिक लेन-देन नहीं कर पाएंगी. ट्रेजरी ने साफ कहा है कि अगर जरूरत पड़ी, तो यह अभियान और आगे बढ़ाया जाएगा.
सहयोगियों को भी अमेरिका का संदेश
अमेरिका ने अपने सहयोगी देशों से भी अपील की है कि वे इन नए प्रतिबंधों में हिस्सा लें. कॉट बेसेंट ने कहा, ‘हम अपने मित्र देशों से आग्रह करते हैं कि वे हमारे साथ इस प्रतिबंध व्यवस्था में शामिल हों.’
यूरोपीय यूनियन ने भी बढ़ाई सख्ती
इसी बीच, यूरोपीय यूनियन (EU) ने रूस पर अपना 19वां सैंक्शन पैकेज पास किया है. इस बार EU ने पहली बार सीधे रूसी एलएनजी पर प्रतिबंध लगाया है. इसका मतलब है कि अगले 6 महीनों में शॉर्ट-टर्म गैस कॉन्ट्रैक्ट खत्म कर दिए जाएंगे, जबकि लॉन्ग-टर्म समझौते 1 जनवरी 2027 तक पूरी तरह बंद हो जाएंगे. जो EU की पहले तय योजना से एक साल पहले है.
साथ ही, रूस के 117 और जहाजों को ‘शैडो फ्लीट’ की सूची में जोड़ा गया है, जिससे अब कुल 558 जहाज प्रतिबंधित हैं. रूस के करीबी देशों – कजाख़स्तान और बेलारूस के कई बैंकों को भी सूची में शामिल किया गया है क्योंकि वे रूस को सैंक्शन से बचने में मदद कर रहे थे.
क्या असर होगा?
इन कदमों के जरिए अमेरिका और EU दोनों मिलकर रूस पर आर्थिक दबाव बढ़ा रहे हैं ताकि उसकी युद्ध चलाने की क्षमता कम हो. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि दरवाजे बातचीत के लिए खुले हैं, लेकिन शांति का रास्ता तभी बनेगा जब रूस युद्ध रोकने की दिशा में सच्चे मन से कदम उठाएगा.
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