
हिंदू धर्म में हफ्ते में प्रत्येक दिन किसी न किसी देवता को समर्पित होता है. गुरुवार का दिन भगवान बृहस्पति को समर्पित है. वे सभी देवताओं के गुरु माने जाते हैं. बृहस्पति सबसे बड़े और शक्तिशाली ग्रह हैं. हिंदू धर्म में लोग इस दिन भगवान विष्णु या बृहस्पति की पूजा करते हैं.

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, बृहस्पति ज्ञान और प्रकाश के प्रतीक हैं. वे हमें सही दिशा दिखाते हैं. मान्यता है कि बृहस्पति का व्रत करने से सफलता, समृद्धि के मार्ग खुलते हैं. भगवान बृहस्पति को भगवान विष्णु का अवतार भी माना जाता है. इसलिए, गुरुवार का व्रत बहुत शुभ और फलदायी माना गया है.

गुरुवार व्रत के दिन भक्त अपने बाल या कपड़े नहीं धोते और दाढ़ी-मूंछ भी नहीं बनाते. पीले रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है. पूजा में पीले फूल, फल और खाद्य पदार्थों का प्रयोग करें. भगवान विष्णु और भगवान बृहस्पति की मूर्ति या चित्र को साफ जगह पर रखें और पवित्र जल छिड़कें. देवताओं को प्रसाद के रूप में केले, लड्डू, बेसन का हलवा, पीले चावल और फूल अर्पित करें.

गाय के घी का दीपक जलाएं और अगरबत्ती जलाएं, और इन मंत्रों “ॐ बृं बृहस्पतये नमः”,“ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः” का जाप करें. माथे पर पीला तिलक लगाना शुभ माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन उपवास रखने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं. इस दिन गरीबों या मंदिर में पीली वस्तुओं का दान शुभ माना जाता है.

गुरुवार का व्रत शुरू करने के लिए सबसे अच्छा समय चंद्र महीने के शुक्ल पक्ष का पहला गुरुवार होता है. बस ध्यान रखें कि पौष माह में यह व्रत शुरू नहीं करना चाहिए. व्रत की शुरुआत सुबह में की जाती है और पूजा शाम तक चलती है. कहा जाता है कि अगर कोई व्यक्ति लगातार 16 गुरुवार तक यह व्रत रखता है तो उसे अपनी मनचाही इच्छा का फल जरूर मिलता है.

गुरुवार का व्रत करने से आप स्वास्थ्य, धन और सुख-समृद्धि हासिल कर सकते हैं. व्रत के नियम का पालन करने से भगवान बृहस्पति के आशीर्वाद से ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि होती है. शास्त्रों में वर्णन है कि भगवान बृहस्पति भगवान विष्णु के अवतार हैं. प्राचीन हिंदू ग्रंथों के अनुसार गुरुवार व्रत करने से भक्त के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं.
Published at : 23 Oct 2025 07:30 AM (IST)