हजरत आदम अलैहिस्सलाम को जन्नत से क्यों निकाला गया था, जानें विस्तार से..

हजरत आदम अलैहिस्सलाम को जन्नत से क्यों निकाला गया था, जानें विस्तार से..


Hazrat Adam Alaihissalam: हजरत आदम अलैहिस्सलाम पृथ्वी पर पहले मनुष्य और इस्लाम के पहले पैगंबर थे, जिन्हें अल्लाह ने मिट्टी से बनाया और मानव जाति का पिता माना जाता है. वह और उनकी पत्नी हव्वा पहले जन्नत में रहे, लेकिन एक भूल के कारण उन्हें पृथ्वी पर भेजा गया. आदम अलैहिस्सलाम को अल्लाह ने अपनी ओर से इल्म भी दिया, जिससे वह फरिश्तों को चीजों के नाम बता सके.  

हजरत आदम अलैहिस्सलाम के बारे में जानें..
हजरत आदम अलैहिस्सलाम इस्लाम के अनुसार पृथ्वी पर पैदा हुए पहले इंसान थे और मानव जाति के पिता माने जाते हैं. वह अल्लाह के पहले पैगंबर भी थे. उनकी पत्नी बीबी हव्वा थीं, और इंसानों की पूरी आबादी इन्हीं दोनों से पैदा हुई है.

हजरत आदम अलैहिस्सलाम को जन्नत से क्यों निकाला गया?
हज़रत आदम अलैहिस्सलाम और हव्वा (उनकी पत्नी) को अल्लाह तआला ने जन्नत से निकाल दिया क्योंकि उन्होंने अल्लाह के हुक्म के खिलाफ जाकर निषिद्ध वृक्ष (Reprobated tree) से फल खा लिया था, इस फल को खाने के लिए अल्लाह ने सख्त मना किया था.

यह घटना मानवता के उद्भव और पृथ्वी पर इंसानी आबादी की शुरुआत का कारण बनी, जिससे शैतान (इब्लीस) भी उनके साथ जमीन पर उतारा गया, जो उनका खुला दुश्मन है.

आदम अलैहिस्सलाम को जन्नत से निकाले जाने के कारण

अल्लाह का हुक्म तोड़ना
हजरत आदम और हव्वा को जन्नत में हर चीज खाने की इजाजत थी, सिवाय एक खास पेड़ के फल खाने के. अल्लाह ने उनसे साफ तौर पर कहा था कि वे उस पेड़ के पास न जाएं, लेकिन उन्होंने उस हुक्म की खिलाफत की और उस पेड़ से फल खा लिया.

‘शैतान’ का भटकाना
शैतान ने हजरत आदम और हव्वा को बहकाया और उन्हें उस फल को खाने के लिए उकसाया, यह कहकर कि इससे वे अमर हो जाएंगे.  हालांकि, यह शैतान का धोखा था.

जमीन पर भेजने का उद्देश्य
अल्लाह ने यह सब कुछ भविष्य में दुनिया को आबाद करने और नस्ल-ए-इंसान को बढ़ाने के लिए किया. इसलिए, अल्लाह तआला ने हजरत आदम अलैहिस्सलाम और हव्वा को जमीन पर उतरने का हुक्म दिया और यह भी बताया कि शैतान उनका खुला दुश्मन है, जिसे हमेशा याद रखना है.

नस्ल-ए-इंसान की शुरुआत
यह घटना उस मानव पीढ़ी की शुरुआत का प्रतीक है जो अब पृथ्वी पर रह रही है. हजरत आदम अलैहिस्सलाम को जमीन पर भेजने के बाद, इंसानों ने यहीं अपनी जिंदगी बसर की और अल्लाह तआला की इबादत करते रहे. 

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