अबू लहब चाचा होकर भी पैगंबर के दुश्मन! जानें कुरान में दर्ज कहानी, रिश्तों से बड़ी नफरत की दास्तां

अबू लहब चाचा होकर भी पैगंबर के दुश्मन! जानें कुरान में दर्ज कहानी, रिश्तों से बड़ी नफरत की दास्तां


Abu Lahab History: इस्लामिक इतिहास में अबू लहब की कहानी इंसानी फितरत का आईना है. वह पैगंबर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के सगे चाचा थे, यानी खून का रिश्ता था, लेकिन फिर भी उसने दुश्मनी इतनी गहरी दिखा दी कि अपने ही परिवार के खिलाफ खड़ा हो गया.

इंसान अक्सर सोचता है कि खून के रिश्ते हर मुश्किल वक्त में हमेशा साथ निभाते हैं, लेकिन अबू लहब ने ये सोच गलत साबित कर दिया. उसकी जिद और नफरत ने उसे बदनाम कर दिया.

कुरआन में उसका नाम दर्ज होना इस बात का सबूत है कि इंसानियत और सच के आगे कोई रिश्ता टिक नहीं सकता. आइए जानते हैं इसकी हकीकत क्या है?

अबू लहब कौन था?
अबू लहब पैगंबर सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम के सबसे बड़े दुश्मनों में से एक थे. इनका असली नाम अब्दुल उज्जा बीन अब्दुल मुत्तालिब था, लेकिन उनका लाल रंग और तेज स्वभाव के कारण उन्हें “ज्वाला का पिता” कहते थे.

ये खुद पैगंबर सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम के चाचा थे. जब सबसे पहले रसूल सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने कुरैश के लोगों को इकट्ठा कर अल्लाह का पैगाम सुनाया, तो सबसे पहले अबू लहब ने ही उनका विरोध किया और ताजीर की.

उन्होंने ने कहा कि “तुझे अल्लाह हाला करे, कि हमको सिर्फ इसलिए बुलाया गया था?” यानी उन्होंने नबी सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम के पैगाम को पूरी तरह नकार दिया. उनका अहंकार, अपनी दौलत और बच्चों पर गर्व, और पैगंबर के संदेश को न मानना, उन्हें इस्लाम के शुरुआती समय का सबसे बड़ा विरोधी बना दिया. 

अबू लहब क्यों बन गए पैगंबर के सबसे बड़े विरोधी?
इंसान की फितरत में कभी-कभी अहंकार और ईगो रिश्तों से भी बड़ा हो जाता है. अबू लहब और उनकी पत्नी उम्म जमिल ने नबी सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम के सच्चे पैगाम को ना केवल ठुकराया, बल्कि उन्हें अपमानित करने की पूरी कोशिश की.

उन्हें अपने घमंड और अहंकार ने ऐसा बना दिया कि खून का रिश्ता भी काम न आया.

कुरआन में अबू लहब का जिक्र-तारिक जमील के बयान पर 
तारिक जमील के मुताबिक, अल्लाह ने कुरआन की सूरह अल-मसद (अल-लहब) में अबू लहब का नाम लेकर बता दिया कि, चाहे रिश्ता कितना भी करीब क्यों न हो, नफरत और जिद इंसान को तबाह कर देती है.

इसका कारण यह है कि उसने पैगंबर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पैगाम का विरोध किया और अपने अहंकार और घमंड में रिश्तों और खून के बंधन को भी नजरअंदाज किया.

अबू लहब की सजा में सोमवार को राहत 
उलमा के मुताबिक, अबू लहब की सजा सोमवार को थोड़ी कम होती है क्योंकि उसने पैगंबर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पैदाइश पर खुशी जताई थी. जब पैगंबर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पैदा हुए, तो अबू लहब ने अपनी गुलाम सुवैबा को आजाद किया और खुशी में मिठाई भी बांटी थी.

वह इस बात से खुश था कि उसका भाई अब्दुल्लाह का बेटा पैगंबर बने. हालांकि बाद में वह पैगंबर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का सख्त दुश्मन बन गया.

अबू लहब की कहानी इबरत हर इंसान के लिए 
अबू लहब की कहानी हमें ये सिखाती है कि इंसानी फितरत में सच से मुंह मोड़ना कभी काम नहीं आता. चाहे कोई कितना भी ताकतवर या अपने खून का करीब क्यों न हो, अगर दिल में नफरत और अहंकार हो, तो उसकी इज्जत और नाम हमेशा के लिए बदनाम हो जाता है.

यह दिखाता है कि इंसान की कमजोरियां और घमंड उसकी असली पहचान को बदल सकते हैं. छोटे छोटे फैसले भी इंसान की तकदीर तय करते हैं.

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