Sadguru: क्या भविष्यवाणी से बदल सकता है व्यक्ति का जीवन? सद्गुरु की कथा से समझें इसका अर्थ – sadguru talk about can prophecy future change a person life know tvisg

Sadguru: क्या भविष्यवाणी से बदल सकता है व्यक्ति का जीवन? सद्गुरु की कथा से समझें इसका अर्थ – sadguru talk about can prophecy future change a person life know tvisg


Sadguru: कुछ ही वक्त में नया साल आने वाला है और हर व्यक्ति उससे संबंधित भविष्य जानना चाहता है. भविष्यवाणी यानी आने वाले समय में होने वाली किसी घटना के बारे में पहले से बताया जाना. इंसान हमेशा जानना चाहता है कि उसके जीवन में आगे क्या होगा और क्या कोई भविष्य की जानकारी हमारी किस्मत बदल सकती है. इसी विषय पर एक भक्त ने सद्गुरु से सवाल पूछा और उसने कहा कि कहा जाता है कि व्यास मुनि ने महाभारत को होने से पहले ही लिख दिया था और बाद में वही घटनाएं घटीं. कंस को भी बताया गया था कि श्रीकृष्ण उसका वध करेंगे. लोग घटनाएं होने से पहले कैसे जान सकते हैं? इस पर सद्गुरु ने भविष्यवाणी से जुड़ी एक कहानी सुनाई. 

कुरुक्षेत्र युद्ध और भविष्यवाणी की कहानी

कुरुक्षेत्र युद्ध इतिहास का सबसे बड़ा धर्म युद्ध माना जाता है. इस युद्ध में कोई भी तटस्थ नहीं था क्योंकि हर कोई या तो पांडवों के पक्ष में था या कौरवों के साथ. मगध राज्य के शक्तिशाली राजा जरासंध की मृत्यु हो चुकी थी, तो उसके पौत्र अलग-अलग हो गए थे. ज्यादातर मगध ने कौरवों की सेना में शामिल होना पसंद किया था और कुछ पांडवों की ओर चले गए थे. लगभग पूरा आर्यावर्त दो हिस्सों में बंट चुका था. लेकिन सिर्फ एक शासक ने निष्पक्ष रहने का फैसला किया था और वो थे उडुपी के राजा. उन्होंने श्री कृष्ण से कहा कि युद्ध में शामिल लाखों सैनिकों को रोज भोजन की आवश्यकता होगी और वे युद्ध के खानपान की पूरी जिम्मेदारी लेंगे. जिसकी सहमति श्री कृष्ण ने उन्हें दे दी थी. 

युद्ध 18 दिन चला और लगभग 5 लाख सैनिक मैदान में थे. रोज हजारों सैनिक मारे जा रहे थे. खाना कम बनता तो सैनिक भूखे रहते और ज्यादा बनता तो बर्बाद होता इसलिए भोजन की सही मात्रा बनाना असंभव सा था. लेकिन, आश्चर्य की बात यह हुई कि उडुपी के राजा हर दिन बिल्कुल सटीक मात्रा में खाना बनवाते थे, न अधिक, न कम.

उडुपी के राजा को कैसे पता चलता था कि कितने लोगों की होगी मृत्यु?

सब लोग हैरान थे कि उन्हें यह गिनती कैसे मिल जाती है जबकि किसी को अगले दिन की मौत का पता नहीं होता था. जब उनसे इसका राज पूछा गया तो राजा ने बताया कि कृष्ण हर रात छिली हुई उबली मूंगफली खाते हैं. मैं उनके लिए मूंगफलियां रख देता हूं और बाद में गिन लेता हूं कि उन्होंने कितनी खाईं. अगर कृष्ण 10 मूंगफलियां खाते हैं, तो मुझे पता चल जाता है कि अगले दिन युद्ध में 10,000 लोग मारे जाएंगे. इसलिए मैं अगले दिन उतने लोगों के भोजन की मात्रा कम कर देता हूं.’ इस तरह भोजन हमेशा ठीक उतना ही बनता था जितना सैनिकों के लिए पर्याप्त होता था. 

भविष्य जानकर भी वर्तमान में जीना है जरूरी

आगे सद्गुरु कहते हैं कि इस कथा में भगवान कृष्ण की स्थिति भी यही है कि उन्हें शुरुआत भी पता थी और अंत भी, लेकिन फिर भी वे पूरी तरह से वर्तमान में जीकर कर्म कर रहे थे. दरअसल, मनुष्य हमेशा अपना भविष्य जानना चाहता है. लेकिन यदि आज ही पता चल जाए कि कल क्या होने वाला है, तो हम वर्तमान में मेहनत और जिम्मेदारी लेना छोड़ देंगे. अगर किसी को पता चल जाए कि कल उसकी मौत होने वाली है, तो वह आज किसी काम में भाग नहीं लेगा. इसलिए, हर समय भविष्य जान लेना हमारी प्रगति रोक सकता है. 

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