Kajal and Shanidev relation: ज्योतिष शास्त्र में शनिदेव को न्याय और कर्म प्रधान का देवता कहा जाता है. शनि देव व्यक्ति को उसके अच्छे और बुरे कर्मों के हिसाब से फल प्रदान करते हैं. शनि देव की कृपा है, तो जीवन में सफलता, तरक्की और स्थिरता आती है.
वहीं, यदि शनि देव कुंडली में प्रतिकूल स्थिति में विराजमान हैं, तो जीवन में कष्ट, संघर्ष और बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है. यही कारण है कि शनि को प्रसन्न करने के लिए शास्त्रों में विशेष तरह के उपाय बताए गए हैं.
काजल और शनि का संबंध
काजल (सूरमा) जो आंखों को सुंदरता प्रदान करता है, जिसे लोग कोहल या नेत्रांजन के नाम से भी जानते हैं. काजल का शनिदेव से गहरा संबंध माना जाता है. दरअसल काला रंग शनि देव को काफी प्रिय है और काजल को शनि दोष निवारण का सबसे सरल उपाय माना जाता है.
प्राचीन ग्रंथों के मुताबिक, काजल में नेत्रों की रक्षा के साथ-साथ दोष दूर करने की भी क्षमता होती है. काजल केवल सौंदर्य का साधन मात्र ही नहीं, बल्कि ज्योतिष और आयुर्वेद दोनों में इसका विशेष स्थान माना गया है.
काजल का ग्रहों से संबंध
शनि ग्रह (Saturn)
- काजल का सीधा संबंध शनि ग्रह से माना गया है.
- शनि का रंग काला है और काजल भी श्याम वर्ण का होता है.
- काजल का इस्तेमाल करने से शनि से जुड़े दोषों से मुक्ति मिलती है.
राहु और केतु
- काजल का संबंध राहु-केतु ग्रह से भी है, क्योंकि इन दोनों ही ग्रह का संबंध अंधकार और धुंधलेपन से है.
- बच्चे के माथे और आंख पर काजल लगाने से राहु-केतु की बुरी दृष्टि का प्रभाव कम होता है.
चंद्रमा (Moon)
काजल का संबंध चंद्रमा से भी जोड़कर देखा जाता है, क्योंकि पारंपरिक रूप से दीपक के शिखा से तैयार अंजन को चंद्रमा की शीतलता का प्रतीक माना जाता है. ये नेत्र ज्योति बढ़ाने के साथ मानसिक शांति भी प्रदान करता है.
प्राचीन ग्रंथों में काजल का उल्लेख
अथर्ववेद के अनुसार इसके उपयोग से नेत्रों की रक्षा होने के साथ आंखों के रोग से भी बचाता है.
चरक संहिता और सुश्रुत संहिता (आयुर्वेद) के मुताबिक नियमित रूप से काजल लगाने पर आंखों की रोशनी तेज होती है.
गरुड़ पुराण के अनुसार, इसके इस्तेमाल से नजर दोष और शनि के प्रकोप से छुटकारा मिलता है.
लाल किताब और पाराशर ज्योतिष के मुताबिक, व्यापार और नौकरी में रुकावट को दूर करने के लिए काजल दान बेहद उपयोगी उपाय माना गया है.
शनिदेव और काजल का उपाय
- शनिवार के दिन नहाने के बाद पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं.
- एक सफेद चांदी या स्टील की डिब्बी में काजल रखें.
- इस काजल को प्रत्येक शनिवार को शनि मंदिर या पीपल के वृक्ष के नीचे अर्पित करें.
- सच्चे मन से ॐ शं शनैश्चराय नमः मंत्र का जाप करें.
काजल के ज्योतिषीय लाभ |
काजल के इस्तेमाल से शनि दोष और साढ़ेसाती का प्रभाव कम होता है. |
व्यापार या नौकरी में आ रही रुकावटें धीरे-धीरे दूर होने लगती हैं. |
नजर दोष से बचाव के साथ बुरी शक्तियों का प्रभाव कम होता है. |
काजल के इस्तेमाल से मानसिक शांति और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है. |
काजल से जुड़ी विशेष बातों का ध्यान रखें
- काजल का इस्तेमाल कभी भी दिखावे के लिए नहीं करना चाहिए.
- इसे केवल श्रद्धा और आस्था के साथ शनि देव को अर्पित करें.
- शनिवार के अलावा किसी और दिन इन उपायों को करने से बचें.
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