बजरंग पूनिया के पिता के निधन पर शोक प्रकट करने पहुंचे नारनौंद विधायक जस्सी पेटवाड़।
हरियाणा के ओलिंपियन रेसलर और अखिल भारतीय किसान कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बजरंग पूनिया के पिता बलवान पूनिया का निधन हो चुका है। उनका निधन गुरुवार को हुआ था, जिसके बाद शुक्रवार को उनके पैतृक खुड्डन गांव में उनका अंतिम संस्कार किया गया।
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आज रविवार को हिसार जिले के नारनौंद हलके से कांग्रेस के विधायक जस्सी पेटवाड़ झज्जर जिले के खुड्डन गांव में बजरंग पूनिया के पिता के निधन के शोक प्रकट करने पहुंचे। जस्सी पेटवाड़ बजरंग पूनिया के घर पहुंचे और उन्हें ढांढस बंधाया। उन्होंने बजरंग पूनिया के पिता बलवान पूनिया को श्रद्धांजलि दी।
बजरंग पूनिया के पिता पिछले लंबे समय से बीमार चल रहे थे और निधन से पहले वे 18 दिन से अस्पताल में भर्ती थे। उनका इलाज दिल्ली के गंगाराम हॉस्पीटल में चल रहा था। उनके बड़े बेटे हरेंद्र पूनिया ने बताया था कि उनके पिता के दोनों फेफड़े खराब हो गए थे। जिसके कारण इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।

बजरंग पूनिया के पिता बलवान की अस्पताल में भर्ती के दौरान की तस्वीर। इनसेट में बजरंग की फोटो।
वहीं पिता की मौत के बाद ओलिंपियन बजरंग पूनिया ने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट डालकर उनके पिता बलवान पूनिया के निधन की पुष्टि की थी।
पिता के निधन पर बजरंग पूनिया ने लिखा था- बापूजी हमारे साथ नहीं रहे। उन्होंने बड़ी मेहनत से हम लोगों को यहां तक पहुंचाया था।वे हमारे पूरे परिवार की रीढ़ थे। समझ नहीं आ रहा कि उनके बिना आगे जीवन कैसा होगा।
बजरंग के पिता बलवान पूनिया का जन्म 22 जुलाई 1954 को हुआ था। वह 4 भाइयों में सबसे बड़े थे। उनके बाद जगबीर, रणबीर और सबसे छोटे दलबीर हैं। रणबीर पूनिया का पहले ही निधन हो चुका है, जबकि दलबीर इस समय रेलवे पुलिस में कार्यरत हैं।

पिता बलवान के साथ बजरंग पूनिया।- फाइल फोटो
खुद पहलवानी नहीं कर पाए तो बेटे बजरंग को ओलिंपियन बनाया बजरंग पूनिया के पिता बलवान पूनिया भी पहलवानी करते थे। मगर, आर्थिक हालात खराब होने के कारण वे अपना सपना पूरा नहीं कर पाए। इसके बाद उन्होंने बजरंग को पहलवान बनाने की ठानी। 7 साल की उम्र से ही बजरंग को पहलवानी की प्रैक्टिस करानी शुरू कर दी। उन्होंने खुद भी बचपन से ही बजरंग को अखाड़े के गुर सिखाने शुरू कर दिए। उनकी इच्छा थी कि बेटा देश का नामी पहलवान बने, जो बजरंग ने ओलिंपिक तक पहुंचकर सच कर दिखाया।
