Deepender Hooda arrived to pay tribute to Bajrang Punia’s father | बजरंग पूनिया के पिता को श्रद्धांजलि देने पहुंचे दीपेंद्र हुड्‌डा: ओलिंपियन के परिवार को दी सांत्वना, 18 को होगा रस्म पगड़ी कार्यक्रम – Jhajjar News

Deepender Hooda arrived to pay tribute to Bajrang Punia’s father | बजरंग पूनिया के पिता को श्रद्धांजलि देने पहुंचे दीपेंद्र हुड्‌डा: ओलिंपियन के परिवार को दी सांत्वना, 18 को होगा रस्म पगड़ी कार्यक्रम – Jhajjar News


झज्जर के खुड्‌डन गांव में बजरंग पूनिया के पिता बलवान पूनिया को दीपेंद्र हुड्‌डा ने दी श्रद्धांजलि।

ओलिंपियन रेसलर बजरंग पूनिया के पिता के निधन के बाद आज झज्जर में गांव खुड्‌डन में रोहतक लोकसभा सांसद दीपेंद्र हुड्‌डा पहुंचे। सांसद ने बजरंग पूनिया के पिता को पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी और परिवार को सांत्वना दी। बजरंग पूनिया के पिता बलवान पूनिया क

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बजरंग पूनिया के पिता पिछले लंबे समय से बीमार चल रहे थे और निधन से पहले वे 18 दिन से अस्पताल में भर्ती थे। उनका इलाज दिल्ली के गंगाराम हॉस्पीटल में चल रहा था। उनके बड़े बेटे हरेंद्र पूनिया ने बताया था कि उनके पिता के दोनों फेफड़े खराब हो गए थे। जिसके कारण इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।

बजरंग पूनिया के घर सांत्वना देने पहुंचे सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्‌डा।

बजरंग पूनिया के घर सांत्वना देने पहुंचे सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्‌डा।

71 की उम्र में हुआ बजरंग पूनिया के पिता का निधन

वहीं पिता की मौत के बाद ओलिंपियन बजरंग पूनिया ने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट डालकर उनके पिता बलवान पूनिया के निधन की पुष्टि की थी। बजरंग पूनिया के पिता का निधन 71 साल की उम्र में हुआ। बजरंग के पिता बलवान पूनिया का जन्म 22 जुलाई 1954 को हुआ था। वह 4 भाइयों में सबसे बड़े थे। उनके बाद जगबीर, रणबीर और सबसे छोटे दलबीर हैं। रणबीर पूनिया का पहले ही निधन हो चुका है, जबकि दलबीर इस समय रेलवे पुलिस में कार्यरत हैं।

खुद पहलवानी नहीं कर पाए तो बेटे बजरंग को ओलिंपियन बनाया

बजरंग पूनिया के पिता बलवान पूनिया भी पहलवानी करते थे। मगर, आर्थिक हालात खराब होने के कारण वे अपना सपना पूरा नहीं कर पाए। इसके बाद उन्होंने बजरंग को पहलवान बनाने की ठानी। 7 साल की उम्र से ही बजरंग को पहलवानी की प्रैक्टिस करानी शुरू कर दी। उन्होंने खुद भी बचपन से ही बजरंग को अखाड़े के गुर सिखाने शुरू कर दिए। उनकी इच्छा थी कि बेटा देश का नामी पहलवान बने, जो बजरंग ने ओलिंपिक तक पहुंचकर सच कर दिखाया।



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