The Bengal Files; Anupam Kher | Mahatma Gandhi | ‘द बंगाल फाइल्स’ में अपनी भूमिका पर अनुपम खेर बोले: गांधी के किरदार के लिए एक साल तक शराब और नॉनवेज से दूर रहा

The Bengal Files; Anupam Kher | Mahatma Gandhi | ‘द बंगाल फाइल्स’ में अपनी भूमिका पर अनुपम खेर बोले: गांधी के किरदार के लिए एक साल तक शराब और नॉनवेज से दूर रहा


3 दिन पहलेलेखक: आशीष तिवारी

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अनुपम खेर ‘द बंगाल फाइल्स’ में गांधी का किरदार निभा रहे हैं। दुबई में आयोजित दैनिक भास्कर रियल्टी अवॉर्ड 2025 के दौरान एक्टर ने बताया कि गांधीजी की भूमिका निभाने के लिए उन्होंने एक साल तक नॉनवेज नहीं खाया।

सारांश से लेकर कश्मीर फाइल्स तक कई अलग-अलग प्रभावशाली किरदार निभा चुके अनुपम खेर कहते हैं कि कुछ किरदार ऐसे होते हैं, जिसे अलग तरीके से करने पड़ते हैं। उन्हीं में से गांधी का भी किरदार है। इस दौरान अनुपम ने पिता जी मिली एक सीख के बारे में भी चर्चा की।

दुबई में आयोजित दैनिक भास्कर रियल्टी अवॉर्ड 2025 के दौरान जब अनुपम खेर से पूछा गया कि सारांश से लेकर कश्मीर फाइल्स कई अलग-अलग प्रभावशाली किरदार निभाएं हैं। अब द बंगाल फाइल्स में गांधी जी का आइकॉनिक रोल निभाया है। इसे लेकर कितना प्रेशर और एक्साइटमेंट है?

इस सवाल के जवाब में अनुपम खेर ने कहा- मैं जिंदगी को इतना ज्यादा प्रेशर से नहीं लेता। मैं प्रेशर में काम नहीं करता हूं। मैं हमेशा सोचता हूं कि ज्यादा से ज्यादा क्या होगा? जब ऐसी सोच आ जाती है तब बहुत हल्का महसूस करते हैं। बहुत पहले पिता जी ने मेरे मन से फेलियर का डर निकाल दिया था।

पिताजी ने बहुत अच्छी बात कही थी- ‘Failure is an event, never a person’ व्यक्ति नहीं बल्कि इवेंट फेल होता है। अब अगर ये माइक काम करना बंद कर दे तो हम फेल नहीं हुए। बल्कि इवेंट फेल हुआ। इवेंट में आगे खड़े होकर जोर-जोर से बोल देंगे।

पढ़ाई में बिल्कुल भी अच्छा नहीं था

अनुपम खेर ने बचपन का एक किस्सा शेयर किया। कहा- मैं पढ़ाई में बिल्कुल भी अच्छा नहीं था। मेरे कभी भी 38 परसेंट से ज्यादा मार्क्स नहीं आए। पिता जी से हमेशा रिपोर्ट कार्ड पर साइन करवाने होते थे। मैं तब साइन करवाता था जब पिता जी जल्दी में होते थे। ताकि वो रिपोर्ट कार्ड ना देखें और साइन कर दें, लेकिन एक दिन मेरी किस्मत खराब थी।

पिताजी ने दी जिंदगी की सीख

उनकी स्टोर की चाबी अंदर रह गई थी उसे लेने गए। मेरा रिपोर्ट कार्ड देखकर बोले कि तू अपने क्लास में 59th आया है। पूछे कि कितने स्टूडेंट हैं? मैंने 60 बताया। मुझे लगा कि डांट पड़ेगी या कुछ बोलेंगे, लेकिन उन्होंने थोड़ा रुककर कहा- बेटा एक बात तो है जो पढ़ाई-लिखाई और खेलकूद में हमेशा फर्स्ट आते हैं। उनको हमेशा फर्स्ट आने का टेंशन लगा रहता है। अगर वह सेकेंड आया तो सोचता है कि डिमोशन हो गया। लेकिन जो 59th आता है वह 48th , 36th और 32th भी आ सकता है।

इंसान नहीं, बल्कि इवेंट फेल होता है

अगली बार 48th आ जाना। फिर उन्होंने बताया कि व्यक्ति नहीं, बल्कि इवेंट फेल होता है। जब पिता जी जिंदगी की ऐसी सीख देते है तब दुनिया की कोई भी ताकत आपको नहीं हटा सकती है। हम लोग फेलियर से डरते हैं। हम खुद अपने छोटे होने का एहसास दिलाते हैं।

रही बात ‘द बंगाल फाइल्स’ में गांधी के किरदार की तो इस रोल में थोड़ी कठिनाई आई थी। कुछ रोल ऐसे होते हैं जिसे अलग तरीके से करने पड़ते हैं। इस फिल्म की तैयारी से लेकर शूटिंग तक एक साल शराब और नॉनवेज से दूर रहा।



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