Asha Parekh Birthday Interesting Facts; Nasir Hussain | Shashi Shammi Kapoor | आशा पारेख@83, गले मिलने बुर्का पहनकर पहुंचे शशि कपूर: ‘स्टार मटेरियल नहीं’ कहकर फिल्म से निकाली गईं, बाद में हिट फिल्मों से बनीं जुबली गर्ल

Asha Parekh Birthday Interesting Facts; Nasir Hussain | Shashi Shammi Kapoor | आशा पारेख@83, गले मिलने बुर्का पहनकर पहुंचे शशि कपूर: ‘स्टार मटेरियल नहीं’ कहकर फिल्म से निकाली गईं, बाद में हिट फिल्मों से बनीं जुबली गर्ल


10 मिनट पहलेलेखक: अभय पांडेय

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आशा पारेख 1994 से 2000 तक 'सिने एंड टीवी आर्टिस्ट्स एसोसिएशन' (CINTAA) की अध्यक्ष रहीं। - Dainik Bhaskar

आशा पारेख 1994 से 2000 तक ‘सिने एंड टीवी आर्टिस्ट्स एसोसिएशन’ (CINTAA) की अध्यक्ष रहीं।

आशा पारेख एक ऐसा नाम हैं, जिन्होंने अपनी अदा, डांस और एक्टिंग से लाखों लोगों के दिल जीते। उन्होंने लगभग 100 बॉलीवुड फिल्मों में काम किया, जिनमें मेरे सनम, तीसरी मंजिल, लव इन टोक्यो, उपकार और कन्यादान जैसी हिट फिल्में शामिल हैं। इसी कारण वे अपने समय की सबसे ज्यादा फीस लेने वाली अभिनेत्रियों में से एक थीं।

सिर्फ एक्टिंग ही नहीं, उन्होंने टीवी सीरियल्स को डायरेक्ट और प्रोड्यूस भी किया। फिल्मों में उनके योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री और दादासाहेब फाल्के पुरस्कार जैसे सम्मान दिए।

आज आशा पारेख के बर्थडे के खास मौके पर आइए उनकी जिंदगी को करीब से छूते हैं-

आशा पारेख का जन्म 2 अक्टूबर 1942 को मुंबई के सांताक्रूज इलाके में हुआ। उनके पिता गुजराती हिंदू और मां बोहरा मुस्लिम थीं। हालांकि, उनकी मां सलमा उर्फ सुधा पारेख ने शादी के बाद हिंदू धर्म अपना लिया था। उनकी मां ने स्वतंत्रता संग्राम में भी हिस्सा लिया था। जब आशा पारेख उनके पेट में थीं तब भी उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ आवाज उठाई और जेल भी गईं।

आशा पारेख के पिता, बच्चूभाई पारेख और मां सुधा पुणे के फर्ग्यूसन कॉलेज में पढ़ाई के दौरान मिले थे। दोनों ने लव मैरिज की थी।

आशा पारेख के पिता, बच्चूभाई पारेख और मां सुधा पुणे के फर्ग्यूसन कॉलेज में पढ़ाई के दौरान मिले थे। दोनों ने लव मैरिज की थी।

बचपन में डॉक्टर बनना चाहती थीं आशा पारेख

आशा पारेख बचपन में डॉक्टर बनना चाहती थीं, लेकिन एक ट्रेन हादसा देखने के बाद उन्होंने अपना मन बदल लिया। उन्हें डांस से भी खास लगाव था। फेमस एक्टर प्रेमनाथ उनके टैलेंट से प्रभावित हुए और उन्हें कथक गुरु मोहनलाल पांडे के पास भेजा। एक स्टेज कार्यक्रम के दौरान डायरेक्टर बिमल रॉय ने आशा पारेख को देखा और उन्हें अपनी फिल्म मां (1952) में चाइल्ड आर्टिस्ट का रोल दिया।

आशा पारेख ने चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर आसमान, बाप-बेटी, धोबी डॉक्टर, आशा और उस्ताद जैसी फिल्मों में काम किया।

आशा पारेख ने चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर आसमान, बाप-बेटी, धोबी डॉक्टर, आशा और उस्ताद जैसी फिल्मों में काम किया।

लेकिन कुछ फिल्मों में काम करने के बाद फिल्म बाप-बेटी की असफलता के बाद उन्होंने पढ़ाई पर ध्यान देने का फैसला किया।

सोलह साल की उम्र में उन्होंने फिर से फिल्मी दुनिया में कदम रखा। विजय भट्ट की फिल्म ‘गूंज उठी शहनाई’ में उन्हें यह कहकर रिजेक्ट कर दिया गया वो स्टार मैटीरियल नहीं है, लेकिन किस्मत ने जल्दी ही करवट बदली। महज आठ दिन बाद प्रोड्यूसर नासिर हुसैन और सुभोध मुखर्जी ने उन्हें दिल देकर देखो (1959) में शम्मी कपूर के साथ कास्ट किया। फिल्म सुपरहिट हुई और आशा पारेख रातों-रात स्टार बन गईं।

धर्मेंद्र, राजेंद्र कुमार, राजेश खन्ना, जितेंद्र और शम्मी कूपर जैसे दिग्गज सितारों के साथ काम किया है।

धर्मेंद्र, राजेंद्र कुमार, राजेश खन्ना, जितेंद्र और शम्मी कूपर जैसे दिग्गज सितारों के साथ काम किया है।

इसके बाद उन्होंने जब प्यार किसी से होता है, घराना, जिद्दी, मेरे सनम, तीसरी मंजिल, लव इन टोक्यो, आये दिन बहार के, उपकार, कटी पतंग, कारवां, मेरा गांव मेरा देश, हीरा और मैं तुलसी तेरे आंगन की जैसी कई हिट फिल्मों में काम किया।

क्रिटिक्स उन्हें ‘ग्लैमरस गर्ल’ कहते थे और उन्हें लगता था कि वे अच्छी एक्टिंग नहीं कर सकतीं, लेकिन फिल्म दो बदन में उनकी एक्टिंग को क्रिटिक्स ने बहुत पसंद किया।

1960 और 70 के दशक में बॉक्स ऑफिस पर उनकी लगातार हिट फिल्मों को देखते हुए उन्हें ‘जुबली गर्ल’ कहा जाने लगा।

आशा पारेख ने गुजराती, पंजाबी और कन्नड़ फिल्मों में भी काम किया।

आशा पारेख ने गुजराती, पंजाबी और कन्नड़ फिल्मों में भी काम किया।

आशा पारेख का निजी जीवन

आशा पारेख ने कभी शादी नहीं की। साल 2017 में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा था कि उनके लिए अच्छी शादी करना, सिर्फ शादी करने से ज्यादा मायने रखता है क्योंकि वे केवल नाम के लिए शादी नहीं करना चाहती थीं।

अपनी आत्मकथा में पारेख ने यह स्वीकार किया कि उनका रिश्ता फिल्ममेकर नासिर हुसैन के साथ था। हुसैन की शादी आयशा खान से हुई थी और उनके दो बच्चे थे। आशा पारेख उन्हें अपना इकलौता प्यार मानती हैं, लेकिन उन्होंने शादी का फैसला इसलिए नहीं किया, क्योंकि वे किसी का घर तोड़ने वाली नहीं बनना चाहती थीं और न ही उनके बच्चों को दुख पहुंचाना चाहती थीं।

नासिर हुसैन बॉलीवुड के मशहूर डायरेक्टर, राइटर और प्रोड्यूसर थे। उन्होंने यादों की बारात, तुमसा नहीं देखा और दिल देकर देखो जैसी फिल्मों में काम किया है।

नासिर हुसैन बॉलीवुड के मशहूर डायरेक्टर, राइटर और प्रोड्यूसर थे। उन्होंने यादों की बारात, तुमसा नहीं देखा और दिल देकर देखो जैसी फिल्मों में काम किया है।

आशा पारेख ने यह भी बताया कि उनका और हुसैन के परिवार के बीच कभी कोई कड़वाहट नहीं रही। उनके बच्चे नुसरत और इमरान, उनकी किताब के लॉन्च पर भी मौजूद थे। नासिर हुसैन के 2002 में निधन के बाद पारेख ने याद किया कि उनकी उनसे आखिरी साल में ज्यादा बातचीत नहीं हुई थी, क्योंकि वे लोगों से दूर हो गए थे, लेकिन निधन से पहले दोनों ने बात की थी।

वहीं, आशा पारेख एक भारतीय प्रोफेसर से भी लगभग शादी करने वाली थीं, जो अमेरिका में रहते थे, लेकिन जब उन्होंने माना कि उनकी पहले से एक गर्लफ्रेंड है, तो शादी नहीं हो पाई।

मां की सलाह पर आशा पारेख ने अरेंज मैरिज करने की सोची, लेकिन उन्हें सही व्यक्ति नहीं मिला और धीरे-धीरे शादी का पूरा विचार ही उन्हें अच्छा नहीं लगा।

आशा पारेख से मिलने के लिए शशि कपूर ने बुर्का पहना था

कश्मीर में आशा पारेख फिल्म ‘मेरे सनम’ की शूटिंग कर रही थीं। वहीं, एक्टर शम्मी कपूर फिल्म ‘जब जब फूल खिले’ की शूटिंग कर रहे थे। उस वक्त आशा पारेख टॉप हीरोइन थीं और शशि कपूर बड़े स्टार नहीं थे।

शूटिंग के दौरान शशि कपूर, फिल्म की उनकी को-एक्ट्रेस शम्मी से कहते थे -“कुछ करो, मुझे आशा को झप्पी देनी है।” इस पर शम्मी ने प्लान बनाया कि शशि कपूर बुर्का पहनकर औरतों का भेष बनाकर आशा से मिल सकते हैं।

शशि कपूर के साथ एक और शख्स भी तैयार हुआ और दोनों ने बुर्का पहना। वे शम्मी के साथ आशा पारेख के कमरे में पहुंचे। आशा ने बड़े अदब से कहा- “आइए, बैठिए।” तभी फोन आया और वे दूसरे कमरे में चली गईं।

शशि कपूर और आशा पारेख ने 'कन्यादान' जैसी फिल्म में साथ काम किया था।

शशि कपूर और आशा पारेख ने ‘कन्यादान’ जैसी फिल्म में साथ काम किया था।

इस दौरान शम्मी ने शशि से कहा-“जैसे ही वो लौटेंगी, तुम झप्पी दे देना।” फिर जब आशा कमरे में लौटीं, तो उन्हें कुछ शक हुआ। पकड़े जाने से पहले शशि नीचे निकल गए और बुर्का उतारते हुए बोले -“ये तो मैं हूं!” जिस पर आशा ने कहा था-“वेरी बैड, ऐसे नहीं करना चाहिए।”

आशा पारेख शम्मी कपूर को प्यार से चाचा कहकर बुलाती थीं। हालांकि, एक समय ऐसा भी आया जब दोनों की शादी की अफवाहें भी उड़ी थीं।

आशा पारेख ने अरबाज खान के शो ‘द इनविंसिबल्स सीरीज’ में शम्मी कपूर से जुड़ी शादी की अफवाहों के बारे में बताया था कि महाबलेश्वर में शूटिंग चल रही थी, और अचानक फिल्म प्रोड्यूसर ओम प्रकाश ने मजाक में कह दिया कि शम्मी कपूर और आशा पारेख की शादी हो गई है। इसके बाद देर रात नासिर हुसैन के यहां पार्टी हुई। सभी लोग इस अफवाह पर चुपचाप फुसफुसा रहे थे। शम्मी कपूर ने वहां कहा, “हां, हम शादीशुदा हैं।” देवियानी जी ने यह सुन लिया।

आशा पारेख और शम्मी कपूर ने दिल देके देखो, तीसरी मंजिल और जवान मोहब्बत जैसी फिल्मों में एक साथ काम किया था।

आशा पारेख और शम्मी कपूर ने दिल देके देखो, तीसरी मंजिल और जवान मोहब्बत जैसी फिल्मों में एक साथ काम किया था।

आशा पारेख ने यह भी कहा कि उन्हें नहीं पता था कि ऐसा हो रहा है। शम्मी ने उनसे कहा था कि कुछ मत बोलो। उन्होंने मजाक में कहा कि यह एक फ्रैंक है। उस समय शम्मी कपूर किसी और के साथ अफेयर में थे, जिससे संबंधित व्यक्ति भी बहुत नाराज हो गया था।

आशा पारेख ने दाल में काला है , कोरा कागज और कंगन जैसी टीवी सीरियल को डायरेक्ट किया है

आशा पारेख ने दाल में काला है , कोरा कागज और कंगन जैसी टीवी सीरियल को डायरेक्ट किया है

आशा पारेख को बोरियों में फैंस के लैटर आते थे

अपनी फैन फॉलोइंग के बारे में फिल्मफेयर को 2017 में दिए इंटरव्यू में आशा पारेख ने बताया था कि उन्हें अक्सर बोरियों में फैंस के लैटर मिलते थे।

हालांकि, एक फैन ने हद कर दी थी। एक चीनी फैन उनके घर के गेट के पास हमेशा खड़ा रहता था और उनके आने-जाने पर नजर रखता था। इस घटना से आशा पारेख डर गई थी और जब भी गाड़ी घर के गेट के अंदर आती, मैं उसमें छिप जाती थी। जब पड़ोसियों ने उसे डांटा, तो उसने चाकू दिखाकर धमकी दी कि वह उनसे शादी करने आया है। इसके बाद आशा पारेख ने पुलिस कमिश्नर को बुलाया और जिसके पुलिस उसे आर्थर रोड जेल ले गई। बाद में उसने उन्हें जमानत की मांग वाला लैटर लिखा।

माता-पिता की मौत से टूटीं, आत्महत्या करने की सोची

बता दें कि आशा पारेख के लिए फिल्म इंडस्ट्री के उतार-चढ़ाव नहीं, बल्कि माता-पिता की मौत बड़ा झटका था।

2017 में PTI को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, “वह मेरे लिए बहुत बुरा समय था। मैंने अपने माता-पिता को खो दिया। मैं बिल्कुल अकेली रह गई और सब कुछ खुद ही संभालना पड़ा। इससे मैं डिप्रेशन में चली गई। मुझे बहुत बुरा लगने लगा और मेरे मन में आत्महत्या जैसे विचार भी आए। फिर मैंने खुद को संभाला। यह एक संघर्ष था, जिसके लिए मुझे डॉक्टरों की मदद लेनी पड़ी।”

2017 में आशा पारेख की आत्मकथा द हिट गर्ल आई, जिसे फिल्म समीक्षक खालिद मोहम्मद के साथ लिखा।

2017 में आशा पारेख की आत्मकथा द हिट गर्ल आई, जिसे फिल्म समीक्षक खालिद मोहम्मद के साथ लिखा।

सेंसर बोर्ड की पहली महिला चेयरपर्सन बनी थीं

1998 से 2001 तक आशा पारेख सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) की पहली महिला चेयरपर्सन बनीं।

जब आशा पारेख ने CBFC का दायित्व संभाला, तो उन्हें कई विवादों का सामना करना पड़ा। सबसे पहला विवाद दीपा मेहता की फिल्म फायर (1996) को लेकर हुआ। यह फिल्म पहले विदेशों में दिखाई गई और कई अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में सराही गई।

भारत में इसे दो साल बाद रिलीज किया गया। फिल्म को लेकर लोगों ने विरोध किया और कहा कि यह भारतीय संस्कृति के खिलाफ है। आशा पारेख ने अपनी आत्मकथा में लिखा था कि फिल्म में दो महिलाओं के बीच प्रेम को सुंदर तरीके से और बिना किसी सनसनी फैलाए दिखाया गया था। उन्होंने साफ कहा कि इस फिल्म को बंद करने या शबाना आजमी और नंदिता दास के किस वाले सीन को हटाने का कोई कारण नहीं था।

1998 में मुंबई पुलिस कमिश्नर रॉनी मेंडोंका ने आशा पारेख से अनुरोध किया कि महाराष्ट्र पुलिस को फिल्में CBFC प्रमाणपत्र जारी होने से पहले प्री-स्क्रीनिंग की अनुमति दें। पारेख ने यह प्रस्ताव स्वीकार किया और मुकेश व महेश भट्ट की जख्म को सीनियर पुलिस अधिकारियों से क्लियर कराने को कहा।

बता दें कि आशा पारेख के इस फैसले से मुकेश और महेश भट्ट खुश नहीं थे।

महेश भट्ट ने फिल्म को लेकर आशा पारेख को धमकी दी थी और कहा था कि अगर वे फिल्म को पास नहीं करेंगी, तो वह दिल्ली जाकर फिल्म को पास करवा देंगे।

हालांकि, फिल्म को मामूली कट्स के बाद रिलीज किया गया।

1991 में आशा पारेख ने दिलीप कुमार, सुनील दत्त, मिथुन चक्रवर्ती और अमजद खान के साथ मिलकर सिने आर्टिस्ट वेलफेयर ट्रस्ट बनाया।

1991 में आशा पारेख ने दिलीप कुमार, सुनील दत्त, मिथुन चक्रवर्ती और अमजद खान के साथ मिलकर सिने आर्टिस्ट वेलफेयर ट्रस्ट बनाया।

साल 2016 में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने दावा किया था कि एक्ट्रेस आशा पारेख ने पद्म भूषण के लिए लॉबिंग की थी। एक प्रोग्राम में गडकरी ने कहा था कि पद्म पुरस्कारों के लिए जिस तरह से दौड़ लगाई जाती है वो सही नहीं है।

गडकरी ने कहा था, ”मेरे घर आशा जी पुरस्कार के लिए सिफारिश करने पहुंचीं थीं। बिल्डिंग की लिफ्ट खराब थी, लेकिन इसके बाद भी आशा 12 मंजिल चढ़कर पद्म भूषण मांगने के लिए आई थीं। उन्होंने कहा था कि मुझे पद्म श्री मिला है, लेकिन फिल्मों में मेरे योगदान को देखते हुए पद्म भूषण सम्मान दिया जाना चाहिए।”

हालांकि, आशा पारेख ने कहा था कि उन्होंने कभी भी इस पुरस्कार के लिए लॉबींग नहीं की और इस मामले पर और कुछ नहीं बताया।

अपनी आत्मकथा ‘द हिट गर्ल’ में, जो एक साल बाद प्रकाशित हुई, आशा पारेख ने कहा था कि मंत्री से मिलना उनके जीवन की सबसे बड़ी गलती थी। उन्होंने कहा कि मंत्री के इस दावे से उन्हें चोट लगी और उन्होंने इस घटना का अलग विवरण साझा किया।

आशा पारेख के साथ शूटिंग के लिए प्याज खाकर जाते थे धर्मेंद्र

धर्मेंद्र ने रियलिटी शो सुपरस्टार सिंगर में बताया था कि फिल्म आए दिन बहार के की शूटिंग के दौरान वे आशा पारेख के साथ काम कर रहे थे।

शूटिंग खत्म होने के बाद धर्मेंद्र डायरेक्टर और अन्य क्रू मेंबर्स के साथ देर रात तक शराब पीते थे। सुबह जब शूटिंग शुरू होती, तो उनके मुंह से शराब की गंध आती थी। इसे छिपाने के लिए वे प्याज खा लिया करते थे।

धर्मेंद्र ने कहा था, “एक बार आशा पारेख ने मुझसे शिकायत की कि मेरे मुंह से शराब की गंध आ रही है। मैंने उन्हें पूरी सच्चाई बताई। इसके बाद आशा जी ने मुझे शराब छोड़ने की सलाह दी और हम अच्छे दोस्त बन गए।”

वहीं, टीवी शो पर उसी फिल्म को लेकर आशा पारेख ने भी किस्सा शेयर किया था। उन्होंने कहा था, “दार्जिलिंग में फिल्म का एक सीन पानी में शूट हो रहा था। ठंड बहुत थी, और जैसे ही धर्मेंद्र बाहर निकलते, लोग उन्हें ब्रांडी ऑफर करते, लेकिन वे मेरी तरफ देखते और ब्रांडी नहीं पीते थे। मैंने उनसे कहा था कि अगर वे शराब पिएंगे, तो मैं सेट पर नहीं आऊंगी। मेरे सम्मान के लिए उन्होंने शराब नहीं पी।”

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