Sharad Purnima 2025: शरद पूर्णिमा अश्विन मास की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला एक हिन्दू पर्व है, जो कोजागरी पूर्णिमा और रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है और उसकी किरणों से अमृत वर्षा होती है, जिसका विधान खीर को चांदनी में रखकर ग्रहण करने का है.
माना जाता है कि इस रात भगवान श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था और देवी लक्ष्मी धरती पर विचरण करती हैं, इसलिए उनकी पूजा की जाती है.
शरद पूर्णिमा का जानें महत्व
शरद पूर्णिमा (कोजागरी पूर्णिमा) का महत्व है कि इस रात चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होकर पृथ्वी पर अमृत वर्षा करता है. यह रात देवी लक्ष्मी और चंद्रदेव की पूजा के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है और ऐसी मान्यता है कि इस रात मां लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करती हैं.
इस दिन खुले आसमान के नीचे खीर रखकर चंद्रमा की किरणों से अमृत वर्षा करवाकर उसका सेवन करने से आरोग्य लाभ होता है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है.
शरद पूर्णिमा का धार्मिक महत्व
लक्ष्मी और चंद्रदेव की पूजा शरद पूर्णिमा को मां लक्ष्मी का जन्मोत्सव भी माना जाता है. इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है. चंद्रदेव की पूजा से मानसिक शांति और सकारात्मकता मिलती है.
चंद्रमा की सोलह कलाएं
इस दिन चंद्रमा अपनी सभी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है और उसकी किरणें अमृतमयी होती हैं.
अमृत वर्षा और खीर का महत्व
माना जाता है कि इस रात चंद्रमा की रोशनी से अमृत बरसता है, जो खीर में घुल जाता है. यह अमृत वर्षा वाली खीर खाने से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, स्वास्थ्य में सुधार होता है और परिवार को बीमारियों से मुक्ति मिलती है.
शरद पूर्णिमा पूजा विधि
शरद पूर्णिमा के दिन सुबह गंगाजल मिलाकर स्नान करें, स्वच्छ वस्त्र पहनें और व्रत का संकल्प लें. घर के मंदिर में भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और चंद्रदेव की स्थापना कर धूप, दीप, फूल, फल और अक्षत अर्पित कर पूजा करें.
रात में चंद्रदेव को दूध, चावल और सफेद फूलों से अर्घ्य दें. गाय के दूध से बनी खीर को चंद्रमा की रोशनी में रखकर अगले दिन प्रसाद रूप में ग्रहण करें और जरूरतमंदों को दान भी करें.
शरद पूर्णिमा व्रत के लाभ
शरद पूर्णिमा व्रत के कई लाभ बताए जाते हैं, जिनमें मानसिक शांति, धन-धान्य की प्राप्ति, स्वास्थ्य में सुधार और आध्यात्मिक उन्नति शामिल हैं. इस व्रत को करने से चंद्रमा कुंडली में मजबूत होता है, देवी-देवताओं की कृपा मिलती है और मौसम के बदलाव के दौरान शरीर को संतुलन और शक्ति मिलती है.
शरद पूर्णिमा व्रत के धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ
मानसिक शांति और सफलता
यह व्रत करने से व्यक्ति के मन को शांति मिलती है और जीवन में सफलता प्राप्त होती है.
देवी-देवताओं की कृपा
इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है और घर में धन-समृद्धि आती है.
मोक्ष की प्राप्ति
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को रखने से साधक को मोक्ष की प्राप्ति होती है.
शरद पूर्णिमा व्रत के स्वास्थ्य और शारीरिक लाभ
शरीर को ठंडक
चंद्रमा की रोशनी और खीर जैसे ठंडे पदार्थ शरीर को ठंडक और सुकून देते हैं.
पाचन तंत्र को आराम
आयुर्वेद के अनुसार, इस दिन उपवास रखने से पाचन तंत्र को आराम मिलता है और शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं.
रोगों से बचाव
यह व्रत शरीर को मौसमी बदलावों के अनुसार संतुलित करता है और रोगों से बचाव में मदद करता है, जिससे शरीर में ऊर्जा बनी रहती है.
अमृत का प्रभाव
ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है, इसलिए इस दिन चंद्रमा की रोशनी में रखी खीर खाने से स्वास्थ्य लाभ होते हैं.
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