11 मिनट पहलेलेखक: आशीष तिवारी
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डिज्नी+ हॉटस्टार की नई वेब सीरीज़ ‘सर्च: द नैना मर्डर केस’ एक रहस्य के बहाने इंसानी मन की परतों को खोलती है। यह कहानी सिर्फ एक हत्या की जांच नहीं, बल्कि उस सच की तलाश है जो हर किसी के लिए अलग होता है। दैनिक भास्कर से खास बातचीत में अभिनेत्री कोंकणा सेन शर्मा और निर्देशक रोहन सिप्पी ने बताया कि यह शो असल में हमारे भीतर की सच्चाइयों, रिश्तों और परसेप्शन की लड़ाई को दिखाता है, जहां हर कोई अपना सच लेकर चलता है।
कोंकणा, ट्रेलर देखकर लगता है कि यह सिर्फ एक मर्डर मिस्ट्री नहीं बल्कि इंसानी सोच और सच की परतों को खोलती है। आप इसे कैसे देखती हैं?
बिल्कुल, इसमें सिर्फ यह नहीं दिखाया गया है कि किसने हत्या की, बल्कि यह कि हर इंसान का सच अलग होता है। जो एक को सही लगता है, वह दूसरे को गलत भी लग सकता है। मुझे लगा कि यह कहानी सच और परसेप्शन के बीच की जंग को बहुत दिलचस्प तरीके से दिखाती है।

इस सीरीज में कोंकणा पहली बार पुलिस का किरदार निभा रही हैं।
रोहन, आपको इस प्रोजेक्ट में क्या सबसे दिलचस्प लगा?
मुझे इसकी कहानी हमेशा से पसंद थी। जब ‘एप्लॉज़’ और ‘डिज़्नी+ हॉटस्टार’ ने इसे बनाने की बात कही और कोंकणा का नाम सामने आया, तो उत्साह और बढ़ गया। मैंने कोंकणा को हमेशा गहराई वाले किरदारों में देखा है, लेकिन पुलिस अफसर के रूप में पहली बार देखना दिलचस्प था।
कोंकणा, आपके ज्यादातर किरदार मजबूत और सोचने पर मजबूर करने वाले होते हैं। क्या आप जानबूझकर ऐसे रोल चुनती हैं?
नहीं, ऐसा नहीं है कि मैं सिर्फ ‘मजबूत’ महिलाओं के किरदार निभाना चाहती हूं। मैं ऐसी औरतों को दिखाना चाहती हूं जो असल जिंदगी जैसी हों — कभी मजबूत, कभी भावुक, कभी उलझी हुई। संयुक्ता का किरदार भी ऐसा ही है। वह एक ईमानदार पुलिस अफसर है, पर एक मां भी है जो अपने बेटे के साथ रिश्ते को संभालने की कोशिश करती है।
इस सीरीज में पेरेंटिंग और टीनएज बच्चों की दुनिया को भी दिखाया गया है। आप दोनों इसे कैसे देखते हैं?
कोंकणा-आज के बच्चों की डिजिटल जिंदगी बहुत जल्दी शुरू हो जाती है। सोशल मीडिया का असर उनके आत्मविश्वास और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। माता-पिता को बच्चों से डांटने या रोकने से ज्यादा बात करनी चाहिए, उन्हें समझाना चाहिए कि क्या सही है और क्यों।
रोहन- मैं पूरी तरह सहमत हूं। आजकल माता-पिता दोनों काम करते हैं, और परिवार का ढांचा छोटा हो गया है। ऐसे में बच्चों के साथ संवाद बहुत जरूरी हो जाता है। यही इस सीरीज में भी दिखाया गया है।
रोहन, आपको क्या लगता है कि अब हिंदी सिनेमा और ओटीटी में महिला-प्रधान कहानियों के लिए माहौल बेहतर हुआ है?
हां, बदलाव धीरे-धीरे आया है लेकिन साफ दिखता है। जब दर्शक ऐसी कहानियों को अपनाने लगते हैं तो इंडस्ट्री की सोच भी बदलती है। ‘क्वीन’ जैसी फिल्मों ने रास्ता बनाया और अब ओटीटी ने उसे और आगे बढ़ाया है।

यह मशहूर अमेरिकी क्राइम ड्रामा ‘द किलिंग’ का इंडियन रीमेक है।
कोंकणा, आपके बचपन का कोई ऐसा अनुभव जो आपको आज की कोंकणा बनने में मददगार रहा हो?
मेरे माता-पिता ने मुझे हमेशा एक बराबरी की तरह समझा। उन्होंने मुझे अपनी राय रखने की आज़ादी दी। बचपन में ही मुझसे पूछा गया था कि मैं ‘सेन’ रहना चाहती हूं या ‘शर्मा’। इस आजादी और भरोसे ने मुझे वैसा बनाया जैसा मैं आज हूं।
आखिर में, आप दोनों दर्शकों से क्या कहना चाहेंगे?
रोहन- बस यही कि ‘सर्च: द नैना मर्डर केस’ को जरूर देखें। हमने इसे सच्ची मेहनत और ईमानदारी से बनाया है।
कोंकणा- हां, इसमें सिर्फ रहस्य नहीं, बल्कि रिश्तों और भावनाओं की गहराई भी है। उम्मीद है कि यह कहानी दर्शकों के दिलों में कुछ सोचने की जगह छोड़ेगी।