
हार्वर्ड और स्टैनफोर्ड से ट्रेनिंग लेने वाले गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. सौरभ सेठी ने हाल ही में अपने सोशल मीडिया हैंडल पर फैटी लिवर डिज़ीज़ से जुड़े 3 बड़े मिथकों को गलत ठहराया है. उन्होंने बताया कि इन भ्रांतियों की वजह से लोग बीमारी की असली जड़ को नजरअंदाज कर देते हैं.

मिथक 1: फैटी लिवर ज्यादा फैट (चर्बी) खाने से होता है यह मान्यता पूरी तरह गलत है. डॉ. सेठी के अनुसार फैटी लिवर का मुख्य कारण ज्यादा शुगर (खासकर फ्रक्टोज़) और अनहेल्दी ऑयल्स का सेवन है, न कि हेल्दी फैट्स.

दरअसल, एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल, अखरोट, एवोकाडो और नट्स से मिलने वाले फैट लिवर के लिए फायदेमंद होते हैं. इसके उलट, पैकेज्ड फूड, कोल्ड ड्रिंक्स, तली-भुनी चीजें और ज्यादा मीठा फैटी लिवर को बढ़ाते हैं. इसलिए डाइट में शुगर और खराब तेल से बचना, हेल्दी फैट से बचने से कहीं ज्यादा जरूरी है.

मिथक 2: फैटी लिवर से नुकसान नहीं होता यह भी एक बड़ी गलतफहमी है. जब लिवर में 5 प्रतिशत से ज्यादा फैट जमा हो जाता है तो यह धीरे-धीरे सूजन (Inflammation) और स्कारिंग (Fibrosis) में बदल सकता है. अगर समय रहते इलाज न हो तो यह सिरोसिस (Cirrhosis) और लिवर फेलियर तक पहुंच सकता है

फैटी लिवर का सबसे बड़ा खतरा यह है कि शुरुआती दौर में इसके कोई लक्षण सामने नहीं आते. मरीज को तब तक पता ही नहीं चलता जब तक बीमारी खतरनाक स्टेज पर न पहुंच जाए. रिसर्च बताती है कि अगर फैटी लिवर का इलाज न किया जाए तो यह लिवर कैंसर तक का कारण बन सकता है.

मिथक 3: सप्लीमेंट्स ही फैटी लिवर का इलाज हैं यह भी सच नहीं है. फैटी लिवर का सबसे असरदार इलाज डाइट और एक्सरसाइज है. मिल्क थिसल, ओमेगा-3 फैटी एसिड्स और विटामिन E जैसे सप्लीमेंट्स लिवर हेल्थ को सपोर्ट तो करते हैं, लेकिन ये अकेले इलाज नहीं हैं. बिना डॉक्टर की सलाह के इन्हें लेना खतरनाक भी हो सकता है.

फैटी लिवर से बचाव के लिए हेल्दी डाइट, मीठे और जंक फूड से दूरी, वजन नियंत्रित रखना, अल्कोहल से परहेज़ और नियमित चेकअप बेहद ज़रूरी है. सही खानपान, नियमित व्यायाम और समय पर मेडिकल जांच से इस बीमारी को रोका और कंट्रोल किया जा सकता है.
Published at : 08 Sep 2025 02:19 PM (IST)