Chhath Puja 2025: छठ पूजा में पीतल के बर्तन का विशेष महत्व माना जाता है. यह शुद्धता, शुभता और सूर्य देव के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है. पीतल का पीला और चमकीला रंग सूर्य भगवान से जुड़ा माना जाता है. इसलिए इसे शुभ समझा जाता है. धार्मिक मान्यता है कि पीतल की धातु नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है. पीतल बृहस्पति ग्रह के प्रभाव को बढ़ाती है जो ज्ञान, समृद्धि और शुभता का कारक है.
पीतल के बर्तनों का धार्मिक महत्व: छठ पूजा में पीतल के बर्तनों का उपयोग शुभता, पवित्रता और श्रद्धा का प्रतीक माना जाता है. छठ पूजा में भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया जाता है. पीला चमकीला रंग सूर्य देव के रंग से मेल खाता है.
इसलिए यह सूर्य भक्ति और उन्हें प्रसन्न करने का प्रतीक है. छठ पूजा में शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है, इसलिए पीतल के बर्तन पवित्र माने जाते हैं. यह धातु भगवान विष्णु को भी प्रिय मानी जाती है. इसके अलावा, पीतल एक टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल धातु है.
भगवान सूर्य को प्रिय है पीला रंग: इस व्रत में शुद्धता और पवित्रता का खास ध्यान रखा जाता है, इसलिए व्रती पारंपरिक रूप से पीतल या फुल्हा के बर्तन का उपयोग करते हैं. इन बर्तनों का प्रयोग प्राचीन समय से चला आ रहा है.
सूर्य देव का प्रतीक पीला रंग माना जाता है, और पीतल व फुल्हा के बर्तन भी उसी रंग के होते हैं. यही कारण है कि छठ पूजा के दौरान व्रती सूर्य भगवान को प्रसन्न करने के लिए पीले रंग की चीजों का इस्तेमाल करते हैं.
पीतल का वैज्ञानिक महत्व: पीतल को एक शुद्ध और पवित्र धातु माना जाता है, जो अपने आसपास की सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती है. यही कारण है कि मंदिरों और पूजा स्थलों में पीतल के बर्तनों का उपयोग किया जाता है, ताकि वहां की आध्यात्मिक आभा और सकारात्मकता बनी रहे.
यह धातु विद्युत का अच्छा सुचालक है और इसमें शुद्धिकरण व जीवाणुरोधी गुण पाए जाते हैं. अपने इन शुद्ध गुणों के कारण, पीतल से बने बर्तनों का उपयोग पवित्र जल (गंगाजल) और भगवान को अर्पित किए जाने वाले प्रसाद को रखने के लिए किया जाता है.
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