Triyuginarayan Temple: यहां हुआ था शिव-पार्वती का विवाह! क्या है इस चमत्कारी धाम का रहस्य? जानें!

Triyuginarayan Temple: यहां हुआ था शिव-पार्वती का विवाह! क्या है इस चमत्कारी धाम का रहस्य? जानें!


Triyuginarayan Temple: उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में स्थित त्रियुगीनारायण मंदिर, जो मात्र धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि एक चमत्कारी धाम भी है. इस जगह भगवान शिव और माता पार्वती का दिव्य विवाह संपन्न हुआ था. आखिर क्यों इस मंदिर में दूर-दूर से नवविवाहित जोड़े भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद लेने के लिए आते हैं?

क्या है इस मंदिर का चमत्कार जहां आने के बाद हर किसी की मनोकामना पूर्ण होती है. जानिए इसके बारे में.

माता पार्वती और भगवान शिव से जुड़ा त्रियुगीनारायण मंदिर एक ऐसा पवित्र स्थान, जहां दोनों ने शादी रचाई थी. आज हम आपको इस मंदिर से जुड़े रोचक तथ्य और खासियत के बारे में बताने जा रहा हैं, जिसे जानने के बाद आप भी हैरान हो जाएंगे.

Triyuginarayan Temple: यहां हुआ था शिव-पार्वती का विवाह! क्या है इस चमत्कारी धाम का रहस्य? जानें!

मंदिर में सालों से जल रही है अखंड धूनी
त्रियुगीनारायण मंदिर की एक खासियत वहां मौजूद अखंड धूनी, जो उनके विवाह के बाद से ही निरंतर जल रही है. दरअसल इस अग्नि को विवाह समारोह के दौरान प्रज्वलित किया गया था, जो आज तक जलती आ रही है.

मंदिर में आने वाले श्रद्धालु इस पवित्र ज्योति को प्रज्वलित करने के लिए लकड़ियां लाते हैं और इससे निकलने वाली राख को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं.

स्थानीय मान्यताओं के मुताबिक कहा जाता है कि, प्रसाद के रूप में राख को ग्रहण करने से प्रेम और भक्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इस पवित्र अग्नि की वजह से मंदिर को अखंड धूनी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है.

विवाह में देवताओं ने निभाई मुख्य भूमिका
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह में सभी देवी-देवता पधारे थे. भगवान ब्रह्मा ने मुख्य पुजारी की भूमिका निभाते हुए विवाह का संचालन किया, जबकि भगवान विष्णु ने माता पार्वती के भाई की भूमिका अदा करते हुए उन्हें विवाह सूत्र में बांधा था.

इस मंदिर में नवविवाहित जोड़े भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद पाने के लिए आते हैं.

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चार पवित्र कुंडों से घिरा है मंदिर
त्रियुगीनारायण मंदिर चार पवित्र जल कुंडों से घिरा हुआ है, जिन्हें रुद्र कुंड, विष्णु कुंड, ब्रह्म कुंड और सरस्वती कुंड के नाम से जाना जाता है. माना जाता है कि ये सभी कुंड काफी पवित्र हैं, जिनको ग्रहण करने से बांझपन की समस्या दूर होती है.

सभी कुंडों को सरस्वती कुंड जल प्रदान करता है, जो भगवान विष्णु की नाभि से उत्पन्न हुआ है. मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले ज्यादातर भक्त वैवाहिक जीवन की मंगल कामना के लिए इन कुंडों में स्नान करते हैं.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.



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