
दीपावली केवल प्रकाश का उत्सव नहीं, बल्कि यह आत्मिक और पर्यावरणीय शुद्धि का प्रतीक है। सनातन परंपरा में माना गया है कि इस दिन की गई लक्ष्मी पूजा तभी फलदायी होती है जब घर और मन दोनों वास्तु के अनुरूप हों। यह पर्व न केवल भौतिक समृद्धि बल्कि मानसिक संतुलन और सकारात्मक ऊर्जा का भी संदेश देता है.

वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूजन स्थल का सही स्थान चुनना अत्यंत आवश्यक है. घर के उत्तर-पूर्व अर्थात ईशान कोण को देवताओं का क्षेत्र माना गया है, इसलिए दीपावली पूजन के लिए यह दिशा सबसे शुभ होती है. यदि यह स्थान उपलब्ध न हो, तो पूजा कक्ष या बैठक के उत्तर-पूर्व भाग में पूजन करना श्रेष्ठ है. पूजा करते समय स्वयं का मुख उत्तर या पूर्व दिशा की ओर रखना शुभ फल प्रदान करता है.

पूजन से पहले घर की संपूर्ण सफाई करनी चाहिए, क्योंकि स्वच्छता से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है. नींबू, नमक या गौमूत्र मिले जल से पोंछा लगाना नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है. द्वार पर आम या अशोक के पत्तों का तोरण और मंगल कलश स्थापित करने से घर में शुभता प्रवेश करती है. दीपावली की रात घर के प्रत्येक कोने में दीपक जलाना चाहिए, विशेष रूप से मुख्य द्वार, रसोई, तिजोरी और तुलसी के पास.

मुख्य द्वार को वास्तु में लक्ष्मी प्रवेश का मार्ग माना गया है, इसलिए उसे सजाना अत्यंत आवश्यक है. द्वार पर रंगोली, स्वस्तिक, ॐ और चरणचिह्न बनाना शुभ संकेत हैं. मां लक्ष्मी दक्षिण से उत्तर की ओर गमन करती हैं, अतः उनके चरणचिह्न सदैव घर के भीतर की ओर बनाए जाएं. दीपावली की रात द्वार पर जलता दीपक पूरी रात बुझना नहीं चाहिए, क्योंकि यह समृद्धि और स्थायी सुख का प्रतीक माना गया है.

पूजन के समय आसन और दीपों की व्यवस्था भी विशेष महत्त्व रखती है. लाल या पीले कपड़े का आसन उपयोग करना शुभ माना जाता है, जबकि लकड़ी या धातु का आसन वास्तु दोष उत्पन्न कर सकता है. पूजा स्थल पर पांच दीपक अवश्य रखें — मां लक्ष्मी, गणेशजी, धन स्थान, रसोई और तुलसी के पास. ये पांच दीप पंचमहाभूतों के प्रतीक हैं और वातावरण में सात्त्विक ऊर्जा का संचार करते हैं.

पूजन के पश्चात कुछ विशेष उपाय करने से लक्ष्मी का स्थायी वास घर में बना रहता है. पूजा के बाद तिजोरी में लाल कपड़े में हल्दी, चावल और चांदी का सिक्का रखना शुभ होता है. कमल पुष्प या कमलगट्टे को जल में प्रवाहित करने के बजाय तिजोरी में रखना धनवृद्धि का संकेत देता है. अंत में, दीपक को पुनः रसोई और मुख्य द्वार पर प्रज्वलित करें ताकि घर में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि का प्रवाह निरंतर बना रहे.
Published at : 20 Oct 2025 04:40 PM (IST)