जालोर के सफाई कर्मचारी की बेटी एशियन यूथ गेम्स में भारत का प्रतिनिधित्व करेगी। ओलिंपिक काउंसिल ऑफ एशिया की ओर से बहरीन में 22 अक्टूबर (बुधवार) से एशियन यूथ गेम्स की शुरुआत होगी, जो 31 अक्टूबर तक चलेंगे।
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इसमें मुए थाई (म्यू थाई) गेम के लिए देशभर से सिर्फ 9 खिलाड़ियों का सिलेक्शन हुआ है। इनमें हर्षिता कुमारी (16) भी शामिल है।
डेढ़ महीने पहले आबू धाबी यूथ वर्ल्ड चैम्पियनशिप के लिए भी हर्षिता का सिलेक्शन हुआ था। लेकिन आर्थिक तंगी के कारण वह नहीं जा सकी थीं।
मुख्य सचेतक व विधायक जोगेश्वर गर्ग और जिला कलेक्टर प्रदीप के गवांडे ने भामाशाह के जरिए करीब डेढ़ लाख रुपए की मदद की थी। लेकिन तब तक अंतिम तारीख निकल चुकी थी।
मायूसी को हर्षिता ने ताकत बनाया और अब उसी के बूते बहरीन में होने जा रहे एशियन यूथ गेम्स में उनका सिलेक्शन हुआ है।

हर्षिता की किक और पंच मारने की टेक्नीक दमदार है।
स्टेट और नेशनल लेवल पर जीता गोल्ड हर्षिता जिला स्तर पर जीत के बाद स्टेट लेवल पर श्रीगंगानगर में और फिर नेशनल लेवल पर रोहतक (हरियाणा) में हुई म्यू थाई प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं।
उनकी किक और पंच मारने की टेक्नीक दमदार है। मूवमेंट भी तेज है। इन्हीं खूबियों के कारण उन्हें एशियन यूथ गेम्स के लिए भारतीय टीम में शामिल किया गया है।
5 साल से चल रही ट्रेनिंग कोच भागीरथ गर्ग ने बताया- हर्षिता पिछले 5 साल से क्रीडा भारती जालोर की ओर से शहीद भगतसिंह स्टेडियम में ट्रेनिंग ले रही हैं। उसमें काफी संभावनाएं हैं। वह भविष्य में ओलिंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करेगी।
कोच ने बताया- बहरीन जाने से पहले होने वाले लास्ट ट्रेनिंग राउंड के लिए 4 अक्टूबर को जयपुर कैंप में ट्रेनिंग दी गई।

हर्षिता ने रोहतक (हरियाणा) में हुई नेशनल चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था।
पिता बोले- हर्षिता का टारगेट ओलिंपिक खेलना है हर्षिता के पिता यशपाल कठारिया जालोर नगर परिषद में सफाई कर्मचारी हैं। उन्होंने बताया कि वे परिवार में एकमात्र कमाने वाले हैं। उनके 5 बेटी हैं।
बड़ी बेटी बीए कर रही है। दूसरे नंबर पर हर्षिता है, जिसका टारगेट देश के लिए गोल्ड मेडल जीतना और ओलिंपिक खेलना है। अन्य बेटियां स्कूल में पढ़ाई करती हैं।
उन्होंने बताया- हर्षिता की शुरू से इसी गेम में दिलचस्पी थी। इसमें वह लगातार जीत हासिल करती गई। हमारी पूरी कोशिश थी कि उसे हर टूर्नामेंट में खेलने के लिए भेजें, लेकिन कई बार आर्थिक तंगी के कारण भेज नहीं पाए।
हालांकि इस बार सभी ने सहयोग किया, जिससे वह इंटरनेशनल लेवल पर देश और जालोर जिले का नाम रोशन करेगी।
यशपाल ने कहा कि मेरे और मेरे समाज के लिए हर्षिता की उपलब्धि गर्व की बात है।

हर्षिता की मौसी, पिता यशपाल कठारिया और मां।
बॉक्सिंग और वुशू का कॉम्बिनेशन है म्यू थाई म्यू थाई थाईलैंड का नेशनल गेम है। यह मुक्केबाजी और वुशू का कॉम्बिनेशन भी है। इसमें मुक्के और लात दोनों से प्रतिद्वंद्वी को हराना होता है। घुटनों और कोहनी का उपयोग भी खिलाड़ी कर सकता है।
हर्षिता की शुरुआत मुक्केबाजी से हुई। इसके बाद वुशू की प्रॉपर ट्रेनिंग भी ली। अब दोनों ही उनकी खास ताकत बन गए हैं।

बहरीन में एशियन यूथ गेम्स में हिस्सा लेने जा रही भारत के 9 खिलाड़ियों की टीम।