
हिंदू धर्म अनेक परंपराओं और रीति-रिवाजों वाला एक धर्म है. वैदिक युग से चली आ रही कई प्रथाएं आज भी भारत में प्रचलित है. नंगे पैर मंदिर में प्रवेश करना हिंदुओ की एक प्रथा है. हालांकि अन्य धर्मों के लोग और जापानी लोग भी किसी पवित्र स्थान में प्रवेश करने से पहले अपने जूते या चप्पल उतार देते हैं.

कहते हैं कि मंदिर पवित्रता वाले स्थान हैं. इसलिए एक भक्त को इसकी पवित्रता का ध्यान रखना चाहिए. माना जाता है कि जब आप बिना जूते के मंदिर में प्रवेश करते हैं, तो आप आसानी से दिव्य शक्ति से जुड़ सकते हैं. यह देवी देवताओं से आशीर्वाद पाने का एक तरीका भी है.

पौराणिक कथाओं के अनुसार चमड़े के जूते पहनकर मंदिर में प्रवेश करना देवताओं का अनादर करने के समान है. इसलिए ऐसा नहीं करना चाहिए. इसी कारण से लोगों को मंदिर में प्रवेश करते समय चमड़े की बेल्ट और पर्स उतार देने पड़ते हैं.

अधिकांश मंदिरों के फर्श पर हल्दी, चंदन और सिंदूर का लेप लगाया जाता है. आयुर्वेद के अनुसार, ये आपके स्वास्थ्य को बढ़ाने वाला स्त्रोत हैं. जब आप बिना जूते-चप्पल पहने मंदिर के फर्श पर प्रवेश करते हैं तो आप इन तत्वों के लाभों को ग्रहण कर सकते हैं.

मान्यताओं के अनुसार मंदिर एक ऐसा स्थान हैं जो आपको मानसिक शांति प्रदान करती है. जब आप नंगे पैर प्रवेश करते हैं, तो सकारात्मक ऊर्जा आपके पैरों के माध्यम से आपके शरीर में प्रवेश करती है. ये आपके मन को शांत रखने में मदद करती है.

नंगे पैर मंदिर में प्रवेश करने के कुछ महत्व इस प्रकार हैं कि यह एक अत्यंत प्रासंगिक हिन्दू परंपरा है. देवी-देवताओं के प्रति सम्मान और आदर दर्शाने के लिए इसका पालन करना चाहिए. हालांकि यह परम चेतना या ब्रह्म के साथ आपके संबंध को भी मजबूत कर सकता है.
Published at : 22 Oct 2025 03:18 PM (IST)