Xu Wei on US-China tariff war: कुछ दिन पहले, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन से आयात होने वाली चीज़ों पर 100 फीसदी और अतिरिक्त टैक्स लगाने और अमेरिकी सॉफ्टवेयर के निर्यात पर कड़ी पाबंदियां लगाने की घोषणा की थी. इसके जवाब में भारत में तैनात चीनी राजनयिक शू वेई ने कहा कि अगर अमेरिका अपनी गलतियों से नहीं सीखता, तो चीन भी पीछे नहीं हटेगा और अपने अधिकारों की रक्षा करेगा.
चीन के कोलकाता स्थित कांसुल जनरल शू वेई ने कहा कि चीन किसी झगड़े के पक्ष में नहीं है, लेकिन अगर उसे मजबूर किया गया तो वह जवाब ज़रूर देगा. उन्होंने कहा कि चीन बातचीत और सहयोग में विश्वास रखता है, इसलिए अमेरिका को टकराव की जगह समझदारी दिखानी चाहिए.
ट्रंप ने पहले से ही चीन पर 155 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की था, और अब 1 नवंबर से 100 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लागू होंगे, अगर चीन ने कोई कदम नहीं उठाता है तो. अमेरिका अतिरिक्त टैरिफ़ का फैसला खासतौर पर उन देशों के ख़िलाफ़ ले रहा है जो रूस की अर्थव्यवस्था को ऊर्जा व्यापार के ज़रिए मदद कर रहे हैं.
शू वेई ने भारत-चीन संबंधों पर ज़ोर देते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच व्यापार लगातार बढ़ रहा है. जनवरी से सितंबर 2025 तक दोनों देशों के बीच कारोबार 115 अरब डॉलर तक पहुंच गया है. उन्होंने यह भी बताया कि 26 अक्टूबर से दोनों देशों के बीच सीधी हवाई फ्लाइट्स दोबारा शुरू होंगी. इस साल अब तक 2,80,000 से ज्यादा भारतीय नागरिकों को चीनी दूतावासों ने वीजा जारी किया है, और साल के अंत तक यह आंकड़ा 3 लाख पार कर सकता है.
दूसरी ओर, चीन ने अमेरिका के टैरिफ के विरोध में सितंबर महीने में अमेरिका से सोयाबीन नहीं खरीदा. ऐसा नवंबर 2018 के बाद पहली बार हुआ है. इस कमी को पूरा करने के लिए चीन ने दक्षिण अमेरिका से खरीदी की है.
अगर अमेरिका-चीन के बीच बातचीत में प्रगति नहीं होती, तो अमेरिकी किसानों को बड़ा नुकसान हो सकता है, जबकि चीन को भी आने वाले महीनों में नई फसल के आने से पहले सोयाबीन की कमी झेलनी पड़ सकती है.
ट्रंप ने यह भी कहा है कि अब वे शायद दक्षिण कोरिया में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से होने वाली आगामी मुलाकात रद्द कर दें, क्योंकि चीन ने तकनीकी उद्योग में जरूरी “रेयर अर्थ मेटल्स” के निर्यात पर और सख्ती कर दी है.
कुल मिलाकर, अमेरिका और चीन के बीच तनाव बढ़ता जा रहा हैय फिर भी, चीन यह दिखा रहा है कि बातचीत के रास्ते अब भी खुले हैं, खासकर भारत जैसे बड़े और महत्वपूर्ण आर्थिक साझेदार के साथ.
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