गुवाहाटी4 मिनट पहले
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असम के लोकप्रिय गायक जुबीन गर्ग के निधन को एक महीना बीतने को है, लेकिन उनकी पत्नी गरिमा गर्ग अब भी जवाब तलाश रही हैं। दैनिक भास्कर से बातचीत में उन्होंने कहा कि जांच में कई सवालों के जवाब आज भी नहीं मिले हैं।
गरिमा अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप की अपील कर रही हैं। गरिमा ने कहा, ‘जुबीन मुझे वापस नहीं मिल सकते, लेकिन उनकी मौत का सच जानने का हक तो मुझे है।’
इधर, जुबीन गर्ग मौत मामले में एसआईटी/सीआईडी की गिरफ्त में आए संदीपन, श्यामकानु महंत, सिद्धार्थ शर्मा को आज अदालत में पेश किया जा रहा है।
एसआईटी प्रमुख और विशेष डीजीपी (सीआईडी) मुन्ना प्रसाद गुप्ता ने बताया कि बाकी दो की हिरासत अगले दिन पूरी होगी और उन्हें 17 अक्टूबर को पेश किया जाएगा।
सिंगापुर में जुबीन के साथ गए लोगों में अब तक नौ गवाह सीआईडी के सामने पेश हो चुके हैं और आज एक और गवाह के पेश हो सकता है।

पढ़ें भास्कर के सवाल और गरिमा के जवाब
लोग उन्हें गायक के रूप में याद कर रहे हैं या इंसान के रूप में?
जुबीन जितने बड़े गायक थे, उससे कहीं बड़े इंसान थे। उनमें जाति-धर्म का भेद नहीं था। उन्होंने असमिया सिनेमा को नई ऊंचाई दी। 39 हजार से ज्यादा गाने गाए और एक दिन में 36 रिकॉर्डिंग का रिकॉर्ड बनाया। उन्होंने असम और यहां के लोगों को छोड़ने के बारे में कभी नहीं सोचा। उनकी अंतिम यात्रा में उमड़ी भीड़ ने साबित कर दिया कि जुबीन सिर्फ आवाज नहीं, भावना थे। उनके जाने के बाद अब मैं बिल्कुल अकेली हूं। वे आम लोगों के हीरो थे, दूसरों पर भरोसा करने वाले, और शायद उसी भरोसे के चलते हमने उन्हें खो दिया।
आप जांच से कितनी संतुष्ट हैं?
हम धैर्य से इंतजार कर रहे हैं। भरोसा है कि असम पुलिस और सीआईडी सच सामने लाएगी, जुबीन के साथ उस दिन क्या हुआ, क्यों हुआ और किसने किया। हमें सिर्फ जानना है।
क्या ‘फाउल प्ले’ की आशंका दिखती है?
उस दिन क्या हुआ, यह अब तक किसी ने साफ नहीं बताया। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो दिखाते हैं कि उनके साथ गंभीर लापरवाही हुई। वे दोबारा पानी में गए, बिना लाइफ जैकेट के, और आसपास कोई नहीं था। सिंगापुर की पोस्टमार्टम रिपोर्ट कहती है वह डूबे, लेकिन क्या ऐसी हालत में किसी साजिश की संभावना से इनकार किया जा सकता है? मुझे भरोसा है कि पुलिस सख्त जांच से सच सामने लाएगी।
दूसरी पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिली?
हां, मुझे दी गई थी। लेकिन उसे सार्वजनिक करने को लेकर असमंजस था। कहा गया कि इससे जांच प्रभावित हो सकती है। इसलिए मैंने रिपोर्ट को बिना खोले, सीलबंद हालत में उसी एसआईटी अधिकारी को लौटा दी, जो मेरे पास लेकर आए थे।
क्या आपको हत्या की आशंका लगती है?
अभी कुछ कहने से पहले मैं चाहूंगी कि एजेंसियां अपना काम पूरा करें। सोशल मीडिया पर बहुत बातें हैं, लेकिन मैं सिर्फ चाहती हूं कि जांच निष्पक्ष और तेजी से हो। जुबीन को गए 25 दिन हो चुके हैं। लोगों से मेरी अपील है, धैर्य रखें, न्याय जरूर मिलेगा।
प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की अपील क्यों की?
खुद प्रधानमंत्री जी ने जुबीन को श्रद्धांजलि दी थी। देश और दुनिया के संगीत व कला जगत ने भी न्याय की अपील की है। जुबीन अब सिर्फ असम के नहीं, पूरे भारत के सांस्कृतिक प्रतीक हैं। इसलिए मेरी विनती है कि केंद्र सरकार इस जांच में आने वाली अड़चनों को दूर करे। हमें सिर्फ सच चाहिए, वही जुबीन के लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी।