1 घंटे पहलेलेखक: आशीष तिवारी
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‘लव इन वियतनाम’ भारत-वियतनाम की साझेदारी में बनी एक रोमांटिक ड्रामा है, जिसका निर्देशन राहत काजमी ने किया है। यह फिल्म खूबसूरत लोकेशन्स, संगीत और क्रॉस-कल्चरल प्रेम की कहानी पेश करती है, लेकिन कहानी की गहराई और पात्रों का विकास कुछ जगहों पर कमजोर है।
फिल्म की कहानी
मानव (शांतनु महेश्वरी) पंजाब का युवक है, जो अपनी संगीत की चाहत और परिवार की उम्मीदों के बीच फंसा हुआ है। उसकी बचपन की दोस्त सिम्मी (अवनीत कौर) हमेशा उसके साथ रहती है, लेकिन मानव की जिंदगी बदल जाती है जब वह वियतनाम जाता है और वहां पेंटिंग में दिखी लड़की लिन्ह (खा नगान) से टकराता है। लिन्ह रहस्यमयी तरीके से उसकी जिंदगी में आती है और फिर गायब हो जाती है। मानव का दिल सिम्मी और लिन्ह के बीच उलझ जाता है और यहीं से शुरू होता है प्रेम, दर्द और तलाश का सिलसिला।

फिल्म में एक्टिंग
शांतनु महेश्वरी (मानव) – ईमानदार और सहज अभिनय, पर कुछ भावुक दृश्यों में गहराई की कमी दिखती है।
अवनीत कौर (सिम्मी) – मासूमियत और समर्पण का अच्छा संतुलन; दूसरे हिस्से में उनका दर्दभरा अभिनय असर डालता है।
खा नगान (लिन्ह) – रहस्यमयी और आकर्षक स्क्रीन उपस्थिति, लेकिन पटकथा उन्हें पूरी तरह निखार नहीं पाती।

फिल्म का डायरेक्शन और तकनीकी पक्ष
अच्छाइयां – वियतनाम के खूबसूरत सीन्स और लोकेशन्स कैमरे में शानदार कैद हुए हैं। फिल्म की सिनेमैटोग्राफी पोस्टकार्ड जैसी लगती है। संगीत (‘फकीरा’, ‘बड़े दिन हुए’) फिल्म को भावनात्मक रंग देता है।
कमियां – कहानी कई जगह अनुमानित है, पहला हिस्सा धीमा चलता है और क्लाइमैक्स जल्दबाजी में खत्म होता महसूस होता है। कुछ सहायक पात्र अधूरे लगते हैं।
क्यों देखें फिल्म:
-रोमांटिक फिल्मों के शौकीन हैं।
-खूबसूरत लोकेशन्स और सोलफुल म्यूजिक पसंद करते हैं।
-वियतनाम की संस्कृति और प्राकृतिक खूबसूरती बड़े पर्दे पर देखना चाहते हैं।
क्यों ना देखें फिल्म:
अगर आपको गहराई वाली कहानी, दमदार किरदार और तेज रफ्तार नरेटिव चाहिए।
कुल मिलाकर ‘लव इन वियतनाम’ देखने लायक है, मगर कमियों के साथ। यह दिल को छू लेने वाले संगीत और पोस्टकार्ड-जैसे दृश्यों के लिए जरूर देखी जा सकती है, लेकिन मजबूत कहानी और भावनाओं की गहराई चाहने वाले दर्शकों को यह फिल्म अधूरी लगेगी।